"प्रयोग:कविता बघेल": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 659: | पंक्ति 659: | ||
-विलियम जोंस | -विलियम जोंस | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||खेलों में [[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] एक आधुनिक खेल माना जाता है। यह खेल [[अमेरिका]] के डॉ. जेम्स नाइस्मिथ ने वर्ष [[1891]] में स्प्रिंग फील्ड महाविद्यालय में एक चार दीवारी | ||खेलों में [[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] एक आधुनिक खेल माना जाता है। यह खेल [[अमेरिका]] के डॉ. जेम्स नाइस्मिथ ने वर्ष [[1891]] में स्प्रिंग फील्ड महाविद्यालय में एक चार दीवारी के भीतर सर्दियों में खेले जा सकने वाले खेल की आवश्यकता को देखते हुए आरंभ किया था। *अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य- 1.बास्केटबॉल खेल की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था वर्ष [[1932]] में बनाई गई। 2.भारतीय बास्केटबॉल संघ की स्थापना वर्ष [[1950]] में हुई। 3.बास्केटबॉल का खेल-क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय मापदंड के आधार पर 28 मी. लंबा तथा 15 मी. चौड़ा होना चाहिए। | ||
{200 मीटर की दौड़ में धावक को क्या दिया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-19 | {200 मीटर की दौड़ में धावक को क्या दिया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-19 | ||
पंक्ति 669: | पंक्ति 669: | ||
||200 मी. की दौड़ में धावक को आधा स्ट्रैगर दिया जाता है। | ||200 मी. की दौड़ में धावक को आधा स्ट्रैगर दिया जाता है। | ||
400 मी. दौड़ के लिए स्ट्रैगर्स- | 400 मी. दौड़ के लिए स्ट्रैगर्स- | ||
पहली लेन-00.00 मी. | पहली लेन-00.00 मी., दूसरी लेन-7.038 मी., तीसरी लेन- 14.704 मी., चौथी लेन-22.370 मी., पांचवीं लेन-30.034मी., छठी लेन-37.700मी., सातवीं-45.366 मी., आठवीं-53.032 मी. *जब धावक 400 मी. के पथ पर दौड़ते हैं तब बाहरी पथ में दौड़ने वाले धावक अंदर के पथ में दौड़ने वाले धावकों से आगे शुरू करते हैं। धावक जिस बिन्दु से दौड़ना शुरू करते हैं, उसे स्ट्रैगर कहते हैं। 200 मी. की दौड़ में धावक को दिए जाने वाले स्ट्रैगर ऊपर दिए गए स्ट्रैगर के आधे होते हैं। | ||
दूसरी लेन-7.038 मी. | |||
जब धावक 400 मी. के पथ पर दौड़ते हैं तब बाहरी पथ में | |||
पंक्ति 683: | पंक्ति 678: | ||
-प्राणायाम | -प्राणायाम | ||
+[[आसन]] | +[[आसन]] | ||
||[[आसन]] को परिभाषित करते हुए [[पतंजलि (योगसूत्रकार)|महर्षि पतंजलि]] ने कहा है, 'स्थिरं सुखम् आसनम्" इसका अर्थ यह है कि आसन वह है जिसके करने से मन एवं [[ मानव शरीर|शरीर]] में स्थिरता आए और सुख का अनुभव हो। | ||[[आसन]] को परिभाषित करते हुए [[पतंजलि (योगसूत्रकार)|महर्षि पतंजलि]] ने कहा है, 'स्थिरं सुखम् आसनम्" इसका अर्थ यह है कि आसन वह है जिसके करने से मन एवं [[मानव शरीर|शरीर]] में स्थिरता आए और सुख का अनुभव हो। | ||
{अस्थियों | {अस्थियों का कार्य क्या है?(शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-33 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-जोड़ों में लचक | -जोड़ों में लचक | ||
पंक्ति 691: | पंक्ति 686: | ||
-अच्छा [[आसन]] | -अच्छा [[आसन]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||विभिन्न प्रकार के अस्थियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-1.सुरक्षा प्रदान करना, 2.सहारा प्रदान करना, 3.[[मानव शरीर|शरीर]] को आकृति प्रदान करना, 4.उत्तोलन का कार्य करना | ||विभिन्न प्रकार के अस्थियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं- 1.सुरक्षा प्रदान करना, 2.सहारा प्रदान करना, 3.[[मानव शरीर|शरीर]] को आकृति प्रदान करना, 4.उत्तोलन का कार्य करना 5.खनिजों का भंडार करना, 6.[[लाल रक्त कणिका|लाल रक्त कणिकाओं]] का निर्माण करना, 7.[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] को सहारा देना। | ||
