"विश्व गौरैया दिवस": अवतरणों में अंतर
(''''विश्व गौरैया दिवस''' (''World Sparrow Day'') प्रत्येक वर्ष '[[20 मार...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
'विश्व गौरैया दिवस' पहली बार [[वर्ष]] [[2010]] में मनाया गया था। यह दिवस प्रत्येक वर्ष [[20 मार्च]] को पूरी दुनिया में [[गौरैया|गौरैया पक्षी]] के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। | 'विश्व गौरैया दिवस' पहली बार [[वर्ष]] [[2010]] में मनाया गया था। यह दिवस प्रत्येक वर्ष [[20 मार्च]] को पूरी दुनिया में [[गौरैया|गौरैया पक्षी]] के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। | ||
====उद्देश्य==== | ====उद्देश्य==== | ||
एक-दो दशक पहले हमारे घर-आंगन में फुदकने वाली गौरैया आज विलुप्ति के कगार पर है। इस नन्हें से परिंदे को बचाने के लिए ही पिछले तीन सालों से प्रत्येक 20 मार्च को 'विश्व गौरैया दिवस' के रूप में मनाते आ रहे हैं, ताकि लोग इस नन्हीं-सी चिड़िया के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। [[भारत]] में गौरैया की संख्या लगातार घटती ही जा रही है। कुछ वर्षों पहले आसानी से दिख जाने वाला यह पक्षी अब तेज़ी से विलुप्त हो रहा है। [[दिल्ली]] में तो गौरैया इस कदर दुर्लभ हो गई है कि ढूंढे से भी ये पक्षी नहीं मिलता, इसलिए [[वर्ष]] [[2012]] में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया।<ref>{{cite web |url= http://gaureya.blogspot.in/2013/03/20-March-2013-World-Sparrow-day.html|title= विश्व गौरैया दिवस पर विशेष|accessmonthday= 25 जनवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= गौरैया|language= हिन्दी}}</ref> | एक-दो दशक पहले हमारे घर-आंगन में फुदकने वाली गौरैया आज विलुप्ति के कगार पर है। इस नन्हें से परिंदे को बचाने के लिए ही पिछले तीन सालों से प्रत्येक 20 मार्च को 'विश्व गौरैया दिवस' के रूप में मनाते आ रहे हैं, ताकि लोग इस नन्हीं-सी चिड़िया के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। [[भारत]] में गौरैया की संख्या लगातार घटती ही जा रही है। कुछ वर्षों पहले आसानी से दिख जाने वाला यह पक्षी अब तेज़ी से विलुप्त हो रहा है। [[दिल्ली]] में तो गौरैया इस कदर दुर्लभ हो गई है कि ढूंढे से भी ये पक्षी नहीं मिलता, इसलिए [[वर्ष]] [[2012]] में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया।<ref>{{cite web |url= http://gaureya.blogspot.in/2013/03/20-March-2013-World-Sparrow-day.html|title= विश्व गौरैया दिवस पर विशेष|accessmonthday= 25 जनवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= गौरैया|language= गौरैया}}</ref> | ||
==संकटग्रस्त पक्षी 'गौरैया'== | |||
पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को चुग्गा खिलाया करती थी तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे, लेकिन अब तो इसके दर्शन भी मुश्किल हो गए हैं और यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है। पक्षी विज्ञानी हेमंत सिंह के अनुसार [[गौरैया]] की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया [[इतिहास]] का प्राणी बन जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले। [[ब्रिटेन]] की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्डस’ ने [[भारत]] से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/forest-tourism/%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9A%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-112032000133_1.htm|title= गौरैया:विलुप्त प्रजातियों की सूची में|accessmonthday= 25 जनवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया|language= हिन्दी}}</ref> | |||
'आंध्र विश्वविद्यालय' द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक गौरैया की आबादी में करीब 60 फीसदी की कमी आई है। यह ह्रास ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों में हुआ है। पश्चिमी देशों में हुए अध्ययनों के अनुसार गौरैया की आबादी घटकर खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। गौरैया पर मंडरा रहे खतरे के कारण ही सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद मोहम्मद ई दिलावर जैसे लोगों के प्रयासों से आज दुनिया भर में [[20 मार्च]] को 'विश्व गौरैया दिवस' मानाया जाता है, ताकि लोग इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। दिलावर द्वारा शुरू की गई पहल पर ही आज बहुत से लोग गौरैया बचाने की कोशिशों में जुट रहे हैं। | |||
