"मौसम है ओलम्पिकाना -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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"हाँ एक बात तो बताना भूल गई कि पूनम की सास की एक सहेली है... उसका दामाद आजकल कुछ कर नहीं रहा है, बड़ा अपसॅट रहता है आजकल... अगर उसे खिलाड़ी बना कर ओलम्पिक में ले चलें तो..." | "हाँ एक बात तो बताना भूल गई कि पूनम की सास की एक सहेली है... उसका दामाद आजकल कुछ कर नहीं रहा है, बड़ा अपसॅट रहता है आजकल... अगर उसे खिलाड़ी बना कर ओलम्पिक में ले चलें तो..." | ||
"इतना आसान समझ रखा है तुमने ! ऐसे कैसे किसी को भी खिलाड़ी बना कर ले जाऊँ ? तुम्हें मालूम भी है कि ओलम्पिक में जाने के लिए कितनी मेहनत होती है ?" लुट्टनवाला दहाड़े | "इतना आसान समझ रखा है तुमने ! ऐसे कैसे किसी को भी खिलाड़ी बना कर ले जाऊँ ? तुम्हें मालूम भी है कि ओलम्पिक में जाने के लिए कितनी मेहनत होती है ?" लुट्टनवाला दहाड़े | ||
"अब मुझे क्या पता तुम बताओगे तभी तो पता चलेगा... " मिसेज़ लुट्टनवाला | "अब मुझे क्या पता तुम बताओगे तभी तो पता चलेगा... " मिसेज़ लुट्टनवाला ने फुसलाते हुए पूछा | ||
"देखो एक तो खिलाड़ी वो हैं जो दिन-रात प्रॅक्टिस करते हैं। अपनी ट्रेनिंग ख़र्च ख़ुद ही उठाते हैं और मॅडल भी ले ही आते हैं, दूसरे वो हैं जिन्हें हम तैयार करते हैं। हमारे वाले खिलाड़ी ही असली खिलाड़ी हैं जो बेचारे न जाने कितने इंस्ट्रॅक्टरों, कोचों और मंत्रियों के चमचों को सॅट करके हमारे पास आते हैं, तब कहीं जाकर हम उनको 'शपथ' दिलाते हैं।" | "देखो एक तो खिलाड़ी वो हैं जो दिन-रात प्रॅक्टिस करते हैं। अपनी ट्रेनिंग ख़र्च ख़ुद ही उठाते हैं और मॅडल भी ले ही आते हैं, दूसरे वो हैं जिन्हें हम तैयार करते हैं। हमारे वाले खिलाड़ी ही असली खिलाड़ी हैं जो बेचारे न जाने कितने इंस्ट्रॅक्टरों, कोचों और मंत्रियों के चमचों को सॅट करके हमारे पास आते हैं, तब कहीं जाकर हम उनको 'शपथ' दिलाते हैं।" | ||
"कैसी शपथ ?" | "कैसी शपथ ?" |
13:44, 31 जुलाई 2012 का अवतरण
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