"चाक्यारकूंतु नृत्य": अवतरणों में अंतर
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*[[भारत]] में प्रचलित कुछ प्रमुख शास्त्रीय [[नृत्य कला|नृत्य]] शैलियों में से एक चाक्यारकूंतु नृत्य है। | *[[भारत]] में प्रचलित कुछ प्रमुख शास्त्रीय [[नृत्य कला|नृत्य]] शैलियों में से एक चाक्यारकूंतु नृत्य है। | ||
*[[केरल]] राज्य में [[आर्य|आर्यों]] द्वारा प्रारम्भ किये गये चाक्यारकूंतु नृत्य शैली का आयोजन केवल मंदिर में किया जाता था और सिर्फ सवर्ण हिन्दू ही इसे देख सकते थे। *नृत्यगार को कूत्तम्बलम कहते हैं। | *[[केरल]] राज्य में [[आर्य|आर्यों]] द्वारा प्रारम्भ किये गये चाक्यारकूंतु नृत्य शैली का आयोजन केवल मंदिर में किया जाता था और सिर्फ सवर्ण हिन्दू ही इसे देख सकते थे। | ||
*नृत्यगार को कूत्तम्बलम कहते हैं। | |||
*स्वर के साथ कथापाठ किया जाता है, जिसके अनुरूप चेहरे और हाथों से भावों की अभिव्यक्ति की जाती है। | *स्वर के साथ कथापाठ किया जाता है, जिसके अनुरूप चेहरे और हाथों से भावों की अभिव्यक्ति की जाती है। | ||
*इसके साथ सिर्फ झाँझ और ताँबे का बना व चमड़ा मढ़ा ढोल जैसा एक वाद्य यंत्र बजाया जाता है। | *इसके साथ सिर्फ झाँझ और ताँबे का बना व चमड़ा मढ़ा ढोल जैसा एक वाद्य यंत्र बजाया जाता है। |
06:35, 13 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में प्रचलित कुछ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों में से एक चाक्यारकूंतु नृत्य है।
- केरल राज्य में आर्यों द्वारा प्रारम्भ किये गये चाक्यारकूंतु नृत्य शैली का आयोजन केवल मंदिर में किया जाता था और सिर्फ सवर्ण हिन्दू ही इसे देख सकते थे।
- नृत्यगार को कूत्तम्बलम कहते हैं।
- स्वर के साथ कथापाठ किया जाता है, जिसके अनुरूप चेहरे और हाथों से भावों की अभिव्यक्ति की जाती है।
- इसके साथ सिर्फ झाँझ और ताँबे का बना व चमड़ा मढ़ा ढोल जैसा एक वाद्य यंत्र बजाया जाता है।
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