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लखनऊ को ऐतिहासिक रूप से [[अवध]] क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम लक्ष्मणपुर था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। यहाँ के [[शिया]] [[नवाब|नवाबों]] ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, [[कविता]], [[संगीत]] और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ को '''नवाबों का शहर''' भी कहा जाता है। लखनऊ को पूर्व का स्वर्ण नगर और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। लखनऊ प्राचीन [[कोसल]] राज्य का हिस्सा था। इसे भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को सौंप दिया था। इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से भी जाना गया, जो बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। लखनऊ से [[अयोध्या]] सिर्फ़ 40 मील की दूरी पर है।
 
लखनऊ को ऐतिहासिक रूप से [[अवध]] क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम लक्ष्मणपुर था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। यहाँ के [[शिया]] [[नवाब|नवाबों]] ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, [[कविता]], [[संगीत]] और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ को '''नवाबों का शहर''' भी कहा जाता है। लखनऊ को पूर्व का स्वर्ण नगर और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। लखनऊ प्राचीन [[कोसल]] राज्य का हिस्सा था। इसे भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को सौंप दिया था। इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से भी जाना गया, जो बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। लखनऊ से [[अयोध्या]] सिर्फ़ 40 मील की दूरी पर है।
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अवध के नवाबों ने जब लखनऊ को राजधानी बनाया तो [[मेरठ]] और [[दिल्ली]] के साथ-साथ एक और बड़ा शहर लखनऊ अस्तित्व में आया। [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] से देखें तो अवध के नवाबों ने लखनऊ को भव्य इमारतों का नगर बनाने में कोई कमी बाकी नहीं रखी। [[कला]] और [[संस्कृति]] के संरक्षक [[अवध के नवाब|अवध के नवाबों]] के शासनकाल में की गई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] आज भी कई संग्रहालयों में है। [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]] [[मुग़ल]] [[वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं। [[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|thumb|250px|left|[[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]], लखनऊ]] लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब [[आसफ़उद्दौला]] ने 1775 ई. में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। कालांतर में नवाब विलासी और निकम्मे सिद्ध हुए। इन नवाबों के आलसी स्वभाव के कारण [[लॉर्ड डलहौज़ी]] ने अवध को बिना युद्ध ही अधिग्रहण कर [[ब्रिटिश साम्राज्य]] में मिला लिया। 1850 में अवध के अन्तिम नवाब [[वाजिद अली शाह]] ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली। लखनऊ के नवाबों का शासन इस प्रकार समाप्त हुआ।
 
अवध के नवाबों ने जब लखनऊ को राजधानी बनाया तो [[मेरठ]] और [[दिल्ली]] के साथ-साथ एक और बड़ा शहर लखनऊ अस्तित्व में आया। [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] से देखें तो अवध के नवाबों ने लखनऊ को भव्य इमारतों का नगर बनाने में कोई कमी बाकी नहीं रखी। [[कला]] और [[संस्कृति]] के संरक्षक [[अवध के नवाब|अवध के नवाबों]] के शासनकाल में की गई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] आज भी कई संग्रहालयों में है। [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]] [[मुग़ल]] [[वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं। [[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|thumb|250px|left|[[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]], लखनऊ]] लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब [[आसफ़उद्दौला]] ने 1775 ई. में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। कालांतर में नवाब विलासी और निकम्मे सिद्ध हुए। इन नवाबों के आलसी स्वभाव के कारण [[लॉर्ड डलहौज़ी]] ने अवध को बिना युद्ध ही अधिग्रहण कर [[ब्रिटिश साम्राज्य]] में मिला लिया। 1850 में अवध के अन्तिम नवाब [[वाजिद अली शाह]] ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली। लखनऊ के नवाबों का शासन इस प्रकार समाप्त हुआ।
 
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13:00, 3 मार्च 2014 का अवतरण

