कोथामूरियट्टम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:35, 10 फ़रवरी 2021 का अवतरण (Text replacement - "अंदाज " to "अंदाज़")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

कोथामूरियट्टम केरल की लोक कला है। इस कला का प्रदर्शन कुन्नूर ज़िले में किया जाता है।

  • नर्तकों के समूह का मुखिया हर घर में जाता है और चेंदा नाम का वाद्य यंत्र बजाकर गीत गाना आरंभ करता है। जबकि दो अन्य पात्र अपने चेहरे पर मुखौटा पहने एक लकड़ी में नारियल के खोल पिरोकर और उस पर पीले रंग के कपड़े का रेशमी गुच्छा बांधकर चलते हुए कुरूथोला गाते व दोहराते हुए चलते हैं। इसके साथ ही वे रास्ते पर हास्यास्पद भाव-भंगिमाएं बनाते हुए आगे बढ़ते रहते हैं। उनके इस स्वांग के चरित्र को 'पनियन' के नाम से जाना जाता है।
  • एक अन्य चरित्र सांड का होता है, जिसमें कलाकार कपड़े से बनी आकृति को अपनी कमर पर पहनता है और बड़े ही निराले अंदाज़में नाचता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख