"यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी' -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) |
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"स्त्री की समस्या यहीं समाप्त नहीं होती... मान लीजिए कोई लड़की यदि बलात्कार का विरोध नहीं करती है... वह नियति मान कर अपनी जान की रक्षा के लिए चुपचाप बिना किसी विरोध के बलात्कार में सहमति दे देती है, जिससे कि कम से कम मार खाने से तो बच जाय और वहाँ पुलिस आ जाती है तो उस लड़की को निश्चित ही वैश्यावृत्ति के जुर्म में गिरफ़्तार किया जाएगा... क्या वह लड़की यह साबित कर पाएगी कि वह वैश्या नहीं है ? पुलिस कहेगी कि बलात्कार हो रहा था तो चीख़ने-चिल्लाने की आवाज़ भी आनी चाहिए और चोट के निशान भी होने चाहिए... । अदालत में भी यही सब होता है, प्रभु! सबसे अधिक दर्दनाक दृश्य तो तब बनता है जब विरोध पक्ष का वकील यह साबित करने का प्रयास करता है कि बलात्कार तो हुआ ही नहीं... ये हैं आपके बनाए मनुष्य के विधि-विधान..." | "स्त्री की समस्या यहीं समाप्त नहीं होती... मान लीजिए कोई लड़की यदि बलात्कार का विरोध नहीं करती है... वह नियति मान कर अपनी जान की रक्षा के लिए चुपचाप बिना किसी विरोध के बलात्कार में सहमति दे देती है, जिससे कि कम से कम मार खाने से तो बच जाय और वहाँ पुलिस आ जाती है तो उस लड़की को निश्चित ही वैश्यावृत्ति के जुर्म में गिरफ़्तार किया जाएगा... क्या वह लड़की यह साबित कर पाएगी कि वह वैश्या नहीं है ? पुलिस कहेगी कि बलात्कार हो रहा था तो चीख़ने-चिल्लाने की आवाज़ भी आनी चाहिए और चोट के निशान भी होने चाहिए... । अदालत में भी यही सब होता है, प्रभु! सबसे अधिक दर्दनाक दृश्य तो तब बनता है जब विरोध पक्ष का वकील यह साबित करने का प्रयास करता है कि बलात्कार तो हुआ ही नहीं... ये हैं आपके बनाए मनुष्य के विधि-विधान..." | ||
"जहाँ तक हम विचार करते हैं विधि का निर्माण तो मनुष्य के उस समूह द्वारा होता है जिसे 'बुद्धिजीवी' कहते हैं, तो फिर समस्या क्या है चित्रगुप्त ?" | "जहाँ तक हम विचार करते हैं विधि का निर्माण तो मनुष्य के उस समूह द्वारा होता है जिसे 'बुद्धिजीवी' कहते हैं, तो फिर समस्या क्या है चित्रगुप्त ?" | ||
− | "इसका उत्तर देने में निश्चित रूप से दामिनी सक्षम होगी प्रभु ! उसी से पूछते हैं।" चित्रगुप्त ने कहा | + | "इसका उत्तर देने में निश्चित रूप से दामिनी ही सक्षम होगी प्रभु ! उसी से पूछते हैं।" चित्रगुप्त ने कहा |
"क़ानून बनाना और उसे लागू करना दोनों में सामंजस्य नहीं है। जिस स्तर के व्यक्ति क़ानून बनाते हैं क्या उसी स्तर के व्यक्ति उसे लागू करते हैं ?... ऐसा नहीं होता है प्रभु ! आपके देवलोक में देवता और राक्षस अलग-अलग हैं लेकिन मृत्युलोक में आपने प्रत्येक मनुष्य के भीतर देवता और राक्षस एक साथ बना दिया। हमारी पृथ्वी के इतिहास में यह खोजना बहुत मुश्किल है कि कौन देवता हुआ और कौन राक्षस। परिस्थितियों से वशीभूत होकर देवता या राक्षस हो जाना ही मनुष्य की नियति