"रात नहीं कटती थी रात में -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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रात नहीं कटती थी रात में, अब दिन में भी कटी नहीं | रात नहीं कटती थी रात में, अब दिन में भी कटी नहीं | ||
ऐसी परत जमी चेहरों पर, कोहरे की फिर हटी नहीं | ऐसी परत जमी चेहरों पर, कोहरे की फिर हटी नहीं | ||
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मस्त ज़िन्दगी जी लो यारो, इसमें कोई हर्ज़ नहीं | मस्त ज़िन्दगी जी लो यारो, इसमें कोई हर्ज़ नहीं | ||
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उसे भुला दूँ जिसमें बसा था, पूरा ये संसार मिरा | उसे भुला दूँ जिसमें बसा था, पूरा ये संसार मिरा | ||
शक़ की बिनाह पर मुझको छोड़ा, कोई बहस तक़रीर नहीं | शक़ की बिनाह पर मुझको छोड़ा, कोई बहस तक़रीर नहीं | ||
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इसने टोका उसने पूछा, क्यों किस्मत क्या खुली नहीं ? | इसने टोका उसने पूछा, क्यों किस्मत क्या खुली नहीं ? |
11:33, 21 अप्रैल 2014 का अवतरण
रात नहीं कटती थी रात में -आदित्य चौधरी
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