अजित वाडेकर

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अजित वाडेकर
अजित वाडेकर
अजित वाडेकर
व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम अजित वाडेकर
अन्य नाम अजित लक्ष्मण वाडेकर
जन्म 1 अप्रैल, 1941
जन्म भूमि बम्बई, महाराष्ट्र
मृत्यु 15 अगस्त, 2018
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
खेल परिचय
बल्लेबाज़ी शैली बाएं हाथ के बल्लेबाज़
गेंदबाज़ी शैली लेफ्ट आर्म मीडियम, स्लो आर्म लेफ्ट ऑर्थोडॉक्स
टीम भारत
भूमिका बल्लेबाज़
पहला टेस्ट 13 दिसम्बर, 1966 बनाम वेस्टइंडीज
आख़िरी टेस्ट 4 जुलाई, 1974 बनाम इंग्लैंड
पहला वनडे 13 जुलाई, 1974 बनाम इंग्लैंड
आख़िरी वनडे 15 जुलाई, 1974 बनाम इंग्लैंड
कैरियर आँकड़े
प्रारूप टेस्ट क्रिकेट एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय टी-20 अन्तर्राष्ट्रीय
मुक़ाबले 37 02
बनाये गये रन 2,113 73
बल्लेबाज़ी औसत 31.07 36.50
100/50 1/14 0/1
सर्वोच्च स्कोर 143 67
फेंकी गई गेंदें 51 -
विकेट 0 -
गेंदबाज़ी औसत - -
पारी में 5 विकेट - 0
मुक़ाबले में 10 विकेट
सर्वोच्च गेंदबाज़ी
कैच/स्टम्पिंग

अजित लक्ष्मण वाडेकर (अंग्रेज़ी: Ajit Laxman Wadekar, जन्म- 1 अप्रैल, 1941, बम्बई[1]; मृत्यु- 15 अगस्त, 2018) भारत के प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे। भारतीय क्रिकेट को विश्वस्तरीय गौरव दिलाने वाले वे भारतीय क्रिकेट कप्तान थे। सन 1971 में वेस्टइण्डीज व इंग्लैण्ड इन दोनों टीमों से टेस्ट भूखला जीतकर अजित वाडेकर ने भारत का नाम विश्व में ऊंचा किया था। इन दोनों भूखलाओं में विजय प्राप्त करने वाले वाडेकर का तत्कालीन समय में स्वागत करने वालों में प्रधानमंत्री स्वर्गीय इन्दिरा गांधी सहित हजारों लोग 20 कि.मी. की दूरी तक पुष्प वर्षा करते खड़े हुए थे। अजित वाडेकर ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए 1966 से 1974 तक क्रिकेट खेला। उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत 1958 में की, जबकि अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत 1966 में की थी।

प्रारम्भिक जीवन

अजित वाडेकर का जन्म 1 अप्रैल, 1941 को बम्बई (वर्तमान मुम्बई), महाराष्ट्र में हुआ था। बचपन में उनकी रुचि खेलकूद में न होकर गणित में अधिक थी। पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे और माता डॉक्टर बनाना चाहती थीं। गणित में सर्वाधिक अंक अर्जित करने पर जब उन्हें क्रिकेट का बल्ला इनाम में मिला, जिस पर नील हार्वे क्रिकेटर के हस्ताक्षर थे, बस उसे लेकर अभ्यास में लग गये।

एलिफेस्टन कॉलेज में जब अजित वाडेकर पढ़ रहे थे, तो कॉलेज की टीम में एक खिलाड़ी की कमी होने पर उन्हें चुन लिया गया। यहीं से क्रिकेट के प्रति उनकी रुचि बढ़ती ही गयी। इधर कॉलेज की पढ़ाई और उधर क्रिकेट के मैदान में देर से पहुंचने पर प्रशिक्षक उन्हें मैदान के चारों ओर दौड़ाकर सजा दिया करते थे। इस सजा की वजह से उनका दौड़ने का अच्छा खासा अभ्यास हो जाता था। अजित वाडेकर अचूक निशानेबाज़ ऐसे थे कि एक ही पत्थर से कई-कई आम एक साथ गिरा दिया करते थे। बम्बई विश्वविद्यालय से उन्होंने प्रथम श्रेणी में एम.एस.सी. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वे एक कुशल गेंदबाज़ भी थे।[2]

