साहित्य कोश
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उपश्रेणियाँ
इस श्रेणी की कुल 7 में से 7 उपश्रेणियाँ निम्नलिखित हैं।
उ
- उड़िया साहित्य (1 पृ)
ऐ
- ऐतिहासिक कृतियाँ (7 पृ)
क
- कन्नड़ साहित्य (1 पृ)
ज
- जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार (1 पृ)
न
- नज़्म (18 पृ)
र
- राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान (15 पृ)
स
- स्वतंत्र लेखन (220 पृ)
"साहित्य कोश" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी की कुल 13,935 में से 200 पृष्ठ निम्नलिखित हैं।
(पिछला पृष्ठ) (अगला पृष्ठ)आ
- आँख रखना
- आँख लगना
- आँख लड़ना
- आँख वाला
- आँख से ओझल होना
- आँख से ख़ून टपकना
- आँख से गिरना
- आँख से चिनगारियाँ छूटना
- आँख होना
- आँख-कान खुले रखना
- आँख-कान देना
- आँख-कान होना
- आँखे जाना
- आँखे तरेरना
- आँखें अकुलाने लगना
- आँखें उलझना
- आँखें खुली रखना
- आँखें खोलकर देखना
- आँखें चढ़ाना
- आँखें चढ़ी होना
- आँखें चार करना
- आँखें चार होना
- आँखें चौंधिया जाना
- आँखें छलछला उठना
- आँखें जाना
- आँखें जुड़ाना
- आँखें झपकना
- आँखें टँगी होना
- आँखें ठंडी हो जाना
- आँखें डबडबाना
- आँखें डालना
- आँखें तरसना
- आँखें दिखना
- आँखें देना
- आँखें धरती में गड़ना
- आँखें न ठहरना
- आँखें नीची हो जाना
- आँखें फटी की फटी रह जाना
- आँखें फाड़कर देखना
- आँखें फिरना
- आँखें फेरना
- आँखें बँधी की बँधी रह जाना
- आँखें बदल जाना
- आँखें बरसना
- आँखें बिगड़ना
- आँखें बिछाना
- आँखें भरी होना
- आँखें मिचना
- आँखें मिलना
- आँखें मूँद लेना
- आँखें लगाए बैठना
- आँखें सेंकना
- आँखों आँखों में
- आँखों का काटा
- आँखों का तारा
- आँखों का तेल निकल जाना
- आँखों की सुइयाँ निकालना
- आँखों के आगे
- आँखों के आगे अँधेरा छाना
- आँखों के सामने उभर आना
- आँखों को बाँध लेना
- आँखों पर परदा पड़ना
- आँखों पर पर्दा पड़ जाना
- आँखों पर बैठाना
- आँखों में
- आँखों में आँखें डालना
- आँखों में आँसू छलक आना
- आँखों में आना
- आँखों में उँगलियाँ डालना
- आँखों में काँटे की तरह चुभना
- आँखों में ख़ून उतर आना
- आँखों में गिरना
- आँखों में घर करना
- आँखों में चरबी छा जाना
- आँखों में चुभना
- आँखों में धूल झोंकना
- आँखों में फिरना
- आँखों में बैठाना
- आँखों में मूदकर रखना
- आँखों में रात काटना
- आँखों में समाना
- आँखों में सरसों फूलना
- आँखों से चिनगारियाँ निकलना
- आँखों से पर्दा उठ जाना
- आँगन बैठी सुन्यो पिय -देव
- आँच आना
- आँच खाना
- आँच देना
- आँच न आने देना
- आँचल थामना
- आँचल पसारना
- आँचल में बाँधना
- आँतें कुलकुलाना
- आँतें गले हो आना
- आँतें ढीली करना
- आँतें भरना
- आँधी -जयशंकर प्रसाद
- आँधी आना
- आँधी के आम
- आँवाँ का आँवाँ बिगड़ा होना
- आँसुओं की होली -प्रेमचंद
- आँसू -जयशंकर प्रसाद
- आँसू आना
- आँसू पीकर रह जाना
- आँसू पीना
- आँसू पुछना
- आँसू पोंछना
- आँसू बहाना
- आंकण रासो
- आंग्ल आयरी साहित्य
- आंग्ल नॉरमन साहित्य
- आंडाल
- आंसू (सूक्तियाँ)
- आइ गए बगमेल धरहु
- आइ बना भल सकल समाजू
- आइ बिभीषन पुनि सिरु नायो
- आइ सबन्हि नावा पद सीसा
- आइए हाथ उठाएँ हम भी -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- आइना-ए-अकबरी
- आई आ जाना
- आई छाक बुलाये स्याम -सूरदास
- आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई -मीरां
- आई बरसाने ते बुलाय -देव
- आई में आ गए -काका हाथरसी
- आउटलुक
- आए कीस काल के प्रेरे
- आए दिन
- आए ब्याहि रामु घर जब तें
- आए भरत संग सब लोगा
- आओ कि कोई ख़्वाब बुनें -साहिर लुधियानवी
- आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट -मीरां
- आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि -मीरां
- आओ, हम अपना मन टोवें -सुमित्रानंदन पंत
- आकर चारि लाख चौरासी
- आकाश खुलना
- आकाश छूना
- आकाश-पाताल एक करना
- आकाश-पाताल का अंतर
- आकाशदीप -जयशंकर प्रसाद
- आक्कियुस लुकियुस
- आखर अरथ अलंकृति नाना
- आखर मधुर मनोहर दोऊ
- आख़िर दम तक
- आख़िरी कलाम
- आखिरी आवाज़ -रांगेय राघव
- आखिरी हीला -प्रेमचंद
- आग उगलना
- आग के इलाक़े में आओ -अजेय
- आग के इलाके का आदमी -अजेय
- आग जलती रहे -दुष्यंत कुमार
- आग देना
- आग पर तेल छिड़कना
- आग बबूला होना
- आग बरसना
- आग बरसाना
- आग भड़क उठना
- आग में कूदना
- आग में घी पड़ना
- आग में झोंकना
- आग लगना
- आग लगने पर कुआँ खोदना
- आग लगाकर पानी को लेकर दौड़ना
- आग लगाना
- आग लगे
- आग सुलगना
- आग से खेलना
- आग होना
- आगम निगम पुरान अनेका
- आगम निगम प्रसिद्ध पुराना
- आगम प्रामाण्य
- आग़ा हश्र कश्मीरी
- आगा-पीछा -प्रेमचंद
- आगा-पीछा न देखना
- आगिल काजु बिचारि बहोरी
- आगे अँधेरा होना
- आगे आना
- आगे कर देना
- आगे को
- आगे चलकर
- आगे नाचना
- आगे निकलना
- आगे पीछे कोई न होना
- आगे बढ़ना
- आगे होना
- आगे-पीछे
- आगे-पीछे फिरना
- आगें कह मृदु बचन बनाई
- आगें चले बहुरि रघुराया
- आगें दीखि जरत सिर भारी
- आगें मुनिबर बाहन आछें
- आगें रामु लखनु बने पाछें
- आचरण (सूक्तियाँ)
- आचारु करि गुर गौरि
- आचार्य रघुवीर
- आचार्य वामन
- आछो गात अकारथ गार्यो -सूरदास
- आज कल करना
- आज कितनी अच्छी धूप है ! -अजेय
- आज के हिन्दी कवि अज्ञेय - विद्यानिवास मिश्र
- आज जब वह जा रही है -अजेय