ज्योतिर्मयी सिकदर
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पूरा नाम | ज्योतिर्मयी सिकदर |
जन्म | 11 दिसम्बर, 1969 |
जन्म भूमि | देबो ग्राम, ज़िला नादिया, पश्चिम बंगाल |
पति/पत्नी | अवतार सिंह |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | दौड़ |
पुरस्कार-उपाधि | ‘अर्जुन पुरस्कार’ (1995), ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ (1998), 'पद्मश्री' (2003) |
प्रसिद्धि | भारतीय महिला धावक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | ज्योतिर्मयी सिकदर ने राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की शुरुआत 1992 में ‘ऑल इंडिया ओपन मीट’ में 800 मीटर दौड़ में रजत पदक जीतकर की। अगले वर्ष उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और उन्हें ढाका में होने वाले ‘साउथ एशियन फेडरेशन’ (सैफ) खेलों के लिए 1993 में भारतीय टीम में शामिल किया गया। |
अद्यतन | 15:58, 17 अप्रॅल 2018 (IST)
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ज्योतिर्मयी सिकदर (अंग्रेज़ी: Jyotirmoyee Sikdar, जन्म- 11 दिसम्बर, 1969, पश्चिम बंगाल) भारत की प्रसिद्ध महिला धाविकाओं में से एक हैं। जब 1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ी असफल हो रहे थे, तब ज्योतिर्मयी सिकदर ने भारत को विजय दिलाई। उन्होंने दो स्वर्ण तथा एक रजत पदक जीतकर भारतीय टीम को निराशा से बचा लिया। उनकी विजय ने भारतीयों में खुशी की लहर दौड़ा दी थी। इन खेलों में ज्योतिर्मयी सिकदर ने अपने कॅरियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक प्राप्त किया तथा 1500 मीटर में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया जबकि 4x400 मीटर की रिले दौड़ की टीम में रजत पदक प्राप्त किया।
परिचय
ज्योतिर्मयी सिकदर जन्म 11 दिसंबर, 1969 को देबो ग्राम, ज़िला नादिया, पश्चिम बंगाल) में हुआ था। उन्होंने अपने पिता की मदद से मैदानों में दौड़-दौड़ कर स्टेमिना बना लिया था ताकि वह लंबी दौड़ लगा सकें। साथ ही साथ में पढ़ाई भी करती रहीं और भौतिक शास्त्र में स्नातक डिग्री प्राप्त कर ली। शुरू में उन्होंने 400 