नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान
नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान (अंग्रेज़ी: Namdapha National Park) अरुणाचल प्रदेश के पर्यटन का प्रमुख आकर्षण है। संपूर्ण पूर्वी हिमालय जिसे जैव विविधता का हॉट स्पॉट घोषित किया गया है, का नमदाफा सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। क्षेत्रफल के अनुसार भी यह देश का दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। चांगलांग जिले में स्थित नमदाफा अपने अभयारण्य के लिए जाना जाता है। इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है। घने हरे भरे जंगल राष्ट्रीय उद्यान की शोभा बढ़ाते हैं।
स्थापना
यह राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ संरक्षित क्षेत्र है। अभयारण्य को 1972 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित किया गया और 1983 में इसे 'टाईगर रिजर्व' घोषित कर दिया गया। अभयारण्य में 90 प्रकार के स्तनपायी पाये जाते हैं। इनमें हाथी, चीता, तेंदुआ, जंगली भैंसा आदि शामिल हैं। स्तनपायी जंतुओं के अलावा नामदफा में पक्षियों की भी लगभग 400 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इनमें किंगफिशर, बत्तख, बाबलर आदि शामिल है।[1]
विस्तार
दाफा बुम श्रृंखला मिश्मी पहाड़ियों का एक भाग है और पाटकी श्रृंखला नमदाफा को घेरे हुए है। यह मिओं से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान भारत का 151वां टाइगर रिज़र्व है जो लगभग 1,985 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जंगल से होकर बहने वाली नोए दिहिंग नदी कई जलीय प्रजातियों का घर है। उद्यान से नमदाफा नदी भी बहती है जिसके नाम पर नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान का नाम रखा गया है।
जैव विविधता
वन्य जीवन में रूचि रखने वाले लोगों के लिए नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान अच्छा स्थान है। यह न सिर्फ चुनौतीपूर्ण है बल्कि रोमांचकारी भी है क्योंकि यहाँ कई प्रजाति के पशु पक्षी और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। मिथुन के नाम से जाना जाने वाला शानदार गौर, हाथी, जंगली भैंसा, हिमालयीन भालू, तकिन, पट्कोई श्रेणी की जंगली बकरी, कस्तूरी मृग, बिन्टूरांग और लाल पांडा इस क्षेत्र में पाए जाने वाले कुछ जानवर हैं। विभिन्न प्रकार की तितलियाँ जंगल की शोभा बढ़ाती हैं। नमदाफा में केवल अधिक ऊंचाई पर ही टाइगर (बाघ), चीता, स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ) और क्लाऊडेड लेपर्ड की जैसी बिल्ली जैसी कुछ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
आजकल हिम तेंदुए दुर्लभ हो गए हैं। सफ़ेद पंखों वाली बतख भी एक दुर्लभ प्रजाति है जो इस पार्क में पाई जाती है। आसामी मकाक (छोटी पूँछ वाला बंदर), सूअर की पूँछ जैसी पूँछ वाला बंदर, हूलॉक गिब्बन, हॉर्नबिल्स और जंगली मुर्गी इस पार्क में पाई जाने वाली अन्य प्रजातियाँ हैं। इस जंगल में रहने वाले साँपों से सावधान रहने की आवश्यकता है।[1]
लकड़ियों की प्रजातियाँ
नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान में तरह-तरह के पौधे भी पाए जाते हैं। इसमें लकड़ियों की 150 प्रजातियाँ और कुछ दुर्लभ औषधीय पौधे जैसे मिश्मी टीटा शामिल हैं। नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान में ऊंचाई के साथ साथ वनस्पतियाँ भी बदलती हैं। पहले यहाँ ऊंचाई पर जलीय बूटियों की 425 प्रजातियाँ पाई जाती थी।
जनजाति समूह
नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर कुछ जनजाति समूह भी पाए जाते हैं, अधिकांशत: पूर्वी सिरे पर जहाँ भारत अपनी सीमा म्यांमार से बांटता है। इस पार्क के चारों ओर के क्षेत्र में चकमा, तंग्सा और सिंग्फो जनजातियाँ पाई जाती हैं।
कैसे पहुंचे
नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान रास्तों द्वारा जुड़ा हुआ है। रेलमार्ग या हवाईमार्ग से आने वाले यात्रियों को आसाम तक पहुंचना पड़ता है और उसके बाद वे मिओं तक पहुँच सकते हैं।[1]
मौसम
इस राष्ट्रीय उद्यान की सैर अक्टूबर से फरवरी के बीच की जा सकती है, जो यहाँ के जंगलों की सैर के लिए उत्तम समय है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान (हिंदी) nativeplanet.com। अभिगमन तिथि: 13 मार्च, 2022।