"गोंड": अवतरणों में अंतर
(→निवास) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''गोंड''' [[मध्य प्रदेश]] की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा | '''गोंड''' [[मध्य प्रदेश]] की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। [[मुग़ल]] शासकों और [[मराठा]] शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। | ||
====आबादी==== | ====आबादी==== | ||
गोंडों की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मध्य प्रदेश में है। शेष का अधिकांश भाग 'संकलन', [[आन्ध्र प्रदेश]] एवं [[उड़ीसा]] में बसा हुआ है। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान [[मध्य प्रदेश]] एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें छिंदवाड़ा, बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ छत्तीसगढ़ राज्य, [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में एवं [[बालाघाट]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़]], [[दुर्ग छत्तीसगढ़|दुर्ग]], [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़]], [[रायसेन ज़िला|रायसेन]] और [[खरगोन]] ज़िलों में भी हैं। उड़ीसा के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा आन्ध्र प्रदेश के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है। | गोंडों की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मध्य प्रदेश में निवास करती है। शेष आबादी का अधिकांश भाग 'संकलन', [[आन्ध्र प्रदेश]] एवं [[उड़ीसा]] में बसा हुआ है। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान [[मध्य प्रदेश]] एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ छत्तीसगढ़ राज्य, [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में एवं [[बालाघाट]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़]], [[दुर्ग छत्तीसगढ़|दुर्ग]], [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़]], [[रायसेन ज़िला|रायसेन]] और [[खरगोन]] ज़िलों में भी हैं। उड़ीसा के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा आन्ध्र प्रदेश के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है। | ||
====निवास==== | ====निवास==== | ||
गोंड जनजाति का निवास क्षेत्र 17.46 डिग्री से 23.22 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 80 डिग्री तथा 83 डिग्री पूर्वी देशांतरों के बीच है। | गोंड जनजाति का निवास क्षेत्र 17.46 डिग्री से 23.22 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 80 डिग्री तथा 83 डिग्री पूर्वी देशांतरों के बीच है। |
13:25, 11 फ़रवरी 2012 का अवतरण
गोंड मध्य प्रदेश की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया।
आबादी
गोंडों की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मध्य प्रदेश में निवास करती है। शेष आबादी का अधिकांश भाग 'संकलन', आन्ध्र प्रदेश एवं उड़ीसा में बसा हुआ है। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के पठारी भाग, जिसमें छिंदवाड़ा, बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें बस्तर ज़िला सम्मिलित है, आते हैं। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ छत्तीसगढ़ राज्य, गोदावरी एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में एवं बालाघाट, बिलासपुर छत्तीसगढ़, दुर्ग, रायगढ़, रायसेन और खरगोन ज़िलों में भी हैं। उड़ीसा के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा आन्ध्र प्रदेश के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है।
निवास
गोंड जनजाति का निवास क्षेत्र 17.46 डिग्री से 23.22 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 80 डिग्री तथा 83 डिग्री पूर्वी देशांतरों के बीच है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख