"आबिद ख़ान": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा सैनिक | |||
|चित्र=Aabid-Khan.jpg | |||
|चित्र का नाम=लांस नायक आबिद ख़ान | |||
|पूरा नाम=लांस नायक आबिद ख़ान | |||
|अन्य नाम= | |||
|प्रसिद्ध नाम= | |||
|जन्म=[[6 मई]], [[1972]] | |||
|जन्म भूमि=पाली नगर, [[हरदोई]], [[उत्तर प्रदेश]] | |||
|शहादत=[[1 जुलाई]], [[1999]] | |||
|मृत्यु= | |||
|स्थान=[[कारगिल]], [[जम्मू-कश्मीर]] | |||
|अभिभावक=[[पिता]] गफ़्फ़ार ख़ान, [[माता]] नत्थन बेगम | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान=पुत्र- आदिल, पुत्री- चांदफरा, सबिस्ता, सगुप्ता | |||
|सेना= | |||
|बटालियन= | |||
|पद=लांस नायक | |||
|रैंक= | |||
|यूनिट= | |||
|सेवा काल= | |||
|युद्ध= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय= | |||
|सम्मान= | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|विशेष योगदान= | |||
|संबंधित लेख=[[कारगिल युद्ध]], [[विजय दिवस|कारगिल विजय दिवस]], [[भारतीय सेना]], | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|अन्य जानकारी=आबिद ख़ान सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करें। उन्हें [[1995]] में 'सेना मेडल' से भी सम्मानित किया गया था। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''लांस नायक आबिद ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Aabid Khan'', जन्म- [[6 मई]], [[1972]], [[हरदोई]]; शहादत- [[1 जुलाई]], [[1999]]) [[भारतीय सेना]] के जांबाज सैनिकों में से एक थे, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। लांस नायक आबिद ख़ान ने [[कारगिल युद्ध]] में [[टाइगर हिल]] की चोटी पर 17 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मौत की नींद सुलाया था। [[3 मई]], [[1999]] को शुरू होने वाला कारगिल युद्ध [[26 जुलाई]], [[1999]] को समाप्त हुआ था। इस युद्ध में भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को अपना निशाना बनाया और जो बच गए थे, वे जान बचाकर भाग निकले। हालांकि अपनी वीरता का परिचय देते हुए कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। शहीद सैनिकों में लांस नायक आबिद ख़ान भी शामिल थे। उनकी शहादत पर आज भी पूरा देश गर्व करता है। | '''लांस नायक आबिद ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Aabid Khan'', जन्म- [[6 मई]], [[1972]], [[हरदोई]]; शहादत- [[1 जुलाई]], [[1999]]) [[भारतीय सेना]] के जांबाज सैनिकों में से एक थे, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। लांस नायक आबिद ख़ान ने [[कारगिल युद्ध]] में [[टाइगर हिल]] की चोटी पर 17 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मौत की नींद सुलाया था। [[3 मई]], [[1999]] को शुरू होने वाला कारगिल युद्ध [[26 जुलाई]], [[1999]] को समाप्त हुआ था। इस युद्ध में भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को अपना निशाना बनाया और जो बच गए थे, वे जान बचाकर भाग निकले। हालांकि अपनी वीरता का परिचय देते हुए कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। शहीद सैनिकों में लांस नायक आबिद ख़ान भी शामिल थे। उनकी शहादत पर आज भी पूरा देश गर्व करता है। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
[[उत्तर प्रदेश]] के ज़िला हरदोई में पाली नगर के मोहल्ला काजीसराय में 6 मई, 1972 को जन्मे आबिद ख़ान बचपन से ही वीर थे। उनका सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा में अपना योगदान दे सकें। [[5 फ़रवरी]], [[1988]] को उनकी यह ख्वाहिश भी पूरी हो गई। वह सेना में भर्ती हो गए। [[पिता]] गफ़्फ़ार ख़ान और [[माता]] नत्थन बेगम के बेटे आबिद ख़ान का विवाह फ़िरदौस बेगम से हुआ। | [[उत्तर प्रदेश]] के ज़िला हरदोई में पाली नगर के मोहल्ला काजीसराय में 6 मई, 1972 को जन्मे आबिद ख़ान बचपन से ही वीर थे। उनका सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा में अपना योगदान दे सकें। [[5 फ़रवरी]], [[1988]] को उनकी यह ख्वाहिश भी पूरी हो गई। वह सेना में भर्ती हो गए। [[पिता]] गफ़्फ़ार ख़ान और [[माता]] नत्थन बेगम के बेटे आबिद ख़ान का विवाह फ़िरदौस बेगम से हुआ। | ||
==कारगिल युद्ध== | ==कारगिल युद्ध== | ||
आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान अकेले मोर्चा लेने और घिर जाने पर वहां से बचकर सकुशल चौकी पर पहुँच जाने पर आबिद को [[1995]] में 'सेना मेडल' से भी सम्मानित किया गया था। 4 साल बाद [[1999]] में कारगिल की जंग शुरू हो गई। आबिद बकरीद की छुट्टियों में घर आए हुए थे और तभी हेडक्वाटर से बुलावा आ गया। आबिद की पलटन को टाइगर हिल फतह करने भेजा गया था। | आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान अकेले मोर्चा लेने और घिर जाने पर वहां से बचकर सकुशल चौकी पर पहुँच जाने पर आबिद को [[1995]] में 'सेना मेडल' से भी सम्मानित किया गया था। 4 साल बाद [[1999]] में कारगिल की जंग शुरू हो गई। आबिद [[बकरीद]] की छुट्टियों में घर आए हुए थे और तभी हेडक्वाटर से बुलावा आ गया। आबिद की पलटन को टाइगर हिल फतह करने भेजा गया था। | ||
==शहादत== | ==शहादत== | ||
[[30 जून]], 1999 को आबिद ख़ान जत्था रवाना हुआ। दुश्मन की गोलाबारी के बीच कई सैनिक शहीद हो गए। एक गोली आबिद के पैर में भी आ लगी। उसके बाबजूद उन्होंने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़कर एक साथ 32 फायर झोंक दिए। आबिद के इस ताबड़तोड़ हमले में 17 पाक सैनिकों की लाशें बिछ गईं। इसी बीच एक और गोली आबिद को आ लगी, जिससे यह वीर सपूत देश की रक्षा करता हुआ [[1 जुलाई]], [[1999]] को शहीद हो गया। | [[30 जून]], 1999 को आबिद ख़ान जत्था रवाना हुआ। दुश्मन की गोलाबारी के बीच कई सैनिक शहीद हो गए। एक गोली आबिद के पैर में भी आ लगी। उसके बाबजूद उन्होंने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़कर एक साथ 32 फायर झोंक दिए। आबिद के इस ताबड़तोड़ हमले में 17 पाक सैनिकों की लाशें बिछ गईं। इसी बीच एक और गोली आबिद को आ लगी, जिससे यह वीर सपूत देश की रक्षा करता हुआ [[1 जुलाई]], [[1999]] को शहीद हो गया। | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 54: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/others/kargil-vijay-diwas-the-story-of-kargil-war-hero-lance-nayak-aabid-khan/articleshow/65142047.cms विजय दिवस: कारगिल के हीरो थे लांस नायक आबिद खान] | |||
*[https://hindi.oneindia.com/news/uttar-pradesh/family-kargil-martyr-abid-khan-distress/articlecontent-pf86822-416594.html कारगिल: ठोकरें खाने को मजबूर अमर शहीद आबिद खां का परिवार] | |||
*[https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/hardoi/shaheed-abid-name-erased-from-stone पत्थर से मिट गया शहीद आबिद का नाम] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारतीय सेना}} | {{भारतीय सेना}} | ||
[[Category:थल_सेना]][[Category:भारतीय_सैनिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]] | [[Category:थल_सेना]][[Category:भारतीय_सैनिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:41, 26 जुलाई 2018 का अवतरण