लखनऊ
Imambara-Lucknow.JPG
विवरण लखनऊ भारत गणराज्य के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला लखनऊ ज़िला
निर्माता आसफ़उद्दौला
स्थापना 1775 ई.
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 26°85', पूर्व- 80°92'
मार्ग स्थिति लखनऊ शहर सड़क द्वारा इलाहाबाद से 205 किमी, वाराणसी से 323 किलोमीटर, आगरा से 325 किमी, मथुरा से 374 किमी, दिल्ली से 468 किमी दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि लखनऊ शहर एक विशिष्‍ट प्रकार की कढ़ाई, चिकन से सजे हुए परिधानों और कपड़ों के लिए भी प्रसिद्ध है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा अमौसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन चारबाग़ रेलवे स्टेशन, ऐशबाग़ रेलवे स्टेशन, लखनऊ सिटी रेलवे स्टेशन, आलमनगर रेलवे स्टेशन, बादशाहनगर रेलवे स्टेशन, अमौसी रेलवे स्टेशन
बस अड्डा चारबाग़ बस टर्मिनस, केसरबाग़ बस टर्मिनस, डॉ. भीमराव अम्बेडकर बस टर्मिनस
यातायात सिटी बस सेवा, टैक्सी, साइकिल रिक्शा, ऑटोरिक्शा, टेम्पो एवं सीएनजी बसें
क्या देखें घंटाघर, जामा मस्जिद, बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाज़ा, रेसीडेंसी संग्रहालय, छतर मंज़िल आदि
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या खायें ज़ायकेदार मलाई गिलौरी (पान), बादाम हलवा, रस-मलाई और चटपटी चाट
क्या ख़रीदें चिकनकारी और जरदोजी के कपड़े, आभूषण और हस्तशिल्प कला का सामान ख़रीदा जा सकता है।
एस.टी.डी. कोड 0522
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
भाषा हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी
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लखनऊ भारत गणराज्य के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। लखनऊ नगर गोमती नदी के किनारे पर बसा हुआ है। लखनऊ, लखनऊ ज़िला और लखनऊ मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय है। लखनऊ नगर अपनी ख़ास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसंस्कृति, आम के बाग़ों और चिकन की कढ़ाई, नामचीन कत्थक नृत्य कला का जन्मस्थल, बेगम अख़्तर की ग़ज़लों का सरूर लिए 'पहले आप' की तहज़ीबो-अदब और शाम-ए-अवध के लिए जाने जाना वाला नवाबी तबियत का पूरी दुनिया में एक ही शहर है।

घंटाघर, लखनऊ

भौगोलिक स्थिति

गंगा के विशाल उत्तरी मैदान के हृदय क्षेत्र में स्थित लखनऊ शहर बहुत से प्रसिद्ध स्थानों से घिरा है जैसे- अमराइयों का शहर मलिहाबाद, ऐतिहासिक काकोरी, मोहनलालगंज, गोसांईगंज, चिह्नट और इटौंजा। इस शहर के पूर्वी ओर बाराबंकी ज़िला है, पश्चिम ओर उन्नाव ज़िला एवं दक्षिण की ओर रायबरेली ज़िला है। इसके उत्तर में सीतापुर और हरदोई ज़िले हैं। गोमती नदी, मुख्य भौगोलिक भाग, शहर के बीचों बीच से निकलती है और लखनऊ को ट्रांस-गोमती एवं सिस-गोमती क्षेत्रों में विभाजित करती है। लखनऊ शहर भूकम्प क्षेत्र के तृतीय स्तर में आता है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है।

इतिहास

लखनऊ को ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम लक्ष्मणपुर था। राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसे बसाया था। यहाँ के शिया नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ को नवाबों का शहर भी कहा जाता है। लखनऊ को पूर्व का स्वर्ण नगर और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। लखनऊ प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। इसे भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को सौंप दिया था। इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से भी जाना गया, जो बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। लखनऊ से अयोध्या सिर्फ़ 40 मील की दूरी पर है। इन्हें भी देखें: अवध, अवध के नवाब एवं अवध की बेगमें

अवध के नवाबों का योगदान

अवध के नवाबों ने जब लखनऊ को राजधानी बनाया तो मेरठ और दिल्ली के साथ-साथ एक और बड़ा शहर लखनऊ अस्तित्व में आया। मुग़ल वास्तुकला से देखें तो अवध के नवाबों ने लखनऊ को भव्य इमारतों का नगर बनाने में कोई कमी बाकी नहीं रखी। कला और संस्कृति के संरक्षक अवध के नवाबों के शासनकाल में की गई मुग़ल चित्रकारी आज भी कई संग्रहालयों में है। बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा तथा रूमी दरवाज़ा मुग़ल वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं।

लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफ़उद्दौला ने 1775 ई. में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। कालांतर में नवाब विलासी और निकम्मे सिद्ध हुए। इन नवाबों के आलसी स्वभाव के कारण लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध को बिना युद्ध ही अधिग्रहण कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। 1850 में अवध के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली। लखनऊ के नवाबों का शासन इस प्रकार समाप्त हुआ।

