"भटनेर क़िला हनुमानगढ़" के अवतरणों में अंतर

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*[[हनुमानगढ़]], [[राजस्थान]] का एक ख़ूबसूरत शहर है और हनुमानगढ़ एक [[हनुमानगढ़ पर्यटन|पर्यटन स्थल]] भी है।  
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*भटनेर क़िला, [[हनुमानगढ़]], [[राजस्थान]] में स्थित एक प्राचीन स्थल है।  
 
*भूपत के पुत्र अभय राव भाटी ने 295 ई. में इस क़िले का निर्माण करवाया था।  
 
*भूपत के पुत्र अभय राव भाटी ने 295 ई. में इस क़िले का निर्माण करवाया था।  
 
*यह क़िला भारतीय इतिहास की कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी भी रहा है।  
 
*यह क़िला भारतीय इतिहास की कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी भी रहा है।  
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*[[कुतुबुद्दीन ऐबक]], [[तैमूर]] और [[अकबर]] ने भी [[भटनेर]] में शासन किया है।  
 
*[[कुतुबुद्दीन ऐबक]], [[तैमूर]] और [[अकबर]] ने भी [[भटनेर]] में शासन किया है।  
 
*तैमूर ने अपनी आत्‍मकथा 'तुजुक-ए-तैमूरी' में लिखा है कि मैंने इस क़िले के समान हिन्दुस्तान के किसी अन्‍य क़िले को सुरक्षित और शाक्तिशाली नहीं पाया है।  
 
*तैमूर ने अपनी आत्‍मकथा 'तुजुक-ए-तैमूरी' में लिखा है कि मैंने इस क़िले के समान हिन्दुस्तान के किसी अन्‍य क़िले को सुरक्षित और शाक्तिशाली नहीं पाया है।  
*[[बीकानेर]] के सम्राट सूरत सिंह ने 1805 ई. में भाटी से लड़ाई जीत कर इस स्थान पर क़ब्ज़ा कर लिया था।  
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*[[बीकानेर]] के सम्राट सूरत सिंह ने 1805 ई. में भाटी से लड़ाई जीत कर इस स्थान पर क़ब्ज़ा कर लिया था। जिस दिन वह लड़ाई जीते उस दिन [[मंगलवार]] था। हनुमानगढ़ को तभी से भटनेर के साथ हनुमानगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।  
*जिस दिन वह लड़ाई जीते उस दिन [[मंगलवार]] था। हनुमानगढ़ को तभी से भटनेर के साथ हनुमानगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।  
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10:42, 25 नवम्बर 2011 का अवतरण

  • भटनेर क़िला, हनुमानगढ़, राजस्थान में स्थित एक प्राचीन स्थल है।
  • भूपत के पुत्र अभय राव भाटी ने 295 ई. में इस क़िले का निर्माण करवाया था।
  • यह क़िला भारतीय इतिहास की कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी भी रहा है।
  • मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच प्रसिद्ध तराइन का युद्ध यहीं पर हुआ था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक, तैमूर और अकबर ने भी भटनेर में शासन किया है।
  • तैमूर ने अपनी आत्‍मकथा 'तुजुक-ए-तैमूरी' में लिखा है कि मैंने इस क़िले के समान हिन्दुस्तान के किसी अन्‍य क़िले को सुरक्षित और शाक्तिशाली नहीं पाया है।
  • बीकानेर के सम्राट सूरत सिंह ने 1805 ई. में भाटी से लड़ाई जीत कर इस स्थान पर क़ब्ज़ा कर लिया था। जिस दिन वह लड़ाई जीते उस दिन मंगलवार था। हनुमानगढ़ को तभी से भटनेर के साथ हनुमानगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।


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