बिजोलिया शिलालेख (अंग्रेज़ी: Bijolia Inscription) बिजोलिया, राजस्थान के पाश्वर्नाथ जैन मंदिर के पास एक चट्टान पर उत्कीर्ण है, जिसे 1170 ई. के जैन श्रावक लोलाक द्वारा मंदिर के निर्माण की स्मृति में बनवाया गया था। इसका प्रशस्तिकार गुणभद्र था। यह अभिलेख संस्कृत भाषा में है और इसमें 13 पद्य है।
- इस अभिलेख में सांभर एवं अजमेर के चौहानों का वर्णन है।
- इसके अनुसार चौहानों के आदिपुरुष वासुदेव चौहान ने 551 ईस्वी में शाकंभरी में चौहान राज्य की स्थापना की थी तथा सांभर झील का निर्माण करवाया। उसने अहिछत्रपुर को अपनी राजधानी बनाया। इसमें सांभर तथा अजमेर के चौहानों को वत्सगोत्रीय ब्राह्मण बताया है।[1]
- इस लेख में उस समय के क्षेत्रों के प्राचीन नाम भी मिलते हैं, जैसे- एक जबालीपुर (जालौर), नड्डूल (नाडोल), शाकंभरी(सांभर), दिल्लिका (दिल्ली), श्रीमाल (भीनमाल), मंडलकर (मांडलगढ़), विंध्यवल्ली (बिजोलिया), नागहृद (नागदा) आदि।
- बिजोलिया शिलालेख में उस समय दिए गए भूमि अनुदान का वर्णन 'डोहली' नाम से किया गया है।
- बिजोलिया के आसपास के पठारी भाग को उत्तमाद्री के नाम से संबोधित किया गया है, जिसे वर्तमान में उपरमाल के नाम से जाना जाता है।
- यह अभिलेख संस्कृत भाषा में है और इसमें 13 पद्य है।
- गोपीनाथ शर्मा के अनुसार 12वीं सदी के जनजीवन, धार्मिक अवस्था, भोगोलिक और राजनीति अवस्था जानने हेतु यह लेख बड़े महत्व का है।
- इस शिलालेख से कुटीला नदी के पास अनेक शैव व जैन तीर्थ स्थलों का पता चलता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राजस्थान के शिलालेख (हिंदी) govtexamsuccess.com। अभिगमन तिथि: 12 दिसम्बर, 2021।