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स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। [[5 जुलाई]] [[1947]] को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'रियासतों को तीन विषयों - सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।' धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक [[भोपाल]] के [[नवाब]] से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। [[भारत]] के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। [[15 अगस्त]] [[1947]] तक [[हैदराबाद]], [[कश्मीर]] और [[जूनागढ़]] को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें 'भारत संघ' में सम्मिलित हो गयीं। [[जूनागढ़]] के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब [[हैदराबाद]] के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया। | स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। [[5 जुलाई]] [[1947]] को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'रियासतों को तीन विषयों - सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।' धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक [[भोपाल]] के [[नवाब]] से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। [[भारत]] के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। [[15 अगस्त]] [[1947]] तक [[हैदराबाद]], [[कश्मीर]] और [[जूनागढ़]] को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें 'भारत संघ' में सम्मिलित हो गयीं। [[जूनागढ़]] के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब [[हैदराबाद]] के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया। | ||
==सांस्कृतिक कार्यक्रम== | ==सांस्कृतिक कार्यक्रम== | ||
[[हरियाणा]] के [[फरीदाबाद ज़िला|फरीदाबाद ज़िले]] में सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। पटेल जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई गई। शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा | [[हरियाणा]] के [[फरीदाबाद ज़िला|फरीदाबाद ज़िले]] में सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। पटेल जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई गई। शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा ज़िला बाल कल्याण परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में सबने मिलकर देश व समाजसेवा की शपथ ली और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात कही। कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में विद्यालय की छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से रंग जमाया। बच्चों के विकास में अभिभावकों तथा अध्यापकों को अहम भूमिका निभाने की जरूरत है। बच्चों को प्रोत्साहित करके ही आगे बढ़ाया जा सकता है। | ||
13:39, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
राष्ट्रीय एकता दिवस
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विवरण | सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। |
तिथि | 31 अक्टूबर |
अन्य जानकारी | भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। |
राष्ट्रीय एकता दिवस (अंग्रेज़ी: National Unity Day) 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया।
आज़ादी के बाद एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। 5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'रियासतों को तीन विषयों - सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।' धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक भोपाल के नवाब से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें 'भारत संघ' में सम्मिलित हो गयीं। जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
हरियाणा के फरीदाबाद ज़िले में सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। पटेल जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई गई। शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा ज़िला बाल कल्याण परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में सबने मिलकर देश व समाजसेवा की शपथ ली और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात कही। कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में विद्यालय की छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से रंग जमाया। बच्चों के विकास में अभिभावकों तथा अध्यापकों को अहम भूमिका निभाने की जरूरत है। बच्चों को प्रोत्साहित करके ही आगे बढ़ाया जा सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- राष्ट्रीय एकता दिवस
- National Unity Day (Rashtriya Ekta Diwas)
- राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर राजपथ से प्रधानमंत्री के “रन फॉर यूनिटी” भाषण का मूल पाठ
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