झोड़ा नृत्य
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
झोड़ा नृत्य (अंग्रेज़ी: Jhoda Dance) उत्तराखंड का लोक नृत्य है। अपने नाम से मिलता यह नृत्य जोड़ों के लिए प्रचलित है। इसमें स्त्री-पुरुष गोल घेरा बनाकर एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर पद आगे-पीछे संचालन कर नृत्य करते व गीत गाते हैं। घेरे के बीच में मुख्यत: गायक हुड़का वादन करते हुए गीत की पहली पंगती गाता है व अन्य लोग उसे लय में दौहराते हैं।
- इसे हिंदी के 'जोड़ा' शब्द से लिया गया है। यह शादी-ब्याह और कौथिग (मेला) में हाथों को जोड़कर या जोड़े बनाकर किया जाने वाला सामूहिक नृत्य है।
- इस नृत्य के मुख्य रूप से दो रूप प्रचलन में हैं- एक मुक्तक झोड़ा और दूसरा प्रबंधात्मक झोड़ा।[1]
- प्रबंधात्मक झोड़ा में देवी-देवताओं और एतिहासिक वीर भड़ों का चरित्र गान होता है। इसमें स्त्री-पुरुष गोल घेरा बनाकर एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रख पग आगे-पीछे करते हुए नृत्य करते हैं। घेरे के बीच में मुख्य गायक हुड़का वादन करते हुए गीत की पहली पंक्ति गाता है, जबकि अन्य लोग उसे लय में दोहराते हैं।
- कुमाऊं के बागेश्वर क्षेत्र में माघ की चांदनी रात में किया जाने वाला यह नृत्य स्त्री-पुरुष का शृंगारिक नृत्य माना गया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ उत्तराखंड के लोक नृत्यों की है अलग पहचान (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 23 नवंबर, 2021।