"राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह": अवतरणों में अंतर
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==दुर्घटना में घायलों का नि:शुल्क उपचार== | ==दुर्घटना में घायलों का नि:शुल्क उपचार== | ||
एक प्रायोगिक कार्यक्रम के तहत खंड में [[राष्ट्रीय राजमार्ग 8]] पर [[गुड़गांव]]-[[जयपुर]] सड़क दुर्घटना में घायलों को 48 घंटे तक 30 हज़ार | एक प्रायोगिक कार्यक्रम के तहत खंड में [[राष्ट्रीय राजमार्ग 8]] पर [[गुड़गांव]]-[[जयपुर]] सड़क दुर्घटना में घायलों को 48 घंटे तक 30 हज़ार रुपये तक का नि:शुल्क इलाज करवाने की योजना लागू की गई है। 13 राज्यों में दुर्घटना के सर्वाधिक संभावित 25 स्थलों, जहां 90 प्रतिशत दुर्घटनाएं होती रही है, की पहचान की गई है। इन स्थानों पर दुर्घटना से बचने के उपायों को लागू किया गया है। आपात देखभाल पर कार्य समिति की अनुशंसाओं के आधार पर 'राष्ट्रीय एंबुलेंस कोर्ड' तैयार किया गया है। इस कोर्ड के तहत देश में एंबुलेंस के चालन के लिए न्यूनतम मानक संबंधी दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। मालवाहक वाहनों में उनकी परिधि से बाहर तक सामान लादने को गैर क़ानूनी घोषित किया गया है। | ||
====सरकारी विभागों की जिम्मेदारी==== | ====सरकारी विभागों की जिम्मेदारी==== | ||
सड़क सुरक्षा की नीति को सुदीर्घ आधार पर लागू करने के लिए कई सरकारी विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन विभागों की जवाबदेही और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सड़क सुरक्षा पर सरकारी एजेंसियों में बेहतर तालमेल स्थापित करने, संबंधित राज्य में सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तथा सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को न्यूनतम करने के लिए तकनीकी उपायों को लागू करने के लिए सभी राज्य सरकारों से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित करने को कहा गया है। राज्यों से अपनी सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्यनीति तैयार करने को भी कहा गया है। राज्यों से सड़क सुरक्षा की वार्षिक कार्यनीति के तहत पाँच [[वर्ष]] के महत्वांकाक्षी और हासिल करने योग्य लक्ष्य तय करने को भी कहा गया है। इसके अंतर्गत मापन योग्य परिणाम, विकास के लिए पर्याप्त राशि का निर्धारण, प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन योग्य कार्यनीति तैयार करनी होगी। सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों से उनके क्षेत्र में एक एजेंसी की पहचान करने और सड़क सुरक्षा कोष का निर्धारण करने तथा इस राशि का 50 प्रतिशत परिवहन नियमों की अवहेलना के दंड स्वरूप एकत्र करने को कहा गया है।<ref name="aa"/> | सड़क सुरक्षा की नीति को सुदीर्घ आधार पर लागू करने के लिए कई सरकारी विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन विभागों की जवाबदेही और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सड़क सुरक्षा पर सरकारी एजेंसियों में बेहतर तालमेल स्थापित करने, संबंधित राज्य में सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तथा सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को न्यूनतम करने के लिए तकनीकी उपायों को लागू करने के लिए सभी राज्य सरकारों से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित करने को कहा गया है। राज्यों से अपनी सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्यनीति तैयार करने को भी कहा गया है। राज्यों से सड़क सुरक्षा की वार्षिक कार्यनीति के तहत पाँच [[वर्ष]] के महत्वांकाक्षी और हासिल करने योग्य लक्ष्य तय करने को भी कहा गया है। इसके अंतर्गत मापन योग्य परिणाम, विकास के लिए पर्याप्त राशि का निर्धारण, प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन योग्य कार्यनीति तैयार करनी होगी। सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों से उनके क्षेत्र में एक एजेंसी की पहचान करने और सड़क सुरक्षा कोष का निर्धारण करने तथा इस राशि का 50 प्रतिशत परिवहन नियमों की अवहेलना के दंड स्वरूप एकत्र करने को कहा गया है।<ref name="aa"/> |
10:26, 5 जुलाई 2017 का अवतरण
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह
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विवरण | 'राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह' प्रत्येक वर्ष जनवरी महीने में मनाया जाता है। इस दिन यातायात सुरक्षा से सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। |
माह | जनवरी |
उद्देश्य | इस सप्ताह में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा आम जनता को यातायात के नियमों की आधारभूत जानकारी दी जाती है। |
विशेष | सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को न्यूनतम करने के लिए 'संयुक्त राष्ट्र' की योजना 'दशक 2011' लागू हो गई। |
संबंधित लेख | सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग, सड़क परिवहन |
अन्य जानकारी | सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिए भारत सरकार ने शीर्ष संस्था के रूप में 'राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद' का गठन किया है। |
