"कहता है जुगाड़ सारा ज़माना -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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आजकल पढ़ाई का तरीक़ा बदल रहा है। नई पीढ़ी की रुचि विज्ञान और कला में कम है। ज़्यादातर छात्र इस तरह के विषय चुन रहे हैं जो व्यापार से और पैसा कमाने से संबंधित हैं। इसलिए 'जुगाड़' करने वाली प्रतिभा कम हो रही है। असल में जुगाड़ करने के लिए ख़ाली वक़्त भी चाहिए। यह कहावत कि 'ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर' सही नहीं है, इसे होना चाहिए 'ख़ाली दिमाग़ जुगाड़ का घर'। | आजकल पढ़ाई का तरीक़ा बदल रहा है। नई पीढ़ी की रुचि विज्ञान और कला में कम है। ज़्यादातर छात्र इस तरह के विषय चुन रहे हैं जो व्यापार से और पैसा कमाने से संबंधित हैं। इसलिए 'जुगाड़' करने वाली प्रतिभा कम हो रही है। असल में जुगाड़ करने के लिए ख़ाली वक़्त भी चाहिए। यह कहावत कि 'ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर' सही नहीं है, इसे होना चाहिए 'ख़ाली दिमाग़ जुगाड़ का घर'। | ||
शायद शुरुआती जुगाड़, [[महात्मा गांधी]] ने बनाया था। उन्हें एक 'फ़ोर्ड कार' उपहार में मिली। गांधी जी ने कार के आगे बैल लगवा दिए और उसका नाम रख दिया 'ऑक्स-फ़ोर्ड'। इसके बाद तो हरियाणा-पंजाब से प्रसिद्धि प्राप्त करता हुआ 'जुगाड़' लगभग पूरे भारत में चलने लगा। | शायद शुरुआती जुगाड़, [[महात्मा गांधी]] ने बनाया था। उन्हें एक 'फ़ोर्ड कार' उपहार में मिली। गांधी जी ने कार के आगे बैल लगवा दिए और उसका नाम रख दिया 'ऑक्स-फ़ोर्ड'। इसके बाद तो हरियाणा-पंजाब से प्रसिद्धि प्राप्त करता हुआ 'जुगाड़' लगभग पूरे भारत में चलने लगा। | ||
− | जुगाड़ के लिए एक किस्सा और मशहूर है- | + | जुगाड़ के लिए एक किस्सा और मशहूर है-</poem> |
+ | [[चित्र:Jugad-3.jpg|left|200px|border]] | ||
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किसी गाँव की बात है कि अधेड़ उम्र में आकर, छोटे पहलवान की पत्नी स्वर्ग सिधार गई। छोटे पहलवान अकेले रह गए लेकिन बेटे बहू के घर में होने से संतोष कर लिया। एक दिन की बात है शाम के समय छोटे पहलवान खेत से लौटे तो उन्होंने बेटे की बहू से मूँग की दाल बनाने के लिए कहा। बहू ने अपने पति से कहलवा भेजा कि 'अब रात के समय मूँग की दाल कहाँ से आएगी, इसलिए जो कुछ बना है, वही खा लें'। | किसी गाँव की बात है कि अधेड़ उम्र में आकर, छोटे पहलवान की पत्नी स्वर्ग सिधार गई। छोटे पहलवान अकेले रह गए लेकिन बेटे बहू के घर में होने से संतोष कर लिया। एक दिन की बात है शाम के समय छोटे पहलवान खेत से लौटे तो उन्होंने बेटे की बहू से मूँग की दाल बनाने के लिए कहा। बहू ने अपने पति से कहलवा भेजा कि 'अब रात के समय मूँग की दाल कहाँ से आएगी, इसलिए जो कुछ बना है, वही खा लें'। | ||
पहलवान को बात अखर गई। उन्होंने अपने दोस्त की रिश्तेदारी में से एक ग़रीब विधवा से शादी कर ली। जब कुछ दिन बीत गए तो एक शाम को छोटे पहलवान ने चुपचाप रसोई में जाकर यह देख लिया कि मूँग की दाल बिल्कुल नहीं है। जब रात हो गई तो बाहर चौक में आकर अपने बेटे के साथ बैठ कर चाँदनी रात में गपशप करने लगे। कुछ देर और गुज़र गई तो अपनी पत्नी को आवाज़ देकर बोले- | पहलवान को बात अखर गई। उन्होंने अपने दोस्त की रिश्तेदारी में से एक ग़रीब विधवा से शादी कर ली। जब कुछ दिन बीत गए तो एक शाम को छोटे पहलवान ने चुपचाप रसोई में जाकर यह देख लिया कि मूँग की दाल बिल्कुल नहीं है। जब रात हो गई तो बाहर चौक में आकर अपने बेटे के साथ बैठ कर चाँदनी रात में गपशप करने लगे। कुछ देर और गुज़र गई तो अपनी पत्नी को आवाज़ देकर बोले- |
07:17, 2 जुलाई 2012 का अवतरण
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