आबिद ख़ान
| |
पूरा नाम | लांस नायक आबिद ख़ान |
जन्म | 6 मई, 1972 |
जन्म भूमि | पाली नगर, हरदोई, उत्तर प्रदेश |
स्थान | कारगिल, जम्मू-कश्मीर |
अभिभावक | पिता गफ़्फ़ार ख़ान, माता नत्थन बेगम |
संतान | पुत्र- आदिल, पुत्री- चांदफरा, सबिस्ता, सगुप्ता |
पद | लांस नायक |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | कारगिल युद्ध, कारगिल विजय दिवस, भारतीय सेना, |
अन्य जानकारी | आबिद ख़ान सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करें। उन्हें 1995 में 'सेना मेडल' से भी सम्मानित किया गया था। |
लांस नायक आबिद ख़ान (अंग्रेज़ी: Aabid Khan, जन्म- 6 मई, 1972, हरदोई; शहादत- 1 जुलाई, 1999) भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों में से एक थे, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। लांस नायक आबिद ख़ान ने कारगिल युद्ध में टाइगर हिल की चोटी पर 17 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मौत की नींद सुलाया था। 3 मई, 1999 को शुरू होने वाला कारगिल युद्ध 26 जुलाई, 1999 को समाप्त हुआ था। इस युद्ध में भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को अपना निशाना बनाया और जो बच गए थे, वे जान बचाकर भाग निकले। हालांकि अपनी वीरता का परिचय देते हुए कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। शहीद सैनिकों में लांस नायक आबिद ख़ान भी शामिल थे। उनकी शहादत पर आज भी पूरा देश गर्व करता है।
परिचय
उत्तर प्रदेश के ज़िला हरदोई में पाली नगर के मोहल्ला काजीसराय में 6 मई, 1972 को जन्मे आबिद ख़ान बचपन से ही वीर थे। उनका सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा में अपना योगदान दे सकें। 5 फ़रवरी, 1988 को उनकी यह ख्वाहिश भी पूरी हो गई। वह सेना में भर्ती हो गए। पिता गफ़्फ़ार ख़ान और माता नत्थन बेगम के बेटे आबिद ख़ान का विवाह फ़िरदौस बेगम से हुआ।
कारगिल युद्ध
आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान अकेले मोर्चा लेने और घिर जाने पर वहां से बचकर सकुशल चौकी पर पहुँच जाने पर आबिद को 1995 में 'सेना मेडल' से भी सम्मानित किया गया था। 4 साल बाद 1999 में कारगिल की जंग शुरू हो गई। आबिद बकरीद की छुट्टियों में घर आए हुए थे और तभी हेडक्वाटर से बुलावा आ गया। आबिद की पलटन को टाइगर हिल फतह करने भेजा गया था।
शहादत
30 जून, 1999 को आबिद ख़ान जत्था रवाना हुआ। दुश्मन की गोलाबारी के बीच कई सैनिक शहीद हो गए। एक गोली आबिद के पैर में भी आ लगी। उसके बाबजूद उन्होंने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़कर एक साथ 32 फायर झोंक दिए। आबिद के इस ताबड़तोड़ हमले में 17 पाक सैनिकों की लाशें बिछ गईं। इसी बीच एक और गोली आबिद को आ लगी, जिससे यह वीर सपूत देश की रक्षा करता हुआ 1 जुलाई, 1999 को शहीद हो गया।
शहीद आबिद ख़ान के 24 साल के पुत्र आदिल को अपने अब्बू की शहादत पर फक्र है। वह खुद भी सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं। माँ फ़िरदौस भी अपने पुत्र को फौजी बने देखना चाहती हैं। फिलहाल वह सैनिक कोटा में आवंटित पेट्रोल पम्प का कार्य देखते हैं। साथ ही पढ़ाई भी कर रहे हैं। शहीद आबिद की पुत्री चांदफरा का विवाह हो चुका है। 22 साल की सबिस्ता और 20 साल की सगुप्ता को भी अपने अब्बू की शहादत पर नाज है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- विजय दिवस: कारगिल के हीरो थे लांस नायक आबिद खान
- कारगिल: ठोकरें खाने को मजबूर अमर शहीद आबिद खां का परिवार
- पत्थर से मिट गया शहीद आबिद का नाम