यूनाइटेड प्रोविन्स या 'यूपी'

सन 1902 में 'नार्थ वेस्ट प्रोविन्स' का नाम बदल कर 'यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध' कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे 'यूनाइटेड प्रोविन्स' या 'यूपी' कहा गया। सन 1920 में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से बदल कर लखनऊ कर दिया गया। 'अखिल भारतीय किसान सभा' का आयोजन 1934 ई. में लखनऊ में ही किया गया था। स्वतन्त्रता के बाद 12 जनवरी सन् 1950 में इसका नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रख दिया गया और लखनऊ इसकी राजधानी बना। इस प्रकार यह अपने पूर्व लघुनाम 'यूपी' से जुड़ा रहा।

उच्च न्यायालय

प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक न्यायपीठ स्थापित की गयी। गोविंद वल्लभ पंत इस प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने। अक्टूबर 1963 में सुचेता कृपलानी उत्तर-प्रदेश एवं भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनीं।

भाषा

यह हिन्दी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। लखनऊ में अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहाँ की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं।

उद्योग एवं व्यवसाय

सोने की पुरानी खान, लखनऊ

चिकनकारी और ज़री के काम का यह प्रमुख केन्द्र है। लखनऊ का चिकन, यहाँ के हुनरमंदों की कारीगरी,[1] लखनवी ज़रदोज़ी की बहुत प्रसिद्धि है। पुराने लखनऊ के चौक इलाके का ज़्यादातर हिस्सा चिकन कशीदाकारी की दुकानों से भरा पड़ा है। लखनऊ का चिकन की कढ़ाई का व्यापार बहुत प्रसिद्ध है। यह एक लघु-उद्योग है। यह लघु उद्योग यहाँ के चौक क्षेत्र के घर घर में फैला हुआ है। चिकन एवं लखनवी ज़रदोज़ी, दोनों ही देश के लिए विदेशी मुद्रा लाते हैं। चिकन ने बॉलीवुड एवं विदेशों के फैशन डिज़ाइनरों को सदैव आकर्षित किया है। चौक में ही मुँह में पानी ला देने वाले मिठाइयों की दुकाने भी हैं। यहाँ की ज़ायकेदार मलाई गिलौरी (पान), बादाम हलवा और रस-मलाई, और चटपटी चाट बहुत प्रसिद्ध है। लखनऊ हमेशा से ही लजीज पकवानों के लिए मशहूर रहा है। सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि मिली है टुंडे नवाब के कबाब को। चौक की घुमावदार गलियों में से एक गली में मौजूद है टुंडे नवाब की यह 100 साल पुरानी दुकान। शहर में आज भी अतीत की सुंदर झलकियां देखी जा सकती हैं। प्राचीन काल से ही यह शहर रेशम, इत्र, चिकन के कपड़ें, आभूषण, स्वादिष्ट भोजन और नवाबी शिष्टाचार के लिए प्रसिद्ध है।

कला

अवध के नवाबों के इस शहर में कथक, ठुमरी, ख़्याल नृत्य, दादरा, कव्वाली, ग़ज़ल और शेरो शायरी जैसी कला भी शिखर पर पहुंची थी।

यातायात और परिवहन

वायुमार्ग

लखनऊ का 'अमौसी एयरपोर्ट' दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चैन्नई, बैंगलोर, जयपुर, पुणे, भुवनेश्वर, गुवाहाटी और अहमदाबाद से प्रतिदिन सीधी फ्लाइट द्वारा जुड़ा हुआ है। अमौसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ का मुख्य विमान क्षेत्र है। यह नगर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यह कई अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवाओं के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों से जुड़ा हुआ है। इन गंतव्यों में लंदन, दुबई, जेद्दाह, मस्कट, शारजाह, सिंगापुर एवं हांगकांग आदि हैं। हज मुबारक के समय यहाँ से विशेष उड़ानें सीधे जेद्दाह के लिए रहती हैं।