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह (अंग्रेज़ी: National Road Safety Week) भारत में प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है। वर्ष 2015 में यह दिवस 11 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया गया था।[1] 'राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह' के तहत आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से आमजन को यातायात नियमों की आधारभूत जानकारी मिलती है। आकस्मिक कारक के रूप में सड़क दुर्घटनाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि कुल सड़क दुर्घटनाओं में 78.7 प्रतिशत चालकों की गलती से होती हैं। इस गलती के पीछे शराब/मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरुरत से अधिक भीड़ होना, वैध गति से अधिक तेज़ गाड़ी चलाना और थकान आदि होना है।
भारत में सड़क दुर्घटनाएँ
शहरीकरण और सड़क यातायात बढ़ने के कारण सड़कों पर सुरक्षा के मुद्दे और इनके समाधानों पर गंभीरता से विचार हो रहा है। दुनिया में भारत में सबसे अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर रहे हैं और इस कारण यह मुद्दा और भी गंभीर बन गया है। वर्ष 2011 में 4.97 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.42 लाख से अधिक लोगों की जानें गई। यह संख्या भारत में प्रति मिनट एक सड़क दुर्घटना और प्रत्येक चार मिनट में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौत का आंकड़ा दर्शाती है। वर्ष 2012 में इन आंकड़ों में कुछ कमी आई, जिसमें 4.90 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.38 लाख लोगों की जानें गईं। फिर भी यह संख्या विचलित करने वाली है।[2]
दुर्घटना विश्लेषण
आकस्मिक कारक के रूप में सड़क दुर्घटनाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि कुल सड़क दुर्घटनाओं में 78.7 प्रतिशत[3] चालकों की गलती से होती हैं। इस गलती के पीछे शराब/मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरुरत से अधिक भीड़ होना, वैध गति से अधिक तेज़ गाड़ी चलाना और थकान आदि होना है। चालकों की गलती को लगभग 80 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं का जिम्मेदार पाया गया है, इसलिए उन्हें जागरूक बनाना और यह महसूस कराना आवश्यक है कि जब वे क़ानून/उपायों का उल्लंघन करते हैं तो वे सड़कों पर हत्यारे बन जाते हैं।
सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता
सड़क सुरक्षा को राजनीतिक स्तर पर प्राथमिकता दी जा रही है। तदर्थ सड़क सुरक्षा गतिविधियों को सतत कार्यक्रमों में बदलने पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य क्षमता के अनुसार दीर्घकालीन और अंतरिम लक्ष्यों, नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करते समय वर्तमान सड़क सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के क्रमबद्ध मूल्यांकन की सिफारिश की गई है। इसके तहत उच्च स्तर पर सरकारी एजेंसियों, जैसे- परिवहन, पुलिस, स्वास्थ्य, न्याय और शिक्षा के वरिष्ठ प्रबंधन को, जो संभवत: अभी तक सक्रिय रूप से सम्मिलित नहीं हुआ है, को बहुस्तरीय रणनीति के अंतर्गत शामिल करना है। इसके अलावा सभी भागीदारों को सड़क सुरक्षा में अपना योगदान देना होगा।[2]
विभिन्न उपाय
'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' ने देश में सड़क दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए विभिन्न उपाय किये हैं-
- सरकार ने एक 'राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति' भी मंजूर की है, जिसके तहत विभिन्न उपायों में जागरूकता बढ़ाना, सड़क सुरक्षा सूचना पर आंकड़ें एकत्रित करना, सड़क सुरक्षा की बुनियादी संरचना के अंतर्गत कुशल परिवहन अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करना तथा सुरक्षा कानूनों को लागू करना शामिल हैं।
- सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिए भारत सरकार ने शीर्ष संस्था के रूप में 'राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद' का गठन किया है।
- मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से राज्य तथा ज़िला स्तर पर 'सड़क सुरक्षा परिषद' और समितियों की स्थापना करने का अनुरोध भी किया है।
- मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा पर चार स्तरों- शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग (सड़क और वाहनों) और आपात देखभाल के स्तर पर सुदीर्घ नीति अपनाई है। परियोजना चरण पर ही सड़क सुरक्षा को सड़क डिज़ाइन का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है।
- विभिन्न चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेस मार्गों पर सुरक्षा लेखा/आंकड़ें भी एकत्रित किये जा रहे हैं।
- वाहन चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए संस्थान स्थापित किए गए हैं।
- वाहन चलाते समय सुरक्षा उपायों, जैसे- हेलमेट, सीट बैल्ट, पॉवर स्टेयरिंग, रियर व्यू मिरर और सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित अभियान पर जोर दिया जा रहा है।
