"दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की | नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की | ||
ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की | ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की | ||
− | + | मेरे तन्हाई के आलम में सारे ख़ाब फीके थे | |
− | + | तुम्हारी ज़िद थी फिर इनको, बहारों से सजाने की | |
जो मैं था वो तो रहने ही कहाँ तुमने दिया मुझको | जो मैं था वो तो रहने ही कहाँ तुमने दिया मुझको | ||
जो मैं अब हो गया तुम सा, तो ज़िद है छोड़ जाने की | जो मैं अब हो गया तुम सा, तो ज़िद है छोड़ जाने की | ||
− | + | मैं ख़ुश कितना हूँ ये तुमको बताने के लिए आया | |
− | + | तुम्हें फ़ुर्सत कहाँ नाचीज़ को दिल से लगाने की | |
हज़ारों ख़्वाइशों को छोड़ के तुमको ही चाहा था | हज़ारों ख़्वाइशों को छोड़ के तुमको ही चाहा था | ||
− | तुम्हें | + | तुम्हें बेचैनियां रहती हैं अब सारे ज़माने की |
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16:52, 29 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी
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