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'''हिजरी''' इस्लामी पंचांग या कॅलण्डर है जिसे हिजरी कॅलण्डर भी कहते हैं। हिजरी एक चंद्र कैलेण्डर है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रयोग होता है बल्कि इसे पूरे विश्व के मुसलमान भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं।
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'''हिजरी''' इस्लामी पंचांग या कॅलण्डर है, जिसे 'हिजरी कॅलण्डर' भी कहते हैं। यह एक चंद्र कैलेण्डर है, जो न सिर्फ [[मुस्लिम]] देशों में प्रयोग होता है, बल्कि इसे पूरे विश्व के मुसलमान भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं। इसका [[नववर्ष]] [[मोहर्रम|मोहर्रम माह]] के पहले दिन होता है। हिजरी कॅलण्डर कर्बला की लड़ाई के पहले ही निर्धारित कर लिया गया था। मोहर्रम के दसवें दिन को ‘आशूरा’ के रूप में जाना जाता है। इसी दिन [[पैगम्बर मुहम्मद]] के नवासे इमाम हुसैन [[बगदाद]] के निकट कर्बला में शहीद हुए थे। हिजरी कॅलण्डर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें [[चंद्रमा]] की घटती बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।
 
==हिजरी का प्रारम्भ==
 
==हिजरी का प्रारम्भ==
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हज़रत उमर फारूक के जमाने में नबी-ए-करीम के मक्का से मदीना हिजरत करने के दिन से इस संवत की बुनियाद पड़ी, इसलिए इसे हिजरी संवत कहा जाता है। इस सन का पहला महीना मुहर्रम है। इस महीने में हज़रत इमाम हुसैन व उनके साथियों ने बातिल से लड़ते हुए हक के लिए अपनी शहादत दी।<ref>{{cite web |url=http://www.sujangarhonline.com/2011/11/islamic-3228/ |title=इस्लामिक नववर्ष हिजरी संवत|accessmonthday= 06|accessyear= नवम्बर|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> [[शुक्रवार]], [[16 जुलाई]], 622 को हिजरी का प्रारम्भ हुआ, क्योंकि उसी दिन [[हज़रत मुहम्मद साहब]] [[मक्का (अरब)|मक्का]] के पुरोहितों एवं सत्ताधारी वर्ग के दबावों के कारण मक्का छोड़कर [[मदीना]] की ओर कूच कर गये थे। ख़लीफ़ा उमर की आज्ञा से प्रारम्भ हिजरी संवत में 12 [[चन्द्रमा ग्रह|चन्द्र]] [[मास]] होते हैं, जिसमें 29 और 30 दिन के मास एक-दूसरे के बाद पड़ते हैं। [[वर्ष]] में 354 दिन होते हैं, फलतः यह सौर संवत के वर्ष से 11 दिन छोटा हो जाता है। इस अन्तर को पूरा करने के लिए 30 वर्ष बाद [[ज़िलहिज्ज]] महीने में कुछ दिन जोड़ दिये जाते हैं। हिजरी के महीनों के नाम इस प्रकार हैं-
 
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11:16, 6 नवम्बर 2013 का अवतरण

हिजरी इस्लामी पंचांग या कॅलण्डर है, जिसे 'हिजरी कॅलण्डर' भी कहते हैं। यह एक चंद्र कैलेण्डर है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रयोग होता है, बल्कि इसे पूरे विश्व के मुसलमान भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं। इसका नववर्ष मोहर्रम माह के पहले दिन होता है। हिजरी कॅलण्डर कर्बला की लड़ाई के पहले ही निर्धारित कर लिया गया था। मोहर्रम के दसवें दिन को ‘आशूरा’ के रूप में जाना जाता है। इसी दिन पैगम्बर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन बगदाद के निकट कर्बला में शहीद हुए थे। हिजरी कॅलण्डर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें चंद्रमा की घटती बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।

हिजरी का प्रारम्भ

हज़रत उमर फारूक के जमाने में नबी-ए-करीम के मक्का से मदीना हिजरत करने के दिन से इस संवत की बुनियाद पड़ी, इसलिए इसे हिजरी संवत कहा जाता है। इस सन का पहला महीना मुहर्रम है। इस महीने में हज़रत इमाम हुसैन व उनके साथियों ने बातिल से लड़ते हुए हक के लिए अपनी शहादत दी।[1] शुक्रवार, 16 जुलाई, 622 को हिजरी का प्रारम्भ हुआ, क्योंकि उसी दिन हज़रत मुहम्मद साहब मक्का के पुरोहितों एवं सत्ताधारी वर्ग के दबावों के कारण मक्का छोड़कर मदीना की ओर कूच कर गये थे। ख़लीफ़ा उमर की आज्ञा से प्रारम्भ हिजरी संवत में 12 चन्द्र मास होते हैं, जिसमें 29 और 30 दिन के मास एक-दूसरे के बाद पड़ते हैं। वर्ष में 354 दिन होते हैं, फलतः यह सौर संवत के वर्ष से 11 दिन छोटा हो जाता है। इस अन्तर को पूरा करने के लिए 30 वर्ष बाद ज़िलहिज्ज महीने में कुछ दिन जोड़ दिये जाते हैं। हिजरी के महीनों के नाम इस प्रकार हैं-

इस्लामिक महीने

  1. मुहर्रम
  2. सफ़र
  3. रबीउल अव्वल
  4. रबीउल आख़िर
  5. जमादी-उल-अव्वल
  6. जमादी-उल-आख़िर
  7. रजब
  8. शाबान
  9. रमज़ान
  10. शव्वाल
  11. ज़िलक़ाद
  12. ज़िलहिज्ज


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इस्लामिक नववर्ष हिजरी संवत (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 06, नवम्बर।

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