==घटती संख्या के कारण== | |||
[[गौरैया]] की घटती संख्या के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं- | |||
#भोजन और [[जल]] की कमी | |||
#घोसलों के लिए उचित स्थानों की कमी | |||
#तेज़ी से कटते पेड़-पौधे | |||
#गौरैया के बच्चों का भोजन शुरूआती दस-पन्द्रह दिनों में सिर्फ कीड़े-मकोड़े ही होते है, लेकिन आजकल लोग खेतों से लेकर अपने गमले के पेड़-पौधों में भी रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिससे ना तो पौधों को कीड़े लगते हैं और ना ही इस पक्षी का समुचित भोजन पनप पाता है। इसलिए गौरैया समेत दुनिया भर के हज़ारों पक्षी आज या तो विलुप्त हो चुके हैं या फिर किसी कोने में अपनी अन्तिम सांसे गिन रहे हैं।<ref>{{cite web |url= http://gaureya.blogspot.in/2014/03/World-Sparrow-day-or-Vishv-Gauraiya-Divas.html|title=विश्व गौरैया दिवस|accessmonthday= 25 जनवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= गौरैया|language= गौरैया}}</ref> | |||
#आवासीय ह्रास, अनाज में कीटनाशकों के इस्तेमाल, आहार की कमी और मोबाइल फोन तथा मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें गौरैया के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं। | |||
#आज लोगों में गौरैया को लेकर जागरूकता पैदा किए जाने की जरूरत है, क्योंकि कई बार लोग अपने घरों में इस पक्षी के घोंसले को बसने से पहले ही उजाड़ देते हैं। | |||
#कई बार बच्चे इन्हें पकड़कर पहचान के लिए इनके पैर में धागा बांधकर इन्हें छोड़ देते हैं। इससे कई बार किसी पेड़ की टहनी या शाखाओं में अटक कर इस पक्षी की जान चली जाती है। इतना ही नहीं कई बार बच्चे गौरैया को पकड़कर इसके पंखों को [[रंग]] देते हैं, जिससे उसे उड़ने में दिक्कत होती है और उसके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।<ref name="aa"/> | |||
==पक्षी विज्ञानियों की सलाह== | |||
पक्षी विज्ञानियों के अनुसार [[गौरैया]] को फिर से बुलाने के लिए लोगों को अपने घरों में कुछ ऐसे स्थान उपलब्ध कराने चाहिए, जहां वे आसानी से अपने घोंसले बना सकें और उनके अंडे तथा बच्चे हमलावर पक्षियों से सुरक्षित रह सकें। वैज्ञानिकों का मानना है कि गौरैया की आबादी में ह्रास का एक बड़ा कारण यह भी है कि कई बार उनके घोंसले सुरक्षित जगहों पर न होने के कारण कौए जैसे हमलावर पक्षी उनके अंडों तथा बच्चों को खा जाते हैं। | |||
गौरैया आजकल अपने अस्तित्व के लिए मनुष्यों और अपने आसपास के वातावरण से काफ़ी जद्दोजहद कर रही है। ऐसे समय में हमें इन पक्षियों के लिए वातावरण को इनके प्रति अनुकूल बनाने में सहायता प्रदान करनी चाहिए। तभी ये हमारे बीच चह चहायेंगे। मनुष्यों को गौरैया के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही होगा, वरना यह भी मॉरीशस के 'डोडो' पक्षी और गिद्ध की तरह पूरी तरह से विलुप्त हो जायेंगे। इसलिए सभी को मिलकर [[गौरैया]] का संरक्षण करना होगा। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
10:50, 25 जनवरी 2015 का अवतरण
विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) प्रत्येक वर्ष '20 मार्च' को मनाया जाता है। यह दिवस पूरी दुनिया में गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। घरों को अपनी चीं-चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती। इस छोटे आकार वाले खूबसूरत पक्षी का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे बचपन से इसे देखते बड़े हुआ करते थे। अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफ़ी कम कर दी है और कहीं-कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती।
शुरुआत
'विश्व गौरैया दिवस' पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था। यह दिवस प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को पूरी दुनिया में गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।
उद्देश्य
एक-दो दशक पहले हमारे घर-आंगन में फुदकने वाली गौरैया आज विलुप्ति के कगार पर है। इस नन्हें से परिंदे को बचाने के लिए ही पिछले तीन सालों से प्रत्येक 20 मार्च को 'विश्व गौरैया दिवस' के रूप में मनाते आ रहे हैं, ताकि लोग इस नन्हीं-सी चिड़िया के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। भारत में गौरैया की संख्या लगातार घटती ही जा रही है। कुछ वर्षों पहले आसानी से दिख जाने वाला यह पक्षी अब तेज़ी से विलुप्त हो रहा है। दिल्ली में तो गौरैया इस कदर दुर्लभ हो गई है कि ढूंढे से भी ये पक्षी नहीं मिलता, इसलिए वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया।[1]
