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'''संघमित्रा''', राजकुमार [[महेन्द्र]] की भगिनी (बहिन) थी। उत्तर [[भारत]] की [[बुद्ध]] अनुश्रुतियों के आधार पर महेन्द्र को मौर्य सम्राट [[अशोक]] का भाई माना गया है। यद्यपि [[सिंहली]] ग्रन्थों और अनुश्रुतियों में संघमित्रा और महेन्द्र भाई-बहिन तथा अशोक की शाक्य रानी [[विदिशा देवी]] से उत्पन्न कहे गये हैं। सिंहली ग्रन्थों के अनुसार महेन्द्र बौद्ध भिक्षुओं के एक दल का नेतृत्व करता हुआ [[श्रीलंका]] गया और वहाँ के सभी निवासियों को [[बौद्ध धर्म]] में दीक्षित किया। संघमित्रा भी महेन्द्र के साथ बौद्ध धर्म के प्रचार कार्य में सहयोग देने के लिए श्रीलंका गई थी। उसने भी वहाँ के राजा [[तिष्य]] से समस्त परिवार के साथ ही अन्य स्त्रियों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। आज भी लंका में उसका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। | *'''संघमित्रा''', राजकुमार [[महेंद्र (अशोक का पुत्र)|महेन्द्र]] की भगिनी (बहिन) थी। उत्तर [[भारत]] की [[बुद्ध]] अनुश्रुतियों के आधार पर महेन्द्र को मौर्य सम्राट [[अशोक]] का भाई माना गया है। यद्यपि [[सिंहली]] ग्रन्थों और [[अनुश्रुति|अनुश्रुतियों]] में संघमित्रा और महेन्द्र भाई-बहिन तथा अशोक की शाक्य रानी [[देवी (अशोक की पत्नी)|विदिशा देवी]] से उत्पन्न कहे गये हैं। | ||
*महावंश से पता चलता है कि अशोक के सबसे बड़े पुत्र महेंद्र और उसकी पुत्री संघमित्रा ने अशोक के अभिषेक के छ्ठे वर्ष में 'प्रवज्या' ली थी। उस समय उनकी उम्र क्रमश: 20 और 18 वर्ष थी। अब यदि अशोक के अभिषेक के तिथि ई.पू. 270 हो तो महेंद्र का जन्म ई.पू. 284 और संघमित्रा का जन्म ई.पू. 282 में हुआ होगा। यह भी उल्लेखनीय है कि अशोक के दामाद [[अग्निब्रह्मा]] ने उसके अभिषेक के चौथे वर्ष अर्थात ई.पू. 266 में 'प्रवज्या' ली थी। उस समय वह एक बेटे का बाप बा चुका था। इस प्रकार संघमित्रा से उसका विवाह ई.पू. 268 में अवश्य हो गया होगा, जब संघमित्रा की उम्र चौदह वर्ष रही होगी।<ref>{{cite book | last =मुखर्जी| first =राधाकुमुद| title =अशोक| edition = | publisher =मोतीलाल बनारसीदास| location =नई दिल्ली| language =हिंदी| pages =7-8 | chapter =}}</ref> | |||
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08:31, 27 सितम्बर 2011 का अवतरण
- संघमित्रा, राजकुमार महेन्द्र की भगिनी (बहिन) थी। उत्तर भारत की बुद्ध अनुश्रुतियों के आधार पर महेन्द्र को मौर्य सम्राट अशोक का भाई माना गया है। यद्यपि सिंहली ग्रन्थों और अनुश्रुतियों में संघमित्रा और महेन्द्र भाई-बहिन तथा अशोक की शाक्य रानी विदिशा देवी से उत्पन्न कहे गये हैं।
- महावंश से पता चलता है कि अशोक के सबसे बड़े पुत्र महेंद्र और उसकी पुत्री संघमित्रा ने अशोक के अभिषेक के छ्ठे वर्ष में 'प्रवज्या' ली थी। उस समय उनकी उम्र क्रमश: 20 और 18 वर्ष थी। अब यदि अशोक के अभिषेक के तिथि ई.पू. 270 हो तो महेंद्र का जन्म ई.पू. 284 और संघमित्रा का जन्म ई.पू. 282 में हुआ होगा। यह भी उल्लेखनीय है कि अशोक के दामाद अग्निब्रह्मा ने उसके अभिषेक के चौथे वर्ष अर्थात ई.पू. 266 में 'प्रवज्या' ली थी। उस समय वह एक बेटे का बाप बा चुका था। इस प्रकार संघमित्रा से उसका विवाह ई.पू. 268 में अवश्य हो गया होगा, जब संघमित्रा की उम्र चौदह वर्ष रही होगी।[1]
- सिंहली ग्रन्थों के अनुसार महेन्द्र बौद्ध भिक्षुओं के एक दल का नेतृत्व करता हुआ श्रीलंका गया और वहाँ के सभी निवासियों को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया। संघमित्रा भी महेन्द्र के साथ बौद्ध धर्म के प्रचार कार्य में सहयोग देने के लिए श्रीलंका गई थी। उसने भी वहाँ के राजा तिष्य से समस्त परिवार के साथ ही अन्य स्त्रियों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। आज भी लंका में उसका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-458
- ↑ मुखर्जी, राधाकुमुद अशोक (हिंदी)। नई दिल्ली: मोतीलाल बनारसीदास, 7-8।