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*[[शरद ऋतु]] और [[बसंत ऋतु]] के महीनों को छोड़कर पूरे वर्ष में नित्य रास का प्रदर्शन किया जाता है। इसका बड़ा अंश ‘गोविंद लीलामृत’ पर आधारित है।
*[[शरद ऋतु]] और [[बसंत ऋतु]] के महीनों को छोड़कर पूरे वर्ष में नित्य रास का प्रदर्शन किया जाता है। इसका बड़ा अंश ‘गोविंद लीलामृत’ पर आधारित है।
*नित्य रास में मधुर गीतों और नृत्यों के माध्यम से [[राधा]] और [[कृष्ण]] की दिव्य लीलाओं को दर्शाया गया है।<ref name="pp">{{cite web |url=http://www.apnimaati.com/2020/07/blog-post_32.html|title=मणिपुर के पर्व-त्योहार|accessmonthday=02 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=apnimaati.com|language=हिंदी}}</ref>
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*[[वसंत रास]], [[कुंजा रास]] और महारास की तरह नित्य रास भी नट संकीर्तन पाला से शुरू होती है। रसधारी द्वारा बारी-बारी से राग आलाप, बृंदावन वमन, कृष्ण अभिसार, राधा अभिसार शुरू किया जाता है। इसमें बृंदा और तुलसी के बीच के संवाद का अभिनय भी शामिल है।
*[[वसंत रास, मणिपुर|वसंत रास]], [[कुंजा रास, मणिपुर|कुंजा रास]] और महारास की तरह नित्य रास भी नट संकीर्तन पाला से शुरू होती है। रसधारी द्वारा बारी-बारी से राग आलाप, बृंदावन वमन, कृष्ण अभिसार, राधा अभिसार शुरू किया जाता है। इसमें बृंदा और तुलसी के बीच के संवाद का अभिनय भी शामिल है।
*सूत्रधार द्वारा राधा के 'वेशसजन' प्रकरण का भी वर्णन किया जाता है। गोपियों द्वारा शरीर के हाव-भाव और चाल-ढाल से गोपी अभिसार का प्रदर्शन किया जाता है।
*सूत्रधार द्वारा राधा के 'वेशसजन' प्रकरण का भी वर्णन किया जाता है। गोपियों द्वारा शरीर के हाव-भाव और चाल-ढाल से गोपी अभिसार का प्रदर्शन किया जाता है।
*गोपियाँ राधा के साथ नृत्य करती हैं। गोपियाँ राधा और कृष्ण की प्रार्थना करती हैं और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करती हैं।
*गोपियाँ राधा के साथ नृत्य करती हैं। गोपियाँ राधा और कृष्ण की प्रार्थना करती हैं और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करती हैं।
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10:15, 2 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

नित्य रास (अंग्रेज़ी: Nitya Ras) मणिपुर में किये जाने वाले रास नृत्यों में से एक है। राजा चंद्रकीर्ति के सहयोग से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का सार रूप प्रस्तुत करने के लिए नित्य रास (नर्तन रास) की रचना की गई थी। इस लीला के प्रदर्शन के लिए कोई निश्चित ऋतु या विशिष्ट दिन निर्धारित नहीं हैं। इसका किसी भी दिन प्रदर्शन किया जा सकता है।

  • शरद ऋतु और बसंत ऋतु के महीनों को छोड़कर पूरे वर्ष में नित्य रास का प्रदर्शन किया जाता है। इसका बड़ा अंश ‘गोविंद लीलामृत’ पर आधारित है।
  • नित्य रास में मधुर गीतों और नृत्यों के माध्यम से राधा और कृष्ण की दिव्य लीलाओं को दर्शाया गया है।[1]
  • वसंत रास, कुंजा रास और महारास की तरह नित्य रास भी नट संकीर्तन पाला से शुरू होती है। रसधारी द्वारा बारी-बारी से राग आलाप, बृंदावन वमन, कृष्ण अभिसार, राधा अभिसार शुरू किया जाता है। इसमें बृंदा और तुलसी के बीच के संवाद का अभिनय भी शामिल है।
  • सूत्रधार द्वारा राधा के 'वेशसजन' प्रकरण का भी वर्णन किया जाता है। गोपियों द्वारा शरीर के हाव-भाव और चाल-ढाल से गोपी अभिसार का प्रदर्शन किया जाता है।
  • गोपियाँ राधा के साथ नृत्य करती हैं। गोपियाँ राधा और कृष्ण की प्रार्थना करती हैं और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करती हैं।
  • अंत में पुजारी द्वारा आरती की जाती है और इसके साथ यह लीला संपन्न हो जाती है।
  • ऐसा माना जाता है कि महारास, कुंजा रास और वसंत रास आरंभिक रचना है जबकि नित्य रास और दिबा रास बाद में जोड़े गए हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मणिपुर के पर्व-त्योहार (हिंदी) apnimaati.com। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2021।

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