है... यही जीवन क्रम है।" | "क़ानून बनाना और उसे लागू करना दोनों में सामंजस्य नहीं है। जिस स्तर के व्यक्ति क़ानून बनाते हैं क्या उसी स्तर के व्यक्ति उसे लागू करते हैं ?... ऐसा नहीं होता है प्रभु ! आपके देवलोक में देवता और राक्षस अलग-अलग हैं लेकिन मृत्युलोक में आपने प्रत्येक मनुष्य के भीतर देवता और राक्षस एक साथ बना दिया। हमारी पृथ्वी के इतिहास में यह खोजना बहुत मुश्किल है कि कौन देवता हुआ और कौन राक्षस। परिस्थितियों से वशीभूत होकर देवता या राक्षस हो जाना ही मनुष्य की नियति है... यही जीवन क्रम है।" | ||
"बेटी यह बताओ कि इस सब का दोषी कौन है और इसमें सुधार कैसे हो सकता है ?" चित्रगुप्त ने पूछा | "बेटी यह बताओ कि इस सब का दोषी कौन है और इसमें सुधार कैसे हो सकता है ?" चित्रगुप्त ने पूछा | ||
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यदि हमारे देश में प्रजातंत्र है तो हमारे देश की सरकार हमारे समाज का आइना ही होगी और सरकार में नेता यदि योग्य और आदर्शवादी नहीं हैं तो उसका कारण है कि हमारे गली-मुहल्ले में ही कितने आदर्शवादी रहते हैं ? ऐसी कितनी पत्नी हैं जो अपने पति से कहती हैं कि चाहे भूखे ही सो जाएंगे लेकिन घर में रिश्वत का एक पैसा नहीं आना चाहिए। | यदि हमारे देश में प्रजातंत्र है तो हमारे देश की सरकार हमारे समाज का आइना ही होगी और सरकार में नेता यदि योग्य और आदर्शवादी नहीं हैं तो उसका कारण है कि हमारे गली-मुहल्ले में ही कितने आदर्शवादी रहते हैं ? ऐसी कितनी पत्नी हैं जो अपने पति से कहती हैं कि चाहे भूखे ही सो जाएंगे लेकिन घर में रिश्वत का एक पैसा नहीं आना चाहिए। | ||
जिस समय मेरे लिए राजपथ पर प्रदर्शन हो रहा था, उस समय राजधानी में ही दबंग फ़िल्म सौ करोड़ की कमाई करने के लिए हाउसफ़ुल ले रही थी। जब कि अख़बारों और टीवी पर तो यह समाचार आना चाहिए कि सिनेमा हॉल ख़ाली रहे... कोई फ़िल्में देखने पहुँचा ही नहीं। जब तक हमारा अपना आँगन साफ़ नहीं होगा तब तक राजपथ से कोई उम्मीद करना नासमझी ही है। मुझे अपने लिए इंसाफ़ तब तक नहीं चाहिए प्रभु ! जब तक कि उन सभी लड़कियों को भी न्याय नहीं मिलता जिनके लिए कोई प्रदर्शन और आंदोलन नहीं हुए क्योंकि उन लड़कियों में से कोई सुदूर राज्य में किसी गांव की है, कोई दलित, कोई आदिवासी और कोई अल्पसंख्यक है। | जिस समय मेरे लिए राजपथ पर प्रदर्शन हो रहा था, उस समय राजधानी में ही दबंग फ़िल्म सौ करोड़ की कमाई करने के लिए हाउसफ़ुल ले रही थी। जब कि अख़बारों और टीवी पर तो यह समाचार आना चाहिए कि सिनेमा हॉल ख़ाली रहे... कोई फ़िल्में देखने पहुँचा ही नहीं। जब तक हमारा अपना आँगन साफ़ नहीं होगा तब तक राजपथ से कोई उम्मीद करना नासमझी ही है। मुझे अपने लिए इंसाफ़ तब तक नहीं चाहिए प्रभु ! जब तक कि उन सभी लड़कियों को भी न्याय नहीं मिलता जिनके लिए कोई प्रदर्शन और आंदोलन नहीं हुए क्योंकि उन लड़कियों में से कोई सुदूर राज्य में किसी गांव की है, कोई दलित, कोई आदिवासी और कोई अल्पसंख्यक है। | ||