संकटग्रस्त पक्षी 'गौरैया'
पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को चुग्गा खिलाया करती थी तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे, लेकिन अब तो इसके दर्शन भी मुश्किल हो गए हैं और यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है। पक्षी विज्ञानी हेमंत सिंह के अनुसार गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास का प्राणी बन जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले। ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्डस’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है।[2]
'आंध्र विश्वविद्यालय' द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक गौरैया की आबादी में करीब 60 फीसदी की कमी आई है। यह ह्रास ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों में हुआ है। पश्चिमी देशों में हुए अध्ययनों के अनुसार गौरैया की आबादी घटकर खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। गौरैया पर मंडरा रहे खतरे के कारण ही सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद मोहम्मद ई दिलावर जैसे लोगों के प्रयासों से आज दुनिया भर में 20 मार्च को 'विश्व गौरैया दिवस' मानाया जाता है, ताकि लोग इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। दिलावर द्वारा शुरू की गई पहल पर ही आज बहुत से लोग गौरैया बचाने की कोशिशों में जुट रहे हैं।
घटती संख्या के कारण
गौरैया की घटती संख्या के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- भोजन और जल की कमी
- घोसलों के लिए उचित स्थानों की कमी
- तेज़ी से कटते पेड़-पौधे
- गौरैया के बच्चों का भोजन शुरूआती दस-पन्द्रह दिनों में सिर्फ कीड़े-मकोड़े ही होते है, लेकिन आजकल लोग खेतों से लेकर अपने गमले के पेड़-पौधों में भी रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिससे ना तो पौधों को कीड़े लगते हैं और ना ही इस पक्षी का समुचित भोजन पनप पाता है। इसलिए गौरैया समेत दुनिया भर के हज़ारों पक्षी आज या तो विलुप्त हो चुके हैं या फिर किसी कोने में अपनी अन्तिम सांसे गिन रहे हैं।[3]
- आवासीय ह्रास, अनाज में कीटनाशकों के इस्तेमाल, आहार की कमी और मोबाइल फोन तथा मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें गौरैया के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं।
- आज लोगों में गौरैया को लेकर जागरूकता पैदा किए जाने की जरूरत है, क्योंकि कई बार लोग अपने घरों में इस पक्षी के घोंसले को बसने से पहले ही उजाड़ देते हैं।
- कई बार बच्चे इन्हें पकड़कर पहचान के लिए इनके पैर में धागा बांधकर इन्हें छोड़ देते हैं। इससे कई बार किसी पेड़ की टहनी या शाखाओं में अटक कर इस पक्षी की जान चली जाती है। इतना ही नहीं कई बार बच्चे गौरैया को पकड़कर इसके पंखों को रंग देते हैं, जिससे उसे उड़ने में दिक्कत होती है और उसके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।[2]
पक्षी विज्ञानियों की सलाह
पक्षी विज्ञानियों के अनुसार गौरैया को फिर से बुलाने के लिए लोगों को अपने घरों में कुछ ऐसे स्थान उपलब्ध कराने चाहिए, जहां वे आसानी से अपने घोंसले बना सकें और उनके अंडे तथा बच्चे हमलावर पक्षियों से सुरक्षित रह सकें। वैज्ञानिकों का मानना है कि गौरैया की आबादी में ह्रास का एक बड़ा कारण यह भी है कि कई बार उनके घोंसले सुरक्षित जगहों पर न होने के कारण कौए जैसे हमलावर पक्षी उनके अंडों तथा बच्चों को खा जाते हैं।
गौरैया आजकल अपने अस्तित्व के लिए मनुष्यों और अपने आसपास के वातावरण से काफ़ी जद्दोजहद कर रही है। ऐसे समय में हमें इन पक्षियों के लिए वातावरण को इनके प्रति अनुकूल बनाने में सहायता प्रदान करनी चाहिए। तभी ये हमारे बीच चह चहायेंगे। मनुष्यों को गौरैया के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही होगा, वरना यह भी मॉरीशस के 'डोडो' पक्षी और गिद्ध की तरह पूरी तरह से विलुप्त हो जायेंगे। इसलिए सभी को मिलकर गौरैया का संरक्षण करना होगा।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विश्व गौरैया दिवस पर विशेष (गौरैया) गौरैया। अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2015।
- ↑ 2.0 2.1 गौरैया:विलुप्त प्रजातियों की सूची में (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2015।
- ↑ विश्व गौरैया दिवस (गौरैया) गौरैया। अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
- विश्व गौरैया दिवस, गौरैया प्यारी
- ओ री गौरैया (विश्व गौरैया दिवस पर...)
- विश्व गौरैया दिवस पर श्रद्धा थवाईत का आलेख
संबंधित लेख