"वालर नृत्य": अवतरणों में अंतर
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![](/w/images/thumb/4/4e/Valar-Folk-Dance-Rajasthan.jpg/250px-Valar-Folk-Dance-Rajasthan.jpg)
वालर नृत्य गरासिया जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। यह नृत्य स्त्री-पुरुष द्वारा मिलकर किया जाता है। नृत्य को बिना वाद्य यंत्र के धीमी गति से किया जाता है।
- वालर नृत्य में दो अर्द्धवृत बनते हैं, बाहर के अर्द्धवृत में पुरुष तथ अन्दर के अर्द्धवृत में महिलाएं होती हैं।
- नृत्य का प्रारम्भ एक पुरुष हाथ में छाता या तलवार लेकर करता है।
- इस नृत्य में पुरुष-स्त्रियाँ गीत के साथ नृत्य प्रारम्भ करते हैं। पुरुषों के गीत की पंक्ति की समाप्ति से एक पंक्ति पहले स्त्रियाँ गीत उठा लेती हैं।
- यह नृत्य विशेषकर राजस्थान के सिरोही क्षेत्र में किया जाता है।
- इस नृत्य में नर्तक व नर्तकी अपने आगे वाले नर्तक व नर्तकी के कंधे पर अपना दायाँ हाथ रखते हैं।
- वालर नृत्य को 'गरासिया घूमर' भी कहते हैं।
- पडियाँ कौढी काल जैसे गीतों के साथ यह नृत्य सम्पन होता है।
- नृत्य विवाह के अलावा होली व गणगौर पर भी किया जाता है।
इन्हें भी देखें: गरासिया जनजाति, राजस्थान की संस्कृति एवं राजस्थान की जनजातियाँ
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