आसफ़ी मस्जिद, लखनऊ

रेलमार्ग

लखनऊ जंक्शन भारत के प्रमुख शहरों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से लखनऊ मेल और शताब्दी एक्सप्रेस, मुम्बई से पुष्पक एक्सप्रेस, कोलकाता से दून और अमृतसर एक्सप्रेस के माध्यम से लखनऊ पहुंचा जा सकता है। लखनऊ में कई रेलवे स्टेशन हैं। शहर में मुख्य रेलवे स्टेशन चारबाग़ रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन का सुन्दर महलनुमा भवन 1923 में बना था। मुख्य टर्मिनल उत्तर रेलवे का है जिसका स्टेशन कोड: LKO है। दूसरा टर्मिनल पूर्वोत्तर रेलवे मंडल का है, जिसका स्टेशन कोड: LJN है। लखनऊ एक प्रधान जंक्शन स्टेशन है, जो भारत के लगभग सभी मुख्य नगरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। मुख्य रेलवे स्टेशन पर आजकल 15 रेलवे प्लेटफ़ॉर्म हैं।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से दिल्ली से सीधे लखनऊ पहुंचा जा सकता है। लखनऊ का राष्ट्रीय राजमार्ग 2 दिल्ली को आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर के रास्ते कोलकाता को जोड़ता है। प्रमुख बस टर्मिनस आलमबाग़ का डॉ. भीमराव अम्बेडकर बस टर्मिनस है। इसके अतिरिक्त अन्य प्रमुख बस टर्मिनस केसरबाग़ और चारबाग़ थे, जिनमें से चारबाग़ बस टर्मिनस को, जो चारबाग़ रेलवे स्टेशन के सामने था, नगर बस डिपो बना कर स्थानांतरित कर दिया गया है। यह स्थानांतरण रेलवे स्टेशन के सामने की भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के लिए किया गया है।

शिक्षा

ला मार्टिनियर महाविद्यालय, लखनऊ
लखनऊ में छः विश्वविद्यालय हैं
  • लखनऊ विश्वविद्यालय
  • उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (यू. पी. टी. यू.)
  • राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (लोहिया लॉ वि.वि.)
  • बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय
  • एमिटी विश्वविद्यालय
  • इंटीग्रल विश्वविद्यालय
यहाँ कई उच्च चिकित्सा संस्थान भी हैं
  • संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एस.जी.पी.जी.आई.)
  • छत्रपति शाहूजी महाराज आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (जिसे पहले किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज कहते थे) के अलावा निर्माणाधीन सहारा अस्पताल, अपोलो अस्पताल, एराज़ लखनऊ मेडिकल कॉलेज भी हैं।
  • प्रबंधन संस्थानों में भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ (आई.आई.एम.), इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़ आते हैं।
  • यहाँ भारत के प्रमुखतम निजी विश्वविद्यालयों में से एक, एमिटी विश्वविद्यालय का भी परिसर है।
  • इसके अलावा यहाँ बहुत से उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के भी सरकारी एवं निजी विद्यालय हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
    • सिटी मॉण्टेसरी स्कूल
    • ला मार्टिनियर महाविद्यालय
    • जयपुरिया स्कूल
    • कॉल्विन ताल्लुकेदार कालेज
    • एम्मा थॉम्पसन स्कूल
    • सेंट फ्रांसिस स्कूल
    • महानगर बॉयज़

अनुसंधान शोध संस्थान

लखनऊ में देश के कई उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान भी हैं। इनमें से कुछ हैं:

  • किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज
  • बीरबल साहनी अनुसंधान संस्थान
यहाँ भारत के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की चार प्रमुख प्रयोगशालाएँ हैं-
  • केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान
  • औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र
  • राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान अनुसंधान संस्थान(एन.बी.आर.आई.)
  • केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान
  • लखनऊ विकास प्राधिकरण

जनसंख्या

भारत सरकार की 2001 की जनगणना, सामाजिक, आर्थिक सूचकांक के अनुसार, लखनऊ ज़िला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला ज़िला है। कानपुर के बाद यह नगर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है। लखनऊ को भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक माना गया है। लखनऊ की अधिकांश जनसंख्या पूर्वी उत्तर प्रदेश से है। फिर भी यहाँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के अलावा बंगाली, दक्षिण भारतीय एवं आंग्ल-भारतीय लोग भी बसे हुए हैं। लखनऊ की कुल जनसंख्या का 77% हिन्दू एवं 20% मुस्लिम लोग हैं। शेष भाग में सिक्ख, जैन, ईसाई एवं बौद्ध लोग हैं।

साक्षरता

लखनऊ भारत के सबसे साक्षर शहरों में से एक है। यहाँ की साक्षरता दर 82.5% है, स्त्रियों की 78% एवं पुरुषों की साक्षरता 89% हैं।

