अब्दुल कलाम
अब्दुल कलाम
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पूरा नाम | अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम |
अन्य नाम | मिसाइल मैन |
जन्म | 15 अक्तूबर, 1931
(आयु- 93 वर्ष) |
जन्म भूमि | रामेश्वरम, तमिलनाडु |
मृत्यु | 27 जुलाई, 2015 |
मृत्यु स्थान | शिलांग, मेघालय |
अभिभावक | जैनुलाब्दीन |
पति/पत्नी | अविवाहित |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | भारतीय मिसाइल कार्यक्रम के जनक |
पद | भारत के 11वें राष्ट्रपति |
कार्य काल | 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007 |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी, तमिल |
पुरस्कार-उपाधि | भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990), पद्म भूषण (1981), इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार एवं देशी-विदेशी कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि |
संबंधित लेख | अब्दुल कलाम के अनमोल वचन |
पुस्तकें | 'विंग्स ऑफ़ फ़ायर' (जीवनी), 'इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', भारत की आवाज़, टर्निंग प्वॉइंट्स, हम होंगे कामयाब |
अन्य जानकारी | डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह भारत सरकार के 'मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार' भी रहे। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम (अंग्रेज़ी: Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam; जन्म: 15 अक्तूबर, 1931, रामेश्वरम; मृत्यु: 27 जुलाई, 2015 शिलांग) जिन्हें डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात थे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007 तक रहा। उन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। वह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति थे। विज्ञान की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही राष्ट्रपति भवन के द्वार उनके लिए स्वत: ही खुल गए। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत था कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते थे। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए 'एक महान् आदर्श' बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्य कथा है।
जीवन परिचय
अब्दुल कलाम का पूरा नाम 'डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम' था। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ था। द्वीप जैसा छोटा सा शहर प्राकृतिक छटा से भरपूर था। शायद इसीलिए अब्दुल कलाम जी का प्रकृति से बहुत जुड़ाव रहा था।
रामेश्वरम का प्राकृतिक सौन्दर्य समुद्र की निकटता के कारण सदैव बहुत दर्शनीय रहा है। उनके पिता 'जैनुलाब्दीन' न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। वे नाविक थे, और नियम के बहुत पक्के थे। उनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। उनके संबंध रामेश्वरम के हिन्दू नेताओं तथा अध्यापकों के साथ काफ़ी स्नेहपूर्ण थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था।
विद्यार्थी जीवन
अब्दुल कलाम जब आठ-नौ साल के थे, तब से सुबह चार बजे उठते थे और स्नान करने के बाद गणित के अध्यापक स्वामीयर के पास गणित पढ़ने चले जाते थे। स्वामीयर की यह विशेषता थी कि जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे। स्वामीयर एक अनोखे अध्यापक थे और पाँच विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे। इनकी माता इन्हें उठाकर स्नान कराती थीं और नाश्ता करवाकर ट्यूशन पढ़ने भेज देती थीं। अब्दुल कलाम ट्यू्शन पढ़कर साढ़े पाँच बजे वापस आते थे। उसके बाद अपने पिता के साथ नमाज़ पढ़ते थे। फिर क़ुरान शरीफ़ का अध्ययन करने के लिए वह अरेशिक स्कूल (मदरसा) चले जाते थे। इसके पश्चात्त अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे।
कार्यक्षेत्र
1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। जुलाई 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब' का सदस्य बन गया। 'इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम' को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिज़ाइन किया। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के 'विज्ञान सलाहकार' तथा 'सुरक्षा शोध और विकास विभाग' के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया।
व्यावसायिक परिचय
डॉ. अब्दुल कलाम जब एच.ए.एल. से एक वैमानिकी इंजीनियर बनकर निकले तो उनके पास नौकरी के दो बड़े अवसर थे। ये दोनों ही उनके बरसों पुराने उड़ान के सपने को पूरा करने वाले थे। एक अवसर भारतीय वायुसेना का था और दूसरा रक्षा मंत्रालय के अधीन 'तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय' का था। उन्होंने दोनों जगहों पर साक्षात्कार दिया। वे रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय में चुन लिए गए। सन् 1958 में इन्होंने 250 रुपए के मूल वेतन पर निदेशालय के तकनीकी केंद्र (उड्डयन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के पद पर काम संभाल लिया।
