"डप्पू नृत्य": अवतरणों में अंतर

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*इस नृत्य के नर्तक डप्पू वाद्य को कंधे पर रखकर लकड़ी के छोटे-छोटे डंडे से बजाते हैं।
*इस नृत्य के नर्तक डप्पू वाद्य को कंधे पर रखकर लकड़ी के छोटे-छोटे डंडे से बजाते हैं।
*नर्तकों द्वारा डप्पू वाद्य लकड़ी के खोल पर बकरी का चमड़ा लगाकर तैयार किया जाता है।
*नर्तकों द्वारा डप्पू वाद्य लकड़ी के खोल पर बकरी का चमड़ा लगाकर तैयार किया जाता है।
*कलाकार अलग-अलग घुनों पर पैरों की लयबद्ध पंक्तियों में डप्पू नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
*कलाकार अलग-अलग घुनों पर पैरों की लयबद्ध पंक्तियों में डप्पू नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
*तेलंगाना क्षेत्र का यह रिवाज है कि किसी भी शोभा-यात्रा या जुलूस में डप्पू नृत्य की प्रथमत: प्रस्तुति की जाती है।
*तेलंगाना क्षेत्र का यह रिवाज है कि किसी भी शोभा-यात्रा या जुलूस में डप्पू नृत्य की प्रथमत: प्रस्तुति की जाती है।

11:25, 18 अक्टूबर 2012 का अवतरण

डप्पू नृत्य आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र का पारम्परिक नृत्य है। यह नृत्य दशहरा एवं विवाह आदि के विशेष अवसरों पर तथा मेलों में किया जाता है।

  • इस नृत्य के नर्तक डप्पू वाद्य को कंधे पर रखकर लकड़ी के छोटे-छोटे डंडे से बजाते हैं।
  • नर्तकों द्वारा डप्पू वाद्य लकड़ी के खोल पर बकरी का चमड़ा लगाकर तैयार किया जाता है।
  • कलाकार अलग-अलग घुनों पर पैरों की लयबद्ध पंक्तियों में डप्पू नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
  • तेलंगाना क्षेत्र का यह रिवाज है कि किसी भी शोभा-यात्रा या जुलूस में डप्पू नृत्य की प्रथमत: प्रस्तुति की जाती है।


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