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कैलाश शर्मा जी की 'श्रीमद्भगवद्गीता' (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
चुनरी रंग गयी तेरे रंग में।
श्याम रंग में जब रंग लीनी, रंगे न दूजे रंग में।
प्यार में तेरे जोगन हो गयी, नाचूँ तेरे संग में।
बंसी मुझे बना लो कान्हा, रहूँ अधर के संग में।
पागल हो कर प्रेम में तेरे, भूल गयी रंग ढंग में।