"राय सिंह यादव": अवतरणों में अंतर
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'''ब्रिगेडियर राय सिंह यादव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Brigadier Rai Singh Yadav'', जन्म- [[17 मार्च]], [[1925]]; | {{सूचना बक्सा सैनिक | ||
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}}'''ब्रिगेडियर राय सिंह यादव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Brigadier Rai Singh Yadav'', जन्म- [[17 मार्च]], [[1925]]; मृत्यु- [[23 मार्च]], [[2017]]) [[भारतीय सेना]] में अधिकारी थे, जो सन [[1967]] में नाथू ला और चो ला संघर्ष में अपनी वीरता के लिये जाने जाते थे। उन्होंने संघर्षों के दौरान अनुकरणीय साहस और नेतृत्व का प्रदर्शन किया, जिसके लिए उन्हें [[भारत]] के दूसरे सर्वोच्च सैन्य सम्मान '[[महावीर चक्र]]' से सम्मानित किया गया था। राय सिंह यादव को '''नाथू ला के बाघ''' के रूप में भी जाना जाता है। | |||
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09:08, 22 अक्टूबर 2022 का अवतरण
राय सिंह यादव
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पूरा नाम | ब्रिगेडियर राय सिंह यादव |
अन्य नाम | नाथू ला का बाघ |
जन्म | 17 मार्च, 1925 |
जन्म भूमि | कोसली, गुड़वाँव, पंजाब (अब ज़िला रेवाड़ी, हरियाणा) |
मृत्यु | 23 मार्च, 2017 |
अभिभावक | पिता- राय साहिब गणपत सिंह |
सेना | भारतीय सेना |
रैंक | ब्रिगेडियर |
यूनिट | ग्रेनेडियर्स |
युद्ध | नाथू ला और चो ला संघर्ष, 1967 |
सम्मान | महावीर चक्र |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | भारतीय हिन्दी सिनेमा में 'पलटन' नाम से एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी, जो रणबांकुरे राय सिंह यादव की शौर्यगाथा पर आधारित है। |
ब्रिगेडियर राय सिंह यादव (अंग्रेज़ी: Brigadier Rai Singh Yadav, जन्म- 17 मार्च, 1925; मृत्यु- 23 मार्च, 2017) भारतीय सेना में अधिकारी थे, जो सन 1967 में नाथू ला और चो ला संघर्ष में अपनी वीरता के लिये जाने जाते थे। उन्होंने संघर्षों के दौरान अनुकरणीय साहस और नेतृत्व का प्रदर्शन किया, जिसके लिए उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च सैन्य सम्मान 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया था। राय सिंह यादव को नाथू ला के बाघ के रूप में भी जाना जाता है।
परिचय
राय सिंह यादव का जन्म 17 मार्च सन 1925 को (आज़ादी से पूर्व) कोसली, गुड़वाँव, पंजाब (अब ज़िला रेवाड़ी, हरियाणा) में हुआ था। उनके पिता का नाम राय साहिब गणपत सिंह था जो 1920 के दशक में ब्रिटिश भारतीय सेना में कार्यरत थे। राय सिंह यादव ने अपनी शिक्षा कैम्ब्रिज किंग जॉर्ज मिलिट्री स्कूल, जालंधर से की थी।
शौर्य गाथा
सन 1962 में चीन से करारी हार के बाद चीन भारतीय सीमा पर बहुत हावी था। 1967 में नाथू ला पोस्ट पर नापाक चीनी चढ़ आये और भारतीय फौज को डराने लगे। उस समय चंद्रवंशी अहीर क्षत्रियों के प्रसिद्ध कोसली ठिकाने के यदुवंशी जंगी-सरदार लेफ्टिनेंट कर्नल राव साहिब राय सिंह यादव जो एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे, उन्होंने चीनियों को ललकारा। उनकी फौजी टुकड़ी चीनियों के सामने डट गयी। इस टुकड़ी में अहीर, राजपूत, सिक्ख आदि कई शूरवीर सैनिक थे।
आमने-सामने की जंग शुरू हो गयी। कर्नल राय सिंह यादव के पेट में मशीन-गन का बर्स्ट लगा और वो गंभीर रूप से घायल हो गये, लेकिन इस जंगबाज़ ने मोर्चा नहीं छोड़ा और चीनियों को मार भगाया। इस लड़ाई के बाद चीनी पीछे हट गये और 1962 की हार का बदला ले लिए गया।
महावीर चक्र
असाधारण वीरता और सरदारी के लिए राव राय सिंह यादव को बहादुरी के दूसरे सबसे बड़े सम्मान 'महावीर चक्र' से नवाज़ा गया। इनके अतिरिक्त सरदार मेजर हरभजन सिंह को भी असीम साहस दिखाने क लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाज़ा गया।
मृत्यु
ब्रिगेडियर पद से सेवानिवृत्त राय सिंह यादव की मृत्यु 23 मार्च, 2017 को हुई।
भारतीय हिन्दी सिनेमा में 'पलटन' नाम से एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी, जो रणबांकुरे राय सिंह यादव की शौर्यगाथा पर आधारित है। जिसमें राय सिंह यादव का किरदार अभिनेता अर्जुन रामपाल ने निभाया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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