{"डायनामिक" शब्द का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-120 | {"डायनामिक" शब्द का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-120 | ||
पंक्ति 699: | पंक्ति 694: | ||
-दमखम | -दमखम | ||
-लचीलापन | -लचीलापन | ||
{ | {निम्न में से कौन शोध का विषय नहीं हो सकता? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-20 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-वस्तुएं | -वस्तुएं | ||
पंक्ति 707: | पंक्ति 701: | ||
-मानव | -मानव | ||
+विचार | +विचार | ||
{कोई भी मापन (Measurement) तब प्रभावी माना जाता है जब वह कार्यान्वित किया जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-18 प्रश्न-100 | {कोई भी मापन (Measurement) तब प्रभावी माना जाता है जब वह कार्यान्वित किया जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-18 प्रश्न-100 | ||
पंक्ति 731: | पंक्ति 724: | ||
-एमिना एसिड | -एमिना एसिड | ||
-बायोटिन | -बायोटिन | ||
||[[कार्बोहाइड्रेट|कार्बोहाइड्रेट्स]] मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं, जैसे- साधारण कार्बोहाइट्रोट्स व जटिल कार्बोहाइड्रेट। [[ग्लूकोज़]], फ्रक्टोज, गलेक्टोज, सुक्रोज, माल्टोज व लैक्टोज आदि को साधारण कार्बोहाइड्रेट्स कहा जाता है। इस प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स [[पानी]] में घुलनशील होते हैं। स्वाद में मीठे होते है। इनको [[शक्कर|शुगर]] या [[शर्करा]] कहा जाता है। स्टार्च, डैक्ट्रिन्स, | ||[[कार्बोहाइड्रेट|कार्बोहाइड्रेट्स]] मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं, जैसे- साधारण कार्बोहाइट्रोट्स व जटिल कार्बोहाइड्रेट। [[ग्लूकोज़]], फ्रक्टोज, गलेक्टोज, सुक्रोज, माल्टोज व लैक्टोज आदि को साधारण कार्बोहाइड्रेट्स कहा जाता है। इस प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स [[पानी]] में घुलनशील होते हैं। स्वाद में मीठे होते है। इनको [[शक्कर|शुगर]] या [[शर्करा]] कहा जाता है। [[मंड|स्टार्च]], डैक्ट्रिन्स, ग्लाइकोजन सेलुलोज को जटिल कार्बोहाइड्रेट्स कहा जाता है। ग्लाइकोजन तत्त्व की वजह से खिलाड़ी देर तक नहीं थकता है। | ||
{इंटरनेशनल वॉलीबॉल फेडरेशन का गठन कब किया गया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-100 | {इंटरनेशनल वॉलीबॉल फेडरेशन का गठन कब किया गया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-100 | ||
पंक्ति 741: | पंक्ति 734: | ||
||सन् [[1895]] में विलियम जी. मोर्गन के द्वारा वॉलीबॉल की शुरुआत हुई भारतीय वॉलीबॉल संघ का गठन वर्ष [[1951]] में हुआ। वर्ष [[1947]] में अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल संघ की स्थापना हुई। | ||सन् [[1895]] में विलियम जी. मोर्गन के द्वारा वॉलीबॉल की शुरुआत हुई भारतीय वॉलीबॉल संघ का गठन वर्ष [[1951]] में हुआ। वर्ष [[1947]] में अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल संघ की स्थापना हुई। | ||
{[[2010]] के [[राष्ट्रमंडल खेल]] कहां आयोजित | {[[2010]] के [[राष्ट्रमंडल खेल]] कहां आयोजित हुए? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-66 प्रश्न-20 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-टोक्यो | -टोक्यो | ||
पंक्ति 747: | पंक्ति 740: | ||
-[[सिडनी]] | -[[सिडनी]] | ||
-[[दोहा]] | -[[दोहा]] | ||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} |
12:40, 15 जनवरी 2017 का अवतरण
|