"दोस्ती-दुश्मनी और मान-अपमान -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {| width="100%" class="headbg37" style="border:thin groove #003333; margin-left:5px; border-radius:5px; padding:10px;" | |
− | |||
− | |||
− | {| width="100%" class="headbg37" style="border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:10px;" | ||
|- | |- | ||
| | | | ||
[[चित्र:Bharatkosh-copyright-2.jpg|50px|right|link=|]] | [[चित्र:Bharatkosh-copyright-2.jpg|50px|right|link=|]] | ||
+ | [[चित्र:Facebook-icon-2.png|20px|link=http://www.facebook.com/bharatdiscovery|फ़ेसबुक पर भारतकोश (नई शुरुआत)]] [http://www.facebook.com/bharatdiscovery भारतकोश] <br /> | ||
+ | [[चित्र:Facebook-icon-2.png|20px|link=http://www.facebook.com/profile.php?id=100000418727453|फ़ेसबुक पर आदित्य चौधरी]] [http://www.facebook.com/profile.php?id=100000418727453 आदित्य चौधरी] | ||
<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>दोस्ती-दुश्मनी और मान-अपमान<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | <div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>दोस्ती-दुश्मनी और मान-अपमान<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | ||
---- | ---- | ||
− | [[चित्र:Court-of-nand.jpg|राजा नन्द का दरबार|border|right| | + | [[चित्र:Court-of-nand.jpg|राजा नन्द का दरबार|border|right|400px]] |
<poem> | <poem> | ||
न जाने कितनी पुरानी बात है कि न जाने किस राज्य में वीर नाम का एक युवक रहता था। एक बार वीर को दूसरे राज्य में किसी काम से जाना पड़ा और दुर्भाग्य से वीर वहाँ एक झूठे अपराध में फँस गया। गवाहों की ग़ैर मौजूदगी के कारण राजा ने उसे फाँसी का हुक़्म सुना दिया और मुनादी करवा दी गई- | न जाने कितनी पुरानी बात है कि न जाने किस राज्य में वीर नाम का एक युवक रहता था। एक बार वीर को दूसरे राज्य में किसी काम से जाना पड़ा और दुर्भाग्य से वीर वहाँ एक झूठे अपराध में फँस गया। गवाहों की ग़ैर मौजूदगी के कारण राजा ने उसे फाँसी का हुक़्म सुना दिया और मुनादी करवा दी गई- | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 42: | ||
"आपकी बहादुरी मशहूर है, मुझसे कुश्ती लड़कर मुझे हरा कर दिखाइए !" | "आपकी बहादुरी मशहूर है, मुझसे कुश्ती लड़कर मुझे हरा कर दिखाइए !" | ||
"तुमसे मेरा अंगरक्षक लड़ेगा... जो तुमसे दोगुना ताक़तवर है। उसके सामने तुम एक मिनिट भी नहीं टिक पाओगे। मुझे अपनी बहादुरी के लिए 'तुम्हारे' प्रमाणपत्र की नहीं बल्कि यूरोप की जनता के विश्वास की ज़रूरत है।" | "तुमसे मेरा अंगरक्षक लड़ेगा... जो तुमसे दोगुना ताक़तवर है। उसके सामने तुम एक मिनिट भी नहीं टिक पाओगे। मुझे अपनी बहादुरी के लिए 'तुम्हारे' प्रमाणपत्र की नहीं बल्कि यूरोप की जनता के विश्वास की ज़रूरत है।" | ||
− | मित्रता का कोई 'प्रकार' नहीं होता कि इस प्रकार की मित्रता या उस प्रकार की, जबकि शत्रुता के बहुत सारे 'प्रकार' हैं। जैसे- | + | मित्रता का कोई 'प्रकार' नहीं होता कि इस प्रकार की मित्रता या उस प्रकार की, जबकि शत्रुता के बहुत सारे 'प्रकार' हैं। जैसे- राजनीतिक शत्रुता, व्यापारिक शत्रुता, ईर्ष्या-जन्य शत्रुता आदि कई तरह की शत्रुता हो सकती हैं। शत्रुता के बारे में यह भी कहा जा सकता है कि शत्रुता कम हो गई या बढ़ गई। मित्रता कम या अधिक नहीं होती, या तो होती है या नहीं होती। जब हम यह कहते हैं "उससे हमारी उतनी दोस्ती अब नहीं रही..." तो हम सही नहीं कह रहे होते। वास्तव में दोस्ती समाप्त हो चुकी होती है। इसी तरह 'गहरी मित्रता' जैसी कोई स्थिति नहीं होती। दोस्ती और दुश्मनी में एक फ़र्क़ यह भी होता कि दोस्ती 'हो' जाती है और दुश्मनी 'की' जाती है। |
मित्रता और शत्रुता के संबंध में [[गीता]] क्या कहती है ? | मित्रता और शत्रुता के संबंध में [[गीता]] क्या कहती है ? | ||
गीता में दो श्लोक है- | गीता में दो श्लोक है- | ||
पंक्ति 61: | पंक्ति 60: | ||
