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टाइगर (पेंथेरा टाइग्रिस) जो जंगल का राजा माना जाता है, यहां इस सुरक्षित वन में मुक्त भाव से घूमता है, जबकि इसके साथ ही ये भी यहां पाए जाते हैं - चीता (पेंथेरा पारडस), जंगली कुत्ते (क्यूऑन एल्पीनस), भूरा भेडिया (केनिस ल्यूपस), हाइना (फेलस केरा केल) और छोटी बिल्लियां। यहां आप बड़ी आसानी से नील गाय और [[चिंकारा]] को घास के खुले मैदानों में घूमते हुए देख सकते हैं, विशेष रूप से किनारे की ओर। यहां कई प्रकार के [[सांप|सांपों]] के साथ [[अजगर]] और अन्य सरीसृप जंतु पाए जाते हैं। | टाइगर (पेंथेरा टाइग्रिस) जो जंगल का राजा माना जाता है, यहां इस सुरक्षित वन में मुक्त भाव से घूमता है, जबकि इसके साथ ही ये भी यहां पाए जाते हैं - चीता (पेंथेरा पारडस), जंगली कुत्ते (क्यूऑन एल्पीनस), भूरा भेडिया (केनिस ल्यूपस), हाइना (फेलस केरा केल) और छोटी बिल्लियां। यहां आप बड़ी आसानी से नील गाय और [[चिंकारा]] को घास के खुले मैदानों में घूमते हुए देख सकते हैं, विशेष रूप से किनारे की ओर। यहां कई प्रकार के [[सांप|सांपों]] के साथ [[अजगर]] और अन्य सरीसृप जंतु पाए जाते हैं। | ||
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07:42, 24 दिसम्बर 2014 का अवतरण
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के लगभग मध्य में खजुराहो से 57 किलोमीटर की दूरी पर पन्ना ज़िले में स्थित है। यह क्षेत्र हीरों के लिए विख्यात है। यहाँ भारत की कुछ सर्वोत्तम वन्य जीवन प्रजातियां पाई जाती हैं और यह देश का एक बेहतरीन टाइगर रिजर्व है। इस उद्यान में जंगली बिल्लियों के अलावा बाघ और हिरण तथा एंटीलॉप भी पाए जाते हैं। भारत के एक जाने-माने पर्यटन आकर्षण केन्द्र, खजुराहो के समीप होने के कारण इस उद्यान में एक बड़ा पर्यटन आकर्षण बनने की संभाव्यता निहित है। इसे भारत का दूसरा 'सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान' माना जाता है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को 'विश्व वन्यजीव कोष' से भी सहायता प्राप्त हो रही है।
इतिहास
पन्ना ज़िले का संरक्षित वन और छतरपुर ज़िले के कुछ संरक्षित वन पहले पन्ना, छतरपुर और बिजावर रियासतों के शासकों के शिकारगाह थे। 1975 में मौजूदा उत्तर और दक्षिण पन्ना वन विभाग के क्षेत्रिय वनों से 'गंगऊ वन जीव अभ्यारण्य' का निर्माण किया गया। बाद में साथ जुड़े 'छतरपुर वन सम्भाग' के कुछ हिस्सों को इस अभ्यारण्य में शामिल किया गया। 1981 में इसी 'गंगऊ वन्य जीव अभ्यारण्य' के स्थान पर 'पन्ना राष्ट्रीय उद्यान' अस्तित्व में आया।[1]
विस्तार तथा क्षेत्रफल
उत्तरी विन्ध्य पहाड़ियों में स्थित पन्ना अभ्यारण्य का विस्तार भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उत्तरी क्षेत्र में पन्ना और छतरपुर ज़िलों में फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 542.67 वर्ग किलोमीटर है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 212 मीटर से 338 मीटर तक है।
भौगोलिक दशाएँ
भौगोलिक रूप से पन्ना ज़िले के तहत अभ्यारण्य के मोटे तौर पर तीन विशिष्ट हिस्से हैं-
- ऊपरी तालगाँव पठार
- मध्य हिनौता पठार
- केन नदी की घाटी
मौसम
जबकि छतरपुर ज़िले में अभ्यारण्य के हिस्से में आकर्षक पहाड़ों की श्रृंखलाएँ हैं। यहाँ गर्मी मार्च से जून के मध्य तक, वर्षा मध्य जून से मध्य सितम्बर तक और सर्दी मध्य नवम्बर से फ़रवरी तक पड़ती है।
नदी घाटी
पन्ना अभ्यारण्य के बीच करीब 55 किलोमीटर तक टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर केन नदी बहती है। इसका बहाव दक्षिण से उत्तर की ओर है। केन नदी की वजह से 'पन्ना बाघ रिजर्व' की सुन्दर छटा का वर्णन कुछेक अभ्यारण्यों में किया जाता है। इसकी कंदरायें और झरने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का एहसास कराते हैं। केन वास्तव में 'पन्ना बाघ रिजर्व' की जीवन रेखा है। यहाँ घाटियाँ, गिरि, कंदरा और गुफ़ाएँ भी हैं।[1]
जैव विविधता
समृद्ध जैव विविधता यहाँ देखी जा सकती है। केन नदी यहाँ पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के उत्तर दिशा में बहती है। इस नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल भी पाये जाते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में रैप्टाइल पार्क भी विकसित किया जा रहा है।
- टाइगर (पेंथेरा टाइग्रिस)
टाइगर (पेंथेरा टाइग्रिस) जो जंगल का राजा माना जाता है, यहां इस सुरक्षित वन में मुक्त भाव से घूमता है, जबकि इसके साथ ही ये भी यहां पाए जाते हैं - चीता (पेंथेरा पारडस), जंगली कुत्ते (क्यूऑन एल्पीनस), भूरा भेडिया (केनिस ल्यूपस), हाइना (फेलस केरा केल) और छोटी बिल्लियां। यहां आप बड़ी आसानी से नील गाय और चिंकारा को घास के खुले मैदानों में घूमते हुए देख सकते हैं, विशेष रूप से किनारे की ओर। यहां कई प्रकार के सांपों के साथ अजगर और अन्य सरीसृप जंतु पाए जाते हैं।
- पक्षियों की प्रजातियां
यहां 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है जिसमें अनेक प्रवासी पक्षी शमिल है। यहां सफेद गर्दन वाले स्टॉर्क, बार हेडिड बोज़, हनी बजार्ड, गिद्ध, ब्लास्म हेडिड पाराकिट, पैराडाइज़ फ्लाइकेचर, स्नेटी हेडिड सिमीटार बैबलर आदि कुछ नाम हैं, जो यहाँ पाए जाते है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 पन्ना राष्ट्रीय उद्यान (हिन्दी) इण्डिया वाटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 24 दिसम्बर, 2014।
बाहरी कडियाँ
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