कॅरियर

अजित ने बम्बई विश्वविद्यालय का 1957 से 1962 तक प्रतिनिधित्व किया। वे 1961-1962 में बम्बई विश्वविद्यालय टीम के कप्तान भी रहे। उन्होंने 1961-1962 में एम.सी.सी. के विरुद्ध विश्वविद्यालय की संयुक्त टीम की कप्तानी भी की। विश्वविद्यालय खेलों में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1958-1959 में दिल्ली के विरुद्ध रहा था, जब उन्होंने 324 रन बनाए थे। इसी प्रदर्शन के कारण उन्हें रणजी ट्रॉफी टीम में 1974-1975 तक स्थान मिलता रहा। अजित वाडेकर बाएं हाथ के बल्लेबाज़ व कुशल क्षेत्ररक्षक थे। उनका अन्तरराष्ट्रीय कॅरियर मात्र 8 वर्ष का रहा। वाडेकर ने 37 टैस्ट मैच खेले, जिनमें 2113 रन 31.07 के औसत से बनाए। उन्होंने एकमात्र शतक (143 रन) 1967-1968 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध बनाया था। चार बार वे 90 या अधिक रन बनाकर आउट हुए, पर शतक पूरा नहीं कर सके। एक बार उन्होंने 99 रन भी बनाए।

अपने 17 वर्षों के कॅरियर में अजित वाडेकर ने कुल 4288 रन 57.94 के औसत से (73 मैचों में) बनाए। रणजी ट्रॉफी मैच में उनका स्कोर बहुत अच्छा रहा। उन्होंने 1966-1967 के रणजी ट्रॉफी मैच में 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर मैसूर के विरुद्ध बनाया। अजित ने कुल 18 दलीप ट्रॉफी मैच खेले, जिनमें 6 में वह वेस्ट जोन के कप्तान रहे। उन्होंने बम्बई टीम की 6 बार कप्तानी की थी। अजित ने इंग्लैंड के 1967 के दौरे पर काउंटी मैचों में 835 रन बनाए तथा टैस्ट मैचों में 242 रन बनाए, जिनमें सर्वाधिक स्कोर 91 का रहा। 1967-1968 में न्यूजीलैंड दौरे पर उन्होंने एकमात्र शतक लगाया था। उस दौरे पर उन्होंने 47.14 के औसत से कुल 330 रन बनाए थे।[3]

उपलब्धियाँ

  • अजित वाडेकर ने 1971 में ओवल में खेले गए सीरीज के तीसरे और आखिर मैच की दोनों पारियों में कप्तानी पारी खेली थी। इस मैच को भारत ने 4 विकेट से जीता था। इंग्लैंड ने पहली पारी में 355 और दूसरी में 101 रन बनाए थे। जवाब में भारत की पहली पारी 284 रन पर सिमट गई, लेकिन दूसरी पारी में छह विकेट पर 174 रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया। वाडेकर ने पहली पारी में 48 रन और दूसरी पारी में 45 रन बनाए थे।
  • उपरोक्त के अतिरिक्त भी एक और बड़ी जीत इनके नाम दर्ज है और वह है- 70 के दशक की सबसे मजबूत टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ पांच टेस्ट मैच की सीरीज में सफलता हासिल करना। 1971 में खेली गई इस सीरीज में भारत ने 1-0 से जीत हासिल की थी। 4 मैच ड्रॉ रहे थे।
  • वाडेकर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ उस समय बड़ी पारी खेली थी, जब कोई भी भारतीय बल्लेबाज कीवी टीम के आक्रमण का सामना नहीं कर पा रहा था। फ़रवरी, 1968 में न्यूजीलैंड दौरे पर गई टीम इंडिया तीसरे टेस्ट मैच में न्यूजीलैंड के गेंदबाजों के सामने बेबस नजर आ रही थी और कोई भी बल्लेबाज़ 50 रन से अधिक की पारी नहीं खेल पाया था। ऐसे में अजित वाडेकर ने 12 चौके लगाकर 143 रन की पारी खेली और टीम को 8 विकेट से जीत दिलाने में अपना बड़ा योगदान दिया।
  • 13 जुलाई, 1974 को भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला था, भले ही इस मैच में भारत को हार का मुंह देखना पड़ा हो, लेकिन वाडेकर की 67 रन की पारी शायद ही कभी भूली जा सके।
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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वर्तमान मुम्बई
  2. अजीत वाडेकर की जीवनी (हिंदी) hindilibraryindia। अभिगमन तिथि: 16 अगस्त, 2018।
  3. अजित वाडेकर का जीवन परिचय (हिंदी) kaiseaurkya.com। अभिगमन तिथि: 16 अगस्त, 2018।

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