एंटीकाइथेरा तंत्र

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एंटीकाइथेरा तंत्र (अंग्रेज़ी: Antikythera Mechanism) वे प्राचीन कम्प्यूटर (संगणक) हुआ करते थे, जिनका प्रयोग नक्षत्र और खगोलीय विज्ञान में विभिन्न तथ्यों की सही व सटीक जानकारी प्राप्त करने अथवा उनकी भविष्यवाणी करने में किया जाता था। ये आकार में दीवार घड़ी के समान थे। एंटीकाइथेरा तंत्र को काष्ठ के बने एक छोटे बक्से में बंद कर रखा जाता था। एंटीकाइथेरा तंत्र की सरंचना बेहद जटिल थी, जिन्हें 25 से 30 काँसे के गियरों से बनाया जाता था। इस उपकरण के वर्तमान में अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिन्हें कई छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर रखा गया है। यूनानी इतिहास के कई पुरातत्त्व अभिलेखों में इसकी जानकारी मिलती है, जिनमें इसे साढ़े पांच इंच आकार का बताया जाता है।

आविष्कार

एंटीकाइथेरा तंत्र की प्रणाली का उपयोग जुलियन कैलेंडर में कई सदियों पूर्व किया जाना आरम्भ हुआ, जो वर्ष 2001 तक चलता रहा। इसवी सन के आरम्भ के समय ही इस युक्ति का उपयोग आरम्भ हुआ था, जिनका आविष्कार यूनान के प्राचीन वैज्ञानिको द्वारा किया गया था।[1]

1902 में 17 मई को यूनानी पुरातत्त्ववेत्ता वेलेरियॉस स्टेस एंटीकाइथेरा में डूबे एक जहाज़ से मिली चीजों की पड़ताल कर रहे थे कि उन्हें धातु का बना पुराना डिवाइस मिला। यूं तो इस जहाज़ की खोज दो साल पहले हो गई थी, लेकिन इस डिवाइस पर किसी का ध्यान नहीं गया था। काँसे के बने इस डिवाइस का आकार किसी चक्के जैसा था। स्टेस की खोज के बाद पता चला कि यह एंटीकाइथेरा प्रणाली का हिस्सा था। एंटीकाइथेरा तंत्र का प्रयोग नक्शा बनाने और दिशा निर्देशन के लिए भी किया जाता था। इसमें आगे बने एक डायल का इस्तेमाल राशि और सौर कैलेंडरों को जोड़ने के लिए होता था, जबकि पीछे बने डायल द्वारा ग्रहों की चाल की गणना करते थे। बाद में जब एंटीकाइथेरा प्रणाली का कंप्यूटर 3डी मॉडल बनाया गया तो पता चला कि इसमें 30 से अधिक उन्नत गियर थे। कमाल की बात है कि यह पूरा तंत्र एक जूते के डब्बे से बड़ा नहीं था। जाहिर है यह अपने समय से काफ़ी आगे की तकनीक थी। कहा जाता है कि इसमें 18वीं सदी के घड़ियों के जैसा उन्नत तंत्र था। पहले माना जाता था कि एंटीकाइथेरा यंत्र 85 ईसा पूर्व के आसपास का था, लेकिन नई खोज के अनुसार यह उससे भी पुराना है। फिलहाल इस प्रणाली से जुड़े पुर्जे एथेंस के संग्रहालय में हैं।[2]

अवशेष

एंटीकाइथेरा तंत्र के सभी अवशेष आज के पुरातत्त्व विभाग के पास उपलब्ध नही हैं। संभवत: इसके विकास के कुछ वर्ष बाद ही ये नष्ट हो गया अथवा इसकी तकनीक नए जमाने के वैज्ञानिको के समझ से बाहर थी। यह तंत्र जल सेना के कुछ अधिकारियों द्वारा एक 150 फिट बड़ी जहाज़ के मलबे से प्राप्त किया गया था। यह घटना 1900 के आस-पास की है। अब एथेंस संग्रहालय में इसके अवशेषों के साथ इसकी कई मूर्तियाँ और प्रतिलिपियाँ भी विद्यमान हैं।

आधुनिक युग का प्रथम कम्प्यूटर

एंटीकाइथेरा तंत्र को आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त है। उस समय तकनीक का इतना प्रचलन ना होना इसकी सरंचना और जटिलता को देखकर पता लगाया जा सकता है। इस कंप्यूटर को यूनानी वैज्ञानिकों द्वारा खगोलीय और गणितीय आकड़ों का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था। जब इस तन्त्र का 1976 में पता लगा, तब यह निष्कर्ष निकाले गये कि इसकी समयावधि दूसरी सदी के पूर्व की है। यह यंत्र अधिकतर ताँबे के बनाये गए, संभवत: यही धातु उस समय प्रचलन में थी।[1]

शोध और अध्ययन

एंटीकाइथेरा पर हाल ही के वर्षों में उनके वास्तविक स्थान और कार्य प्रणाली पर कई महत्वपूर्ण शोध और अध्ययन हुए, जो इसकी प्रमाणिकता और उपयोगिता को सिद्ध करते हैं। वर्ष 2008 में माइकल एडमंड ने इस बात का पता लगाने की कोशिश की कि एंटीकाइथेरा सही तरीके से काम करता है या नहीं। उन्होंने अपने शोध पर एक किताब लिखी और उसमें कहा कि- एंटीकाइथेरा प्रणाली का कार्य पूर्णत परफेक्ट था, जो मोनालिसा की खगोल और गणित से भी उच्च दर्जे का था। वर्ष 2008 में हुए एक शोध से इसकी वास्तविक स्थिति के बारे में पता लगाने की कोशिश की गई, जिनके अनुसार यह यंत्र नोर्थवेस्ट ग्रीस का बना है। एंटीकाइथेरा पर वर्ष 2014 में कारमेन और इवास के किये गये शोध के अनुसार इस कंप्यूटर की तारीख चन्द्रमा तिथि से आरम्भ की गई थी। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह संगणक बेबिलोनिया की अंकगणित और ग्रीक की त्रिकोणमिति की तुलना में बेहतर आविष्कार था।

संरचना

यह यंत्र देखने में गोल आकार का है, जो स्वर्ण रंग का बना है। लेकिन इसको बनाने में अधिकतर ताँबे का प्रयोग किया गया था। इसका बाहरी गोल घेरा वर्ष के 365 दिनों का द्योतक है। इसके मध्य वाला घेरा वर्ष को विभाजित करने वाली इकाई, महीना अथवा और कुछ हो सकती है। ग्रीक संकेतों में बना यह तन्त्र जुलियन कैलेंडर का मुख्य आधार बना।

गूगल डूडल

गूगल ने 17 मई, 2017 को एंटीकाइथेरा प्रणाली को इसके 115 वर्ष पूरे होने पर जश्न समारोह के लिए गूगल डूडल का आवरण बनाया। इस यंत्र द्वारा प्राचीन समय में ग्रह, नक्षत्र और समय की गणना की जाती थी। 17 मई के ही दिन 1902 में एक दुर्घटनाग्रस्त जहाज़ के मलबे को खोजते समय किसी का ध्यान इस पर गया था, जो दीवार घड़ी या एक फिट के चक्कर के जैसा ताँबे का निर्मित यंत्र था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 What Is The Antikythera Mechanism In Hindi (हिंदी) tipsonline.in। अभिगमन तिथि: 17 मई, 2017।
  2. गूगल डूडल ने मनाया खोज का जश्न, लेकिन क्या है एंटीकाइथेरा मैकेनिज्म (हिंदी) hindi.firstpost.com। अभिगमन तिथि: 17 मई, 2017।

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