"हर शाख़ पे बैठे उल्लू से -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (हर शाख पे बैठे उल्लू से -आदित्य चौधरी का नाम बदलकर हर शाख़ पे बैठे उल्लू से -आदित्य चौधरी कर दि...) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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इस जंगल में अब आग लगे | इस जंगल में अब आग लगे | ||
और सारे उल्लू भस्म करे | और सारे उल्लू भस्म करे | ||
− | फिर नया | + | फिर एक नया सावन आए |
और नया सवेरा पहल करे | और नया सवेरा पहल करे | ||
14:33, 21 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
हर शाख़ पे बैठे उल्लू से -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