दीपक पुनिया
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पूरा नाम | दीपक पुनिया |
जन्म | 19 मई, 1999 |
जन्म भूमि | छारा, ज़िला झज्जर, हरियाणा |
अभिभावक | माता- कृष्णा पूनिया पिता- सुभाष पूनिया |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | कुश्ती (फ्रीस्टाइल) |
पुरस्कार-उपाधि | अर्जुन पुरस्कार, 2021 |
प्रसिद्धि | भारतीय पहलवान |
नागरिकता | भारतीय |
कोच | वीरेंद्र कुमार, सतपाल सिंह |
विश्व चैम्पियनशिप | नूर सुल्तान, 2019 - 86 कि.ग्रा. वर्ग - रजत |
विश्व जूनियर रेसलिंग चैम्पियनशिप | त्रिनावा, 2018 - 86 कि.ग्रा. वर्ग - रजत तल्लिन, 2019 - 86 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
कॉमनवेल्थ गेम्स | बर्मिघम, 2022 - 86 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
एशियन चैम्पियनशिप | उलानबातर, 2022 - 86 कि.ग्रा. वर्ग - रजत अल्माटी, 2021 - 86 कि.ग्रा. वर्ग - रजत |
एशियन जूनियर चैम्पियनशिप | नई दिल्ली, 2018 - 86 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
अन्य जानकारी | पहलवान सुशील कुमार को दीपक पुनिया ‘गुरुजी’ कहकर बुलाते हैं। दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील ने ही दीपक को सेना में सिपाही की नौकरी करने से रोका और उन्हें कुश्ती पर ही ध्यान देने की सलाह दी। |
अद्यतन | 16:05, 6 अगस्त 2022 (IST)
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दीपक पुनिया (अंग्रेज़ी: Deepak Punia, जन्म- 19 मई, 1999) भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं जो 86 किलोग्राम भार वर्ग में खेलते हैं। वह लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं। उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में से एक माना जाने लगा है। दीपक पुनिया 86 कि.ग्रा. भार वर्ग की रैंकिंग में पहले स्थान तक पहुंच चुके हैं। जब उनके 82 अंक हो गए थे, जो ईरान के हसन यज़्दानी से चार अधिक थे। हाल ही में दीपक पुनिया ने बर्मिंघम, इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में भारत के लिये स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने 86 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कैटेगरी में अपने पाकिस्तानी प्रतिद्वंद्वि को 3-0 से धूल चटाकर स्वर्ण पदक हासिल किया। भारत के लिए यह कुश्ती का तीसरा तो ओवरऑल 9वां स्वर्ण था। इससे पहले साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने भी अपनी-अपनी श्रेणी में स्वर्ण जीता।
परिचय
दीपक पुनिया का जन्म 19 मई, 1999 हरियाणा के झज्जर जिले में हुआ था। उनके पिता सुभाष पूनिया एक छोटी-सी डेयरी चलाते थे। इनकी माता का नाम कृष्णा पूनिया और बहन का नाम नीरू पुनिया है।
शिक्षा
एक छोटे से स्कूल में दीपक पुनिया की प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई। अपने स्कूल के दिनों में भी वे दंगल कुश्ती जैसे प्रतियोगिता में भाग लिया करते थे। उनका सपना था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर अपने देश के लिए मैडम लाना और भारत का नाम दूसरे देशों में उज्जवल करना। इसी के चलते उन्होंने अपनी बेहतर ट्रेनिंग के लिए छत्रसाल स्टेडियम के प्रसिद्ध पहलवान गुरु सतपाल को आगे की ट्रेनिंग के लिए चुना। दीपक ने वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप में अपनी प्रतिभा दिखाई, परंतु उसमें उन्हें जीत नहीं मिली; लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
कॅरियर
दीपक पुनिया बचपन से ही कुश्ती की तरफ झुकाव रखते थे। जिसके चलते 5 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने कुश्ती को अपना लक्ष्य साधते हुए आने वाले भविष्य की तैयारी शुरू कर दी। 7 साल की उम्र तक तो उन्होंने कुस्ती के काफी सारे दांव सीख लिए थे और आसपास के लोग उन्हें उनकी कुश्ती की प्रतिभा के लिए जानने भी लगे थे। छत्रसाल स्टेडियम में दीपक को सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त जैसे बड़े पहलवानों का मार्गदर्शन मिला। सुशील कुमार को दीपक ‘गुरुजी’ कहकर बुलाते थे। दो बार के ओलंपिक पदकिस्ट सुशील ने ही दीपक को सेना में सिपाही की नौकरी करने से रोका और उन्हें कुश्ती पर ही ध्यान देने की सलाह दी।