यदि दो मित्र एक ही कार्य क्षेत्र में प्रयास करते हैं। एक को सफलता मिलती है, एक को नहीं मिलती। निश्चित रूप से उनमें ईर्ष्या हो जायेगी और उनमें एक शत्रुता की भावना पनप जायेगी, जिसे अंग्रेज़ी में आजकल नये टर्मिनोलॉजी में 'फ़्रेनिमी' भी कहा जाता है। फ़्रेनिमी यानी कि फ़्रेंड भी एनिमी भी (दोस्त भी और दुश्मन भी)। | यदि दो मित्र एक ही कार्य क्षेत्र में प्रयास करते हैं। एक को सफलता मिलती है, एक को नहीं मिलती। निश्चित रूप से उनमें ईर्ष्या हो जायेगी और उनमें एक शत्रुता की भावना पनप जायेगी, जिसे अंग्रेज़ी में आजकल नये टर्मिनोलॉजी में 'फ़्रेनिमी' भी कहा जाता है। फ़्रेनिमी यानी कि फ़्रेंड भी एनिमी भी (दोस्त भी और दुश्मन भी)। | ||
एक और उदाहरण- | एक और उदाहरण- | ||
− | उस्ताद [[बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ]] साहब और उस्ताद अमीर ख़ाँ साहब दोनों ही शास्त्रीय गायन में पारंगत थे। दोनों में प्रतिस्पर्द्धा थी। एक प्रकार की अदावत थी। बड़े | + | उस्ताद [[बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ]] साहब और [[उस्ताद अमीर ख़ाँ]] साहब दोनों ही शास्त्रीय गायन में पारंगत थे। दोनों में प्रतिस्पर्द्धा थी। एक प्रकार की अदावत थी। बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब अधिक प्रसिद्ध थे। उनकी आवाज़ में मधुरता अधिक थी। [[मुग़ल-ए-आज़म]] फ़िल्म में [[दिलीप कुमार]] और [[मधुबाला]] पर फ़िल्माये गए यादगार प्रेम-दृश्य में, बड़े ग़ुलाम अली की 'राग सोहनी' में गाई ठुमरी 'प्रेम जोगन बनके' ने उनकी प्रसिद्धि घर-घर में कर दी थी। अमीर ख़ाँ उतने ज़्यादा लोकप्रिय नहीं थे। अमीर ख़ाँ, बड़े ग़ुलाम अली के गायन में अक्सर कमियाँ निकालते रहते थे। |
ख़ुदा-न-ख़ास्ता हुआ ये कि बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ, अमीर ख़ाँ से पहले इंतकाल फ़र्मा गये। कमाल की बात ये देखिए कि अमीर अली ख़ाँ साहब ने गाना ही बन्द कर दिया। लोगों ने उनसे कहा कि अब आप गाते नहीं हैं। आप अब संगीत सभाओं में नहीं जाते। उन्होंने कहा कि 'उसी' को सुनाने के लिए गाता था। अब वही नहीं रहा तो सुनाऊँ किसको। अब आप क्या कहेंगे इसे ? दो लोगों की दोस्ती या दो लोगों की दुश्मनी ? | ख़ुदा-न-ख़ास्ता हुआ ये कि बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ, अमीर ख़ाँ से पहले इंतकाल फ़र्मा गये। कमाल की बात ये देखिए कि अमीर अली ख़ाँ साहब ने गाना ही बन्द कर दिया। लोगों ने उनसे कहा कि अब आप गाते नहीं हैं। आप अब संगीत सभाओं में नहीं जाते। उन्होंने कहा कि 'उसी' को सुनाने के लिए गाता था। अब वही नहीं रहा तो सुनाऊँ किसको। अब आप क्या कहेंगे इसे ? दो लोगों की दोस्ती या दो लोगों की दुश्मनी ? | ||
जो व्यक्ति दोस्त बनने के क़ाबिल नहीं है तो वह दुश्मन बनाने के क़ाबिल भी नहीं होता और जो दुश्मन बनाने के क़ाबिल नहीं है, वह दोस्त बनने के काबिल भी नहीं होता। जिस तरह दोस्तों का स्तर होता है, उसी तरह से दुश्मनों का भी स्तर होता है। | जो व्यक्ति दोस्त बनने के क़ाबिल नहीं है तो वह दुश्मन बनाने के क़ाबिल भी नहीं होता और जो दुश्मन बनाने के क़ाबिल नहीं है, वह दोस्त बनने के काबिल भी नहीं होता। जिस तरह दोस्तों का स्तर होता है, उसी तरह से दुश्मनों का भी स्तर होता है। | ||
पंक्ति 79: | पंक्ति 78: | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | ||
-आदित्य चौधरी | -आदित्य चौधरी | ||
− | <small> | + | <small>संस्थापक एवं प्रधान सम्पादक</small> |
</poem> | </poem> | ||
− | |||
− | |||
− | |||
|} | |} | ||
10:39, 22 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
दोस्ती-दुश्मनी और मान-अपमान -आदित्य चौधरी न जाने कितनी पुरानी बात है कि न जाने किस राज्य में वीर नाम का एक युवक रहता था। एक बार वीर को दूसरे राज्य में किसी काम से जाना पड़ा और दुर्भाग्य से वीर वहाँ एक झूठे अपराध में फँस गया। गवाहों की ग़ैर मौजूदगी के कारण राजा ने उसे फाँसी का हुक़्म सुना दिया और मुनादी करवा दी गई- |
टीका टिप्पणी और संदर्भ