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'''अकबरनामा''' बादशाह [[अकबर]] के शासन काल का इतिहास, जिसे अकबर के दोस्त और दरबारी [[अबुल फ़ज़ल]] ने लिखा था।
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'''अकबरनामा''' [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] के दरबारी विद्वान [[अबुल फ़ज़ल]] द्वारा लिखा गया [[इतिहास]] प्रसिद्ध [[ग्रंथ]] है। 'अकबरनामा' का शाब्दिक अर्थ है- "अकबर की कहानी"। यह अकबर के शासन काल में लिखा गया प्रामाणिक [[इतिहास]] है, क्योंकि लेखक को इसकी बहुत-सी बातों की निजी जानकारी थी और सरकारी [[काग़ज़|काग़ज़ों]] तक उसकी पहुँच थी। यद्यपि इसमें अकबर के साथ कुछ पक्षपात किया गया है, तथापि तिथियों और भौगोलिक जानकारी के लिए यह विश्वसनीय है।
*अकबरनामा अकबर के शासनकाल में लिखा गया प्रामाणिक [[इतिहास]] है, क्योंकि लेखक को इसकी बहुत सी बातों की निजी जानकारी थी और सरकारी [[काग़ज़|काग़ज़ों]] तक उसकी पहुँच थी।  
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*यद्यपि इसमें अकबर के साथ कुछ पक्षपात किया गया है, तथापि तिथियों और भौगोलिक जानकारी के लिए यह विश्वसनीय है।
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*'अकबरनामा' '[[आईना-ए-अकबरी|आईन अकबरी]]' का ही उत्तरार्ध है, जो अबुल फ़ज़ल की कृति है। अबुल फ़ज़ल महान गद्य लेखक थे।
*अकबर नामा में दो हज़ार से अधिक पृष्ठ हैं। इसका अधिकांश भाग अकबर की स्तुति है या भोज आनन्द, प्रमोद या सेना संचालनों का वर्णन है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से उपयोगी नहीं है।
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*अबुल फ़ज़ल की इस कृति में दो हज़ार से अधिक पृष्ठ हैं।  
*इसकी मूल भाषा [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] जटिल और आडम्बर पूर्ण है।  
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*इसकी मूल [[भाषा]] [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] जटिल और आडम्बर पूर्ण है।
*विद्वान [[अंग्रेज़ी]] अनुवादक बिवरिज ने लिखा है कि यदि कोई लेखक परिश्रम करके इसके व्यर्थ स्थलों को निकाल कर को ज्यों के त्यों रखकर संक्षेप कर दे तो इतिहास की बड़ी सेवा हो।  
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*'आईन अकबरी' और 'अकबरनामा' में तत्कालीन इतिहास और समाज की इतनी विशाल सामग्री इकट्ठा कर दी गई है, जिसे देखकर आश्चर्य होता है और मन नहीं करता कि इसे साढ़े तीन सौ वर्ष पहले का [[ग्रंथ]] समझा जाये।
*लेखक डॉ. मथुरा लाल शर्मा ने इसी लक्ष्य को दृष्टि में रखकर अबुल फ़ज़ल के अकबर नामें की तीन जिल्दों की दो जिल्द बना दी हैं जिसमें 707 पृष्ठ हैं। अकबर के समय की महत्त्वपूर्ण घटना कोई नहीं छोड़ी गई है और यथा-सम्भव अबुल फ़ज़ल के शब्दों में ही उनका वर्णन है, परन्तु भाषा की जटिलता निकालकर सरलता कर दी गई है।
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*इसके दो भाग हैं। पहले भाग में [[बाबर]], [[हुमायूँ]] आदि के बारे में लिखते हुए इतिहास को अकबर के 17वें सनजलूस (1573 ई.) तक लाया गया है। दूसरे भाग में 18वें सनजलूस से 46वें सनजलूस (1601 ई.) तक की बातें हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= अकबर|लेखक= राहुल सांकृत्यायन|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= किताब महल, इलाहाबाद|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=293|url=}}</ref>
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*भूमिका में अबुल फ़ज़ल ने लिखा है- "मैं हिन्दी (भारतवासी) हूँ, फ़ारसी में लिखना मेरा काम नहीं है। बड़े भाई के भरोसे पर यह काम शुरू किया, अफसोस थोड़ा ही लिखा गया था कि उनका देहान्त हो गया, दस वर्ष का हाल उनकी नजर से गुजरा।
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*विद्वान [[अंग्रेज़ी]] अनुवादक बिवरिज ने लिखा है कि- "यदि कोई लेखक परिश्रम करके इसके व्यर्थ स्थलों को निकाल कर ज्यों के त्यों रखकर संक्षेप कर दे तो इतिहास की बड़ी सेवा हो।"
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*लेखक डॉ. मथुरा लाल शर्मा ने इसी लक्ष्य को दृष्टि में रखकर अबुल फ़ज़ल के 'अकबरनामें' की तीन जिल्दों की दो जिल्द बना दी हैं, जिसमें 707 पृष्ठ हैं। [[अकबर]] के समय की महत्त्वपूर्ण घटना कोई नहीं छोड़ी गई है और यथा-सम्भव अबुल फ़ज़ल के शब्दों में ही उनका वर्णन है, परन्तु भाषा की जटिलता निकालकर सरलता कर दी गई है।
 
