दिगम्बर अखाड़ा, वैष्णव
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दिगम्बर अनी अखाड़ा (अंग्रेज़ी: Digamber Ani Akhada) बैरागी सम्प्रदाय के तीन अखाड़ों में से एक है। इसकी स्थापना अयोध्या में हुई थी। यह अखाड़ा लगभग 260 साल पुराना है। सन 1905 में यहां के महंत अपनी परंपरा में 11वें थे। दिगंबर निम्बार्की अखाड़े को श्याम दिगंबर और रामानंदी में यही अखाड़ा राम दिगंबर अखाड़ा कहा जाता है।
- श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़ों में से एक है। यही इस संप्रदाय का सबसे बड़ा अखाड़ा है और बाकी दोनों अखाड़े इसके सहायक के रूप में काम करते हैं।
- वैसे नाम सुनकर बहुत से लोगों को लगता होगा कि ये साधु नागा होते हैं यानी कपड़े नहीं पहनते होंगे, लेकिन इस समुदाय की पहचान है माथे पर लगा उर्ध्वपुंड्र यानी एक प्रकार का तिलक, जटाजूट और सफ़ेद कपड़े।[1]
- वैष्णव अखाड़ों की यही पहचान होती है जो उन्हें शैव संप्रदाय के अखाड़ों से अलग करती है।
- श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा में आणि का मतलब है समूह या छावनी, जहां शैव संप्रदाय के अखाड़ों के लोग त्रिपुंड्र तिलक यानी त्रिशूल जैसा तिलक लगाते हैं। उससे अलग वैष्णव अखाड़ों के साधु उर्ध्वपुंड्र लगाते हैं।
- इसके अलावा इस अखाड़े का झंडा भी अन्य झंडों से अलग होता है। दिगंबर अखाड़े का धर्म ध्वज पांच रंगों का होता है। इस ध्वज पर हनुमान की फोटो होती है।
- देशभर में इस अखाड़े के लगभग 450 अखाड़े हैं। चित्रकूट, अयोध्या, नासिक, वृन्दावन, जगन्नाथपुरी और उज्जैन में इसके एक-एक स्थानीय श्रीमहंत हैं। इसी आधार पर यह अखाड़ा अन्य वैष्णव अखाड़ों से अलग है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बाकी अखाड़ों से अलग कैसे है 'दिगंबर अखाड़ा'? (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 23 सितम्बर, 2021।