विशेष योगदान
फ़रवरी, 1982 में डॉ. अब्दुल कलाम को डी.आर.डी.एल का निदेशक नियुक्त किया गया। उसी समय अन्ना विश्वविद्यालय, मद्रास ने इन्हें 'डॉक्टर आफ साइंस' की मानक उपाधि से सम्मानित किया। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के क़रीब बीस साल बाद यह मानद उपाधि डॉ. अब्दुल कलाम को प्राप्त हुई। डॉ. अब्दुल कलाम ने रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वी. एस. अरूणाचलम के मार्गदर्शन में 'इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम' (आई.जी.एम.डी.पी.) का प्रस्ताव तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए एक स्पष्ट और सुपरिभाषित मिसाइल कार्यक्रम तैयार करने के उद्देश्य से डॉ. अब्दुल कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई।
राजनीतिक जीवन
डॉक्टर अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते हैं और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी है। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे हैं। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते हैं।
व्यक्तित्व एवं कृतित्व
डॉ. कलाम एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। वेशभूषा, बोलचाल के लहजे, अच्छे-खासे सरकारी आवास को छोड़कर हॉस्टल का सादगीपूर्ण जीवन, ये बातें उनके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक सम्मोहक प्रभाव छोड़ती हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रज्ज्वलित करने में अपनी तल्लीनता के साथ साथ वे पर्यावरण की चिंता भी खूब करते हैं, साहित्य में रुचि रखते हैं, कविता लिखते हैं, वीणा बजाते हैं, तथा अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़े हुए हैं। डॉ. कलाम में अपने काम के प्रति जबर्दस्त दीवानगी है। उनके लिए कोई भी समय काम का समय होता है। वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताते हैं। देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों में डॉ. कलाम की सक्रियता तथा स्फूर्ति काबिलेतारीफ है। ऊर्जा का ऐसा प्रवाह केवल गहरी प्रतिबद्धता तथा समर्पण से ही आ सकता है। डॉ. कलाम खानपान में पूर्णत: शाकाहारी व्यक्ति हैं। वे मदिरापान से बिलकुल परहेज करते हैं। उनका निजी जीवन अनुकरणीय है। डॉ. कलाम की याददाश्त बहुत तेज है। वे घटनाओं तथा बातों को याद रखते हैं।[1]
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. कलाम को अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले हैं जिनमें शामिल हैं-
- इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स का नेशनल डिजाइन अवार्ड
- एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का डॉ. बिरेन रॉय स्पेस अवार्ड
- एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का आर्यभट पुरस्कार
- विज्ञान के लिए जी.एम. मोदी पुरस्कार
- राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार।
- डॉ. कलाम भारत के विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई थी।
- भारत के नागरिक सम्मान के रूप में डॉ. कलाम को 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न सम्मान प्राप्त हो चुके थे।
विशेषता
- डॉक्टर अब्दुल कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें भारत रत्न का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन हैं।
- यह प्रथम वैज्ञानिक हैं जो राष्ट्रपति बने हैं और प्रथम राष्ट्रपति भी हैं जो अविवाहित हैं।
अंतिम समय
27 जुलाई, 2015 की शाम अब्दुल कलाम 'भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग' में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे, तब उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश होकर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई। अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो के अनुसार- "जब कलाम को अस्पताल लाया गया, तब उनकी नब्ज और रक्तचाप साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि- "वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।" कलाम अक्टूबर, 2015 में 84 साल के होने वाले थे। मेघालय के राज्यपाल वी. षडमुखनाथन, अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल पहुँच गए थे, बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया। कलाम के निधन का समाचार पाकर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (हिंदू) शैक्षिक ई-सामग्री। अभिगमन तिथि: 15 दिसम्बर, ।
बाहरी कड़ियाँ
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