- 'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय', सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नवीन उपायों के तहत 'सड़क सुरक्षा सप्ताह', दूरदर्शन और रेडियो नेटवर्क से प्रचार, सड़क सुरक्षा पर सामग्री का वितरण, प्रकाशन, समाचार पत्रों में विज्ञापन तथा सड़क सुरक्षा पर सेमिनार, सम्मेलन और कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है।
- उपरोक्त के अतिरिक्त पाठ्य पुस्तकों में सड़क सुरक्षा पर एक अध्याय शामिल किया गया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-सीबीएसई ने कक्षा छह से कक्षा बारह के पाठ्यक्रम में ऐसे लेख शामिल किए हैं। राज्य सरकारों को राज्य शिक्षा बोर्ड के स्कूलों के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा से संबंधित लेख शामिल करने की सलाह भी दी गई है।[2]
दुर्घटना में घायलों का नि:शुल्क उपचार
एक प्रायोगिक कार्यक्रम के तहत खंड में राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर गुड़गांव-जयपुर सड़क दुर्घटना में घायलों को 48 घंटे तक 30 हज़ार रुपये तक का नि:शुल्क इलाज करवाने की योजना लागू की गई है। 13 राज्यों में दुर्घटना के सर्वाधिक संभावित 25 स्थलों, जहां 90 प्रतिशत दुर्घटनाएं होती रही है, की पहचान की गई है। इन स्थानों पर दुर्घटना से बचने के उपायों को लागू किया गया है। आपात देखभाल पर कार्य समिति की अनुशंसाओं के आधार पर 'राष्ट्रीय एंबुलेंस कोर्ड' तैयार किया गया है। इस कोर्ड के तहत देश में एंबुलेंस के चालन के लिए न्यूनतम मानक संबंधी दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। मालवाहक वाहनों में उनकी परिधि से बाहर तक सामान लादने को गैर क़ानूनी घोषित किया गया है।
सरकारी विभागों की जिम्मेदारी
सड़क सुरक्षा की नीति को सुदीर्घ आधार पर लागू करने के लिए कई सरकारी विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन विभागों की जवाबदेही और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सड़क सुरक्षा पर सरकारी एजेंसियों में बेहतर तालमेल स्थापित करने, संबंधित राज्य में सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तथा सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को न्यूनतम करने के लिए तकनीकी उपायों को लागू करने के लिए सभी राज्य सरकारों से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित करने को कहा गया है। राज्यों से अपनी सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्यनीति तैयार करने को भी कहा गया है। राज्यों से सड़क सुरक्षा की वार्षिक कार्यनीति के तहत पाँच वर्ष के महत्वांकाक्षी और हासिल करने योग्य लक्ष्य तय करने को भी कहा गया है। इसके अंतर्गत मापन योग्य परिणाम, विकास के लिए पर्याप्त राशि का निर्धारण, प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन योग्य कार्यनीति तैयार करनी होगी। सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों से उनके क्षेत्र में एक एजेंसी की पहचान करने और सड़क सुरक्षा कोष का निर्धारण करने तथा इस राशि का 50 प्रतिशत परिवहन नियमों की अवहेलना के दंड स्वरूप एकत्र करने को कहा गया है।[2]
'दशक 2011' योजना
सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को न्यूनतम करने की 'संयुक्त राष्ट्र' की योजना 'दशक 2011' से लागू हो गई। तीन वर्ष बीत जाने पर भी इस सिलसिले में अभी काफ़ी कुछ किया जाना बाकी है। भारत में सड़क सुरक्षा के लिए बजट को बढ़ाया जाना है। सभी राज्यों में सड़क सुरक्षा योजना, तंत्र को उपयुक्त तरीके से स्थापित किया जाना है। इसमें सड़क सुरक्षा से संबंधित नियमों का सख्ती से पाल कराना और अवहेलना करने वालों को दंडित किया जाना भी सुनिश्चित करना है। सड़क सुरक्षा के लिए सांसदों और व्यवसायी का योगदान प्राप्त करने के लिए एमपीएलएडी और सीएसआर कोष में से कुछ राशि सड़क सुरक्षा कोष में दी जा सकती है। सभी भागीदारों के सामूहिक प्रयासों से सड़कों को सुरक्षित बनाने और दुर्घटना से पीड़ितों की संख्या को न्यूनतम कर संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का लक्ष्य
'संयुक्त राष्ट्र महासभा' ने 2011-2020 को सड़क सुरक्षा के लिए कार्रवाई दशक के रूप में अपनाया है और सड़क दुर्घटनाओं से वैश्विक स्तर पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों की पहचान करने के साथ-साथ इस अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 'अंतर्राष्ट्रीय सड़क संघ' के अध्यक्ष के. के. कपिल का कहना है कि "विश्व में सड़क दुर्घटनाओं में प्रत्येक वर्ष 1.2 मिलियन व्यक्ति मारे जाते हैं और 50 मिलियन प्रभावित होते हैं। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के अनुसार यदि इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है तो वर्ष 2030 तक विश्व में सड़क दुर्घटनाएं लोगों की मौत का पांचवां बड़ा कारण बन जायेगी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह (हिन्दी) इण्डिया सेलीब्रेटिंग। अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2015।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 2.3 भारत में सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता (हिन्दी) आवाज ए हिन्द। अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2015।
- ↑ 3,85,934 दुर्घटनाएं
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