− | जहाँ तक सवाल अपराधियों को सज़ा देने का है तो यह सभी जानते हैं कि फांसी की सज़ा से हत्याएं कम नहीं होती तो बलात्कार कैसे कम हो जाएंगें ? दिल्ली में सन 2012 में बलात्कार के 650 केस रजिस्टर हुए। याने पूरे वर्ष रोज़ाना दो बलात्कार हुए। आप भी जानते हैं कि बलात्कार तो इससे बहुत ज़्यादा हुए लेकिन जो लिखे गए वे इतने हैं। यूरोप के हालात तो और भी बदतर हैं, न्यूयॉर्क में रोज़ाना औसतन 7 बलात्कार के केस दर्ज होते हैं और लंदन में 9। हमारे देश के गांवों के हालात तो ऐसे हैं कि कहते हुए भी डर लगता है। लड़कियों को छेड़े जाने की तो बात करना भी बेकार है। | + | जहाँ तक सवाल अपराधियों को सज़ा देने का है तो यह सभी जानते हैं कि फांसी की सज़ा से हत्याएं कम नहीं होती तो बलात्कार कैसे कम हो जाएंगें ? दिल्ली में सन 2012 में बलात्कार के 650 केस रजिस्टर हुए। याने पूरे वर्ष रोज़ाना दो बलात्कार हुए। आप भी जानते हैं कि बलात्कार तो इससे बहुत ज़्यादा हुए लेकिन जो लिखे गए वे इतने हैं। यूरोप और अमरीका के हालात तो और भी बदतर हैं, न्यूयॉर्क में रोज़ाना औसतन 7 बलात्कार के केस दर्ज होते हैं और लंदन में 9। हमारे देश के गांवों के हालात तो ऐसे हैं कि कहते हुए भी डर लगता है। लड़कियों को छेड़े जाने की तो बात करना भी बेकार है। |
ज़रा सोचिए जिस शहर में रोज़ाना ही कई बलात्कार हो रहे हों और यह संख्या प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हो वहाँ आप इस सड़ी-गली व्यवस्था में किस-किस को न्याय और सुरक्षा देंगें ?" | ज़रा सोचिए जिस शहर में रोज़ाना ही कई बलात्कार हो रहे हों और यह संख्या प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हो वहाँ आप इस सड़ी-गली व्यवस्था में किस-किस को न्याय और सुरक्षा देंगें ?" | ||
"तो फिर तुम चाहती क्या हो बिटिया... तुम्हारी दृष्टि में क्या होना चाहिए ?..." | "तो फिर तुम चाहती क्या हो बिटिया... तुम्हारी दृष्टि में क्या होना चाहिए ?..." |
10:02, 15 जनवरी 2013 का अवतरण
यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी' -आदित्य चौधरी यमलोक में यमराज अपने सिंहासन पर विराजमान हैं। चित्रगुप्त अपने बही खाते से अपरिमित ब्रह्माण्ड में व्याप्त 84 लाख योनियों का असंख्य-असंख्य युगों, चतुर्युगों और मंवंतरों का लेखा-जोखा देख रहे हैं। किसने क्या कर्म किए और वे कैसे थे, किसे स्वर्ग दें किसे नर्क, किसे मोक्ष मिले और किसे पशु योनि। यह सब चल ही रहा था कि सचिव ने घोषणा की-
यदि इस प्रकार की व्यवस्था हो सके तो सुधार संभव है वरना तो सब बेकार की बातें हैं।..." |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यह व्यवस्था बड़े शहरों के लिए ही होगी इस कड़े में यह व्यवस्था होती है कि जैसे ही इस कड़े पर दवाब बढ़ता है या इसे खोला जाता है इसकी सूचना निकटतम पुलिस तंत्र को मिल जाती है और पुलिस वहाँ पहुंच जाती है। इसके बटन को दबाने से ही पुलिस को बुलाया जा सकता है।
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