वर्ष 2015 में छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने पहलवान के नेतृत्व में ट्रेनिंग शुरू करने के बाद दीपक पुनिया ने सबसे पहले वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर अपना हुनर दिखाया हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन फिर भी हार नहीं मानी। उसी साल वह सब जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भी अपना हुनर दिखाने के लिए आगे बढ़े और विश्व जूनियर चैंपियनशिप में उन्होंने तीन बार हिस्सा लेकर तीनों बार पदक हासिल किया। एशियाई जूनियर चैंपियनशिप साल 2018 के दौरान दीपक पुनिया ने फिर से अपने हुनर का प्रदर्शन भारत की तरफ से किया और देश के सम्मान में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इसी वर्ष विश्व जूनियर चैंपियनशिप के हिस्सा बनकर उन्होंने रजत पदक को अपने नाम किया था। साल 2019 में भी एशियाई चैंपियनशिप के दौरान अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें कांस्य पदक से नवाजा गया था।
उनकी प्रतिभा को देखते हुए उसी साल कजाकिस्तान के नूरसुल्तान ने उन्हें विश्व चैंपियनशिप, 2019 में हिस्सा बनने के लिए न्यौता दिया। परंतु उनकी बदकिस्मती थी कि वह अपने टखने में लगी चोट की वजह से वहां नहीं जा पाए। ईरानी पहलवान हसन याद दानी ने दीपक पुनिया के खिलाफ विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और दीपक को रजत पदक प्राप्त हुआ। हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने प्रदर्शन के चलते 82 अंक अपने नाम किए, जो जीतने वाले कैंडिडेट से भी अधिक थे। उन्होंने 86 किलो भार वर्ग मैं अपना प्रदर्शन दिखाते हुए विश्व खिताब अपने नाम कर लिया। दिसम्बर 2020 में बेलग्रेड में इंडिविजुअल वर्ल्ड कप में मोल्दोवा के पियोट्र इयानुलोव से दीपक पुनिया 4-1 से हार गए, लेकिन अप्रैल में अल्माटी में एशियन चैम्पियनशिप मे उन्होंने जोरदार वापसी करते हुए रजत पदक हासिल किया।
टोक्यो ओलंपिक, 2020
भारत की तरफ से टोक्यो ओलंपिक, 2020 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए दीपक पुनिया ने कोलंबिया के टाइग्रेरोस को हराकर सेमीफाइनल की ओर कदम रखा। उन्होंने अपने फ्रीस्टाइल प्रदर्शन से 85 किलो वर्ग श्रेणी के क्वार्टर में चीन के खिलाड़ी को हरा दिया।
विश्व चैंपियन में रजत पदक हासिल करने वाले दीपक पुनिया ने बड़ी ही कुशलता से 6-3 से हराकर सेमीफाइनल का खिताब अपने नाम कर लिया। पूरे समय लड़ने के बाद अंतिम समय में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से यह जीत हासिल की, किन्तु सेमी फाइनल मैच में पहुंचने के बाद उन्हें जीत हासिल नहीं हुई, सेमी फाइनल मैच में यूएस के डेविड टेलर ने दीपक पुनिया को हरा दिया। इससे वे इस खेल से बाहर हो गए।
कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022
बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में भारत के पहलवान दीपक पुनिया ने फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के मोहम्मद इनाम को 86 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में 3-0 से हराकर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। कॉमनवेल्थ गेम्स में दीपक का यह पहला पदक है और उन्होंने इसकी शुरुआत स्वर्ण पदक से की।
पुरस्कार व सम्मान
- वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप के दौरान स्वर्ण और रजत पदक दीपक पुनिया ने अपने नाम किया था।
- वर्ष 2021 में दीपक पुनिया को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अर्जुन पुरस्कार दिया गया।
- 2019 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान रजत पदक से नवाजे गए।
- एशियाई खेलों के दौरान अपने प्रदर्शन के चलते दो कांस्य पदक उन्होंने अपने नाम किए।
- वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप के दौरान भी बेहतरीन प्रदर्शन दिखाने के बाद उन्हें वर्ल्ड पदक से नवाजा गया।
उपलब्धियाँ
क्र.सं. | वर्ष | प्रतियोगिता | स्थल | पदक |
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1. | 2016 | विश्व कैडेट चैंपियनशिप | त्बिलिसी (जॉर्जिया) | स्वर्ण |
2. | 2018 | विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप | ट्रनाव (स्लोवाकिया) | रजत |
3. | 2018 | एशियाई जूनियर चैंपियनशिप | नई दिल्ली (भारत) | स्वर्ण |
4. | 2019 | विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप | तेलिन (एस्टोनिया) | स्वर्ण |
5. | 2019 | एशियाई चैंपियनशिप | शीआन (चीन) | कांस्य |
6. | 2019 | विश्व चैंपियनशिप | नूर-सुल्तान (कजाखस्तान) | रजत |
7. | 2020 | एशियाई चैंपियनशिप | नई दिल्ली (भारत) | कांस्य |
8. | 2021 | एशियाई चैंपियनशिप | अल्माटी (कजाखस्तान) | रजत |
9. | 2022 | कॉमनवेल्थ गेम्स | बर्मिंघम (इंग्लैंड) | स्वर्ण |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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