"सरहुल नृत्य": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Sarhul-Dance.jpg|thumb|250px|सरहुल नृत्य]]
'''सरहुल नृत्य''' [[छत्तीसगढ़]] राज्य में [[सरगुजा ज़िला|सरगुजा]], [[जशपुर ज़िला|जशपुर]] और धरमजयगढ़ तहसील में बसने वाली उरांव जाति का जातीय नृत्य है। इस [[नृत्य]] का आयोजन [[चैत्र मास]] की [[पूर्णिमा]] को रात के समय किया जाता है। यह नृत्य एक प्रकार से प्रकृति की [[पूजा]] का आदिम स्वरूप है।
'''सरहुल नृत्य''' [[छत्तीसगढ़]] राज्य में [[सरगुजा ज़िला|सरगुजा]], [[जशपुर ज़िला|जशपुर]] और धरमजयगढ़ तहसील में बसने वाली उरांव जाति का जातीय नृत्य है। इस [[नृत्य]] का आयोजन [[चैत्र मास]] की [[पूर्णिमा]] को रात के समय किया जाता है। यह नृत्य एक प्रकार से प्रकृति की [[पूजा]] का आदिम स्वरूप है।
====नृत्य का आयोजन====
====नृत्य का आयोजन====

08:04, 30 मार्च 2012 का अवतरण

सरहुल नृत्य

सरहुल नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य में सरगुजा, जशपुर और धरमजयगढ़ तहसील में बसने वाली उरांव जाति का जातीय नृत्य है। इस नृत्य का आयोजन चैत्र मास की पूर्णिमा को रात के समय किया जाता है। यह नृत्य एक प्रकार से प्रकृति की पूजा का आदिम स्वरूप है।

नृत्य का आयोजन

आदिवासियों का यह विश्वास है कि साल वृक्षों के समूह में, जिसे यहाँ 'सरना' कहा जाता है, उसमे महादेव निवास करते हैं। महादेव और देव पितरों को प्रसन्न करके सुख शांति की कामना के लिए चैत्र पूर्णिमा की रात को इस नृत्य का आयोजन किया जाता है। आदिवासियों का बैगा सरना वृक्ष की पूजा करता है। वहाँ घड़े में जल रखकर सरना के फूल से पानी छिंचा जाता है। ठीक इसी समय सरहुल नृत्य प्रारम्भ किया जाता है। सरहुल नृत्य के प्रारंभिक गीतों में धर्म प्रवणता और देवताओं की स्तुति होती है, लेकिन जैसे-जैसे रात गहराती जाती है, उसके साथ ही नृत्य और संगीत मादक होने लगता है। शराब का सेवन भी इस अवसर पर किया जाता है। यह नृत्य प्रकृति की पूजा का एक बहुत ही आदिम रूप है।[1]

आधुनिकता का प्रभाव

छत्तीसगढ़ के आदिवासी और सुदूर वनांचल भी महँगाई और शहरीकरण के प्रदूषण से प्रभावित हुए हैं। गाँव की स्वच्छंदता, उसकी लोक संस्कृति और रहन-सहन में बहुत अंतर आ गया है, जिससे उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। आज शहरों में लोकोत्सव मनाकर इनकी संस्कृतियों को ज़िंदा रखने का प्रयास किया जा रहा है। प्रारम्भ में सरहुल नृत्य प्रकृति से जोड़ने वाला हुआ करता था, किंतु वर्तमान समय में प्रदूषण का शिकार होता जा रहा है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 केशरवानी, अश्विनी। छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2012।

संबंधित लेख