पर्यटन स्थल

पर्यटन स्थल संक्षिप्त विवरण चित्र
बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ शहर बड़ा इमामबाड़ा नामक एक ऐतिहासिक द्वार का घर है, जहां एक ऐसी अद्भुत वास्तुकला दिखाई देती है जो आधुनिक वास्‍तुकार भी देख कर दंग रह जाएं। इमामबाड़े का निर्माण नवाब आसफ़उद्दौला ने 1784 ई. में कराया था और इसके संकल्‍पनाकार 'किफ़ायतउल्‍ला' थे, जो ताजमहल के वास्‍तुकार के संबंधी कह जाते हैं। ... और पढ़ें
Imambara-Lucknow.JPG
छोटा इमामबाड़ा छोटा इमामबाड़ा या हुसैनाबाद इमामबाड़ा का निर्माण अवध के नवाब 'मोहम्मद अली शाह' ने 1837 ई. में करवाया गया था। ऐसा माना जाता है कि मोहम्मद अली शाह को यहीं पर दफनाया गया था। छोटे इमामबाड़े में ही मोहम्मद अली शाह की बेटी और दामाद का मक़बरा भी बना हुआ है। ... और पढ़ें
Chota-Imambara.jpg
रूमी दरवाज़ा रूमी दरवाज़ा लखनऊ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लखनऊ का यह भवन विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान रखता है। नवाब आसफ़उद्दौला ने सन‍् 1775 में लखनऊ को अपनी सल्तनत का केंद्र बना लिया था। यह दरवाज़ा जनपद लखनऊ का हस्ताक्षर शिल्प भवन है। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाज़े को तुर्किश गेटवे कहा जाता है। ... और पढ़ें
Rumi-Darwaza-Lucknow.jpg
बटलर पैलेस लखनऊ में सुल्तानगंज बांध और बनारसी बाग़ के बीच में एक आलीशान चौरुखा महल है। इस महल को 'बटलर पैलेस' के नाम से जाना जाता है। इस इमारत का नाम सन् 1907 में सी.ई डिप्टी कमिश्नर अवध बने सर हारकोर्ट बटलर के नाम पर है। किन्हीं कारणों से यह महल पूरी तरह निर्मित नहीं हो सका किंतु इसका वर्तमान स्वरूप देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि यह बना होता, तो इसकी भव्यता देखते ही बनती। ... और पढ़ें
बटलर पैलेस.jpg
लाल पुल लाल पुल को ‘पक्का पुल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पुल 10 जनवरी, 1914 को बनकर तैयार हुआ था। इस पुल को बने 100 साल हो गये हैं। अवध के नवाब आसफ़उद्दौला के द्वारा निर्मित पुराने शाही पुल को 1911 में कमज़ोर बता कर तोड़ दिये जाने के बाद अंग्रेज़ अधिकारियों ने 10 जनवरी 1914 यह पुल बनाकर लखनऊ की जनता को सौंपा था। ... और पढ़ें
Lal pul-1.jpg
छतर मंज़िल छतर मंज़िल लखनऊ का एक ऐतिहासिक भवन है। इसके निर्माण का प्रारंभ अवध के नवाब ग़ाज़ीउद्दीन हैदर ने किया था और उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने इसको पूरा करवाया। ... और पढ़ें
Chattar-Manzil.jpg
रेसीडेंसी संग्रहालय रेज़ीडेंसी संग्रहालय वर्तमान में एक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है। रेज़ीडेंसी संग्रहालय का निर्माण लखनऊ के समकालीन नवाब आसफ़उद्दौला ने सन् 1780 में प्रारम्भ करवाया था जिसे बाद में नवाब सआदत अली द्वारा सन् 1800 में पूरा करावाया गया। ... और पढ़ें
Residency-Museum.jpg
चारबाग़ रेलवे स्टेशन चारबाग़ रेलवे स्टेशन 1914 ई. में बनकर तैयार हुआ था। इसकी स्थापत्य कला में राजस्थानी भवन निर्माण शैली की झलक मिलती है। इस स्टेशन की स्थापत्य उत्कृष्टता प्रसिद्ध है। इसकी स्थापत्य कला राजस्थानी और मुग़ल चित्रकला से प्रभावित है। एक आलीशान वास्तुशैली साथ स्टेशन नवाबों शाही शानो-शौक़त का प्रतीक है। ... और पढ़ें
CharBagh-Lucknow-Station.jpg
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वीथिका

बड़ा इमामबाड़ा
लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा का विहंगम दृश्य
Panoramic View Of Bara Imambara, Lucknow

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मलमल के कपड़े पर की गई कशीदाकारी

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