हाथीबाड़ा घोसुण्डी शिलालेख (अंग्रेज़ी: Hathibada Ghosundi Inscriptions) चित्तौड़, राजस्थान के निकट घोसुण्डी गांव में प्राप्त हुआ था। इस लेख में प्रयुक्त की गई भाषा संस्कृत और लिपि ब्राह्मी है। घोसुण्डी का शिलालेख सर्वप्रथम डॉक्टर डी. आर. भंडारकर द्वारा पढ़ा गया। यह राजस्थान में वैष्णव या भागवत संप्रदाय से संबंधित सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख है।
- घोसुण्डी शिलालेख कई शिलाखण्डों में टूटा हुआ है। इसके कुछ टुकड़े ही उपलब्ध हो सके हैं। इसका एक बड़ा खण्ड उदयपुर संग्रहालय में सुरक्षित है।
- यह राजस्थान में भागवत संप्रदाय से संबंधित सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख है।
- इस अभिलेख से ज्ञात होता है कि उस समय तक राजस्थान में भागवत धर्म लोकप्रिय हो चुका था।
- इस शिलालेख में भागवत पूजा के निमित्त शिला प्राकार बनाए जाने का वर्णन है।
- घोसुण्डी शिलालेख में संकर्षण और वासुदेव के पूजागृह के चारों ओर पत्थर की चारदीवारी बनाने और गजवंश के सर्वतात द्वारा अश्वमेघ यज्ञ करने का उल्लेख है।[1]
- शिलालेख का महत्त्व द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व में भागवत धर्म का प्रचार, संकर्षण तथा वासुदेव की मान्यता और अश्वमेघ यज्ञ के प्रचलन आदि में है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राजस्थान के अभिलेख (हिंदी) govtexamsuccess.com। अभिगमन तिथि: 12 दिसम्बर, 2021।