*यत्र तत्र लेखक के चाटुतापूर्ण उल्लेखों का भी समावेश कर दिया गया है जिससे पाठकों को उसकी मनोवृत्ति का अनुमान हो सकेगा। अकबर के समय के इतिहास को जानने के लिये अकबरनामा सर्वार्धिक प्रमाणित ग्रन्थ है।<ref>{{cite web |url=http://www.printsasia.com/BookDetails.aspx?Id=641635646 |title=शेख अबुल फजल कृत अकबरनामा |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.printsasia.com |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
*यत्र तत्र लेखक के चाटुतापूर्ण उल्लेखों का भी समावेश कर दिया गया है जिससे पाठकों को उसकी मनोवृत्ति का अनुमान हो सकेगा। अकबर के समय के इतिहास को जानने के लिये अकबरनामा सर्वार्धिक प्रमाणित ग्रन्थ है।<ref>{{cite web |url=http://www.printsasia.com/BookDetails.aspx?Id=641635646 |title=शेख अबुल फजल कृत अकबरनामा |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.printsasia.com |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
  
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14:07, 21 अप्रैल 2013 का अवतरण

अकबरनामा के अनुसार, अकबर के दरबार का एक दृश्य

अकबरनामा मुग़ल बादशाह अकबर के दरबारी विद्वान अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखा गया इतिहास प्रसिद्ध ग्रंथ है। 'अकबरनामा' का शाब्दिक अर्थ है- "अकबर की कहानी"। यह अकबर के शासन काल में लिखा गया प्रामाणिक इतिहास है, क्योंकि लेखक को इसकी बहुत-सी बातों की निजी जानकारी थी और सरकारी काग़ज़ों तक उसकी पहुँच थी। यद्यपि इसमें अकबर के साथ कुछ पक्षपात किया गया है, तथापि तिथियों और भौगोलिक जानकारी के लिए यह विश्वसनीय है।

  • 'अकबरनामा' 'आईन अकबरी' का ही उत्तरार्ध है, जो अबुल फ़ज़ल की कृति है। अबुल फ़ज़ल महान गद्य लेखक थे।
  • अबुल फ़ज़ल की इस कृति में दो हज़ार से अधिक पृष्ठ हैं।
  • इसकी मूल भाषा फारसी जटिल और आडम्बर पूर्ण है।
  • 'आईन अकबरी' और 'अकबरनामा' में तत्कालीन इतिहास और समाज की इतनी विशाल सामग्री इकट्ठा कर दी गई है, जिसे देखकर आश्चर्य होता है और मन नहीं करता कि इसे साढ़े तीन सौ वर्ष पहले का ग्रंथ समझा जाये।
  • इसके दो भाग हैं। पहले भाग में बाबर, हुमायूँ आदि के बारे में लिखते हुए इतिहास को अकबर के 17वें सनजलूस (1573 ई.) तक लाया गया है। दूसरे भाग में 18वें सनजलूस से 46वें सनजलूस (1601 ई.) तक की बातें हैं।[1]
  • भूमिका में अबुल फ़ज़ल ने लिखा है- "मैं हिन्दी (भारतवासी) हूँ, फ़ारसी में लिखना मेरा काम नहीं है। बड़े भाई के भरोसे पर यह काम शुरू किया, अफसोस थोड़ा ही लिखा गया था कि उनका देहान्त हो गया, दस वर्ष का हाल उनकी नजर से गुजरा।
  • विद्वान अंग्रेज़ी अनुवादक बिवरिज ने लिखा है कि- "यदि कोई लेखक परिश्रम करके इसके व्यर्थ स्थलों को निकाल कर ज्यों के त्यों रखकर संक्षेप कर दे तो इतिहास की बड़ी सेवा हो।"
  • लेखक डॉ. मथुरा लाल शर्मा ने इसी लक्ष्य को दृष्टि में रखकर अबुल फ़ज़ल के 'अकबरनामें' की तीन जिल्दों की दो जिल्द बना दी हैं, जिसमें 707 पृष्ठ हैं। अकबर के समय की महत्त्वपूर्ण घटना कोई नहीं छोड़ी गई है और यथा-सम्भव अबुल फ़ज़ल के शब्दों में ही उनका वर्णन है, परन्तु भाषा की जटिलता निकालकर सरलता कर दी गई है।
  • यत्र तत्र लेखक के चाटुतापूर्ण उल्लेखों का भी समावेश कर दिया गया है जिससे पाठकों को उसकी मनोवृत्ति का अनुमान हो सकेगा। अकबर के समय के इतिहास को जानने के लिये अकबरनामा सर्वार्धिक प्रमाणित ग्रन्थ है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 293 |
  2. शेख अबुल फजल कृत अकबरनामा (हिन्दी) www.printsasia.com।

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