"सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर": अवतरणों में अंतर
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|निर्माण काल=19 वीं शताब्दी | |||
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|भौगोलिक स्थिति=उत्तर- 24.576°; पूर्व- 73.683° | |||
|मार्ग स्थिति=सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 2.4 किलोमीटर की दूरी पर है। | |||
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|हवाई अड्डा=महाराणा प्रताप हवाई अड्डा डबौक | |||
|रेलवे स्टेशन=उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन | |||
|बस अड्डा=बस अड्डा उदयपुर | |||
|कैसे पहुँचें=टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा | |||
|क्या देखें=महल, झीलें, बगीचें, संग्रहालय तथा स्मारक | |||
|कहाँ ठहरें=होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह | |||
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|संबंधित लेख= | |||
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इसके बाद यहाँ महल तथा चौक मिलने आरम्भ होते हैं। इन सभी में इनके बनने का समय तथा इन्हें बनाने वाले का उल्लेख मिलता है। | इसके बाद यहाँ महल तथा चौक मिलने आरम्भ होते हैं। इन सभी में इनके बनने का समय तथा इन्हें बनाने वाले का उल्लेख मिलता है। |
11:31, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर
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विवरण | सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर में सिटी पैलेस काम्पलेक्स के अंदर स्थित है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | उदयपुर ज़िला |
निर्माण काल | 19 वीं शताब्दी |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 24.576°; पूर्व- 73.683° |
मार्ग स्थिति | सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 2.4 किलोमीटर की दूरी पर है। |
प्रसिद्धि | मेवाड़ शैली में बने हुए चित्र |
कब जाएँ | अक्टूबर से फ़रवरी |
कैसे पहुँचें | टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा |
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महाराणा प्रताप हवाई अड्डा डबौक |
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उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन |
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बस अड्डा उदयपुर |
क्या देखें | महल, झीलें, बगीचें, संग्रहालय तथा स्मारक |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
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गूगल मानचित्र |
अद्यतन | 17:01, 29 अगस्त 2011 (IST)
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उदयपुर राजस्थान का एक ख़ूबसूरत शहर है। और उदयपुर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। सिटी पैलेस के संग्रहालय में जाने के लिए गणेश दहरी से प्रवेश किया जाता है। यह रास्ता आगे राज्य आँगन की ओर जाता है यहीं पर वह स्थान है जहाँ महाराणा उदयसिंह उस संत से मिले थे, जिसने उन्हें यहाँ पर शहर बनाने के लिए कहा था। राजस्थान, उदयपुर के एक शस्त्र संग्रहालय में सुरक्षात्मक औज़ारों और हथियारों के साथ जानलेवा दो धारी तलवार भी शामिल हैं। इस महल के कमरे शीशों, टाइलों और तस्वीरों से सजे हुए हैं।
यहाँ के सभी चित्र मेवाड़ शैली में बने हुए हैं। उदयपुर संग्रहालय में प्रवेश करते ही आप की नज़र कुछ बेहतरीन चित्रों पर पड़ेगी। यह चित्र श्रीनाथजी, एकलिंगजी तथा चतुर्भुजजी जी के हैं।
इसके बाद यहाँ महल तथा चौक मिलने आरम्भ होते हैं। इन सभी में इनके बनने का समय तथा इन्हें बनाने वाले का उल्लेख मिलता है।
- सबसे पहले राज्य आँगन मिलता है।
- राज्य आँगन बाद चंद्र महल आता है। यहाँ से पिछोला झील का बहुत सुंदर नजारा दिखता है।
- बादी महल या अमर विलास महल पत्थरों से बना हुआ है। इस भवन के साथ बगीचा भी लगा हुआ है। भवन में काँच का बुर्ज एक कमरा है जो लाल रंग के शीशे से बना हुआ है।
- कृष्णा निवास में मेवाड़ शैली के बहुत से चित्र बने हुए है। इसका एक कमरा जेम्स टोड को समर्पित है। इसमें टोड का लिखा हुआ इतिहास तथा उनके कुछ चित्र हैं।
- मोर चौक का निर्माण 1620 ई.में हुआ था। 19वीं शताब्दी में इसमें तीन नाचते हुए हिरण की मूर्त्ति स्थापित की गई।
- जनाना महल राजपरिवार की महिलाओं का निवास स्थान था।
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