"टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ. -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
"बब्बू यार ! तू बेकार की बात मत किया कर... बबलू गॅन्ग पुलिस की तो सारी डिमान्ड पूरी करता है और तू हमेशा बहसबाज़ी में ही रहता है" इंस्पॅक्टर हाकिम सिंह टनकिया ने टोंटा गॅन्ग के सी॰ ई॰ ओ॰ बब्बू बॉस की बात अनसुनी करते हुए कहा। | "बब्बू यार ! तू बेकार की बात मत किया कर... बबलू गॅन्ग पुलिस की तो सारी डिमान्ड पूरी करता है और तू हमेशा बहसबाज़ी में ही रहता है" इंस्पॅक्टर हाकिम सिंह टनकिया ने टोंटा गॅन्ग के सी॰ ई॰ ओ॰ बब्बू बॉस की बात अनसुनी करते हुए कहा। | ||
इस पर बब्बू, अपना अंदाज़ बदल कर लॉजिक के साथ, बोला- | इस पर बब्बू, अपना अंदाज़ बदल कर लॉजिक के साथ, बोला- | ||
− | "बबलू तो | + | "बबलू तो मंत्री के साले की गोद में बैठा है सर जी! उसका गॅन्ग जितना क्राइम करता है ना, उससे आधा भी नहीं दिखता...। ... अच्छा, चलिए एक बात बताइये... बबलू गॅन्ग ने क्राइम करने से पहले कभी पुलिस को रिपोर्ट किया है... कभी नहीं ना ?... अरे भई, फर्ज बनता है कि नईं... अब पुलिस वाले क्या हराम की तनखा चीर रहे हैं जो कोई गॅन्ग उनको क्राइम करने से पहले बताएगा भी नहीं... अरे भई... ! आप क्राइम करने से पहले पुलिस को इन्फोर्म नहीं करेंगे तो बेचारे पुलिस वालों को कहाँ से पता लगेगा कि क्राइम कहाँ, कब और कैसे हुआ ? फॅक्ट की बात ये हैऽऽऽ कि करीब करीब सारे क्राइम पुलिस की नोलेज में ही तो होते हैं सर जी ! एक रेप ही तो है जिसकी इन्फोरमेसन पुलिस को नहीं होती। वैसे भी इसमें कोई बिजनिस तो है नहीं...एन्टरटेनमेन्ट ही तो है सर जी ! ... और इसे तो आपका स्टाफ़ भी कर लेता है... मेरा मतलब है कि कभी-कभी।" |
इस बार, इंस्पॅक्टर टनकिया ने बहुत ध्यान से बब्बू की बात सुनी और ठंडी आह लेकर बब्बू से बोला- | इस बार, इंस्पॅक्टर टनकिया ने बहुत ध्यान से बब्बू की बात सुनी और ठंडी आह लेकर बब्बू से बोला- | ||
"क्या बात कही है बब्बू वाह ! तूने हमारा दर्द तो समझा... अब तू ही देख ले कि जनता तो बस ये सोचती है कि चोरी-डकैती हो जाती है और मुजरिम का पता नहीं चलता... अरे भाई अब वो ज़माना ही नहीं रहा... आजकल तो लोग पुलिस को बताए बिना ही वारदात करने चल देते हैं...... "तूने मदर इंडिया पिच्चर देखी थी... क्यों ?" इंस्पॅक्टर टनकिया ने बच्चों जैसी मासूमियत से पूछा। | "क्या बात कही है बब्बू वाह ! तूने हमारा दर्द तो समझा... अब तू ही देख ले कि जनता तो बस ये सोचती है कि चोरी-डकैती हो जाती है और मुजरिम का पता नहीं चलता... अरे भाई अब वो ज़माना ही नहीं रहा... आजकल तो लोग पुलिस को बताए बिना ही वारदात करने चल देते हैं...... "तूने मदर इंडिया पिच्चर देखी थी... क्यों ?" इंस्पॅक्टर टनकिया ने बच्चों जैसी मासूमियत से पूछा। |
15:22, 30 जुलाई 2014 का अवतरण
टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ. -आदित्य चौधरी "बब्बू यार ! तू बेकार की बात मत किया कर... बबलू गॅन्ग पुलिस की तो सारी डिमान्ड पूरी करता है और तू हमेशा बहसबाज़ी में ही रहता है" इंस्पॅक्टर हाकिम सिंह टनकिया ने टोंटा गॅन्ग के सी॰ ई॰ ओ॰ बब्बू बॉस की बात अनसुनी करते हुए कहा। |
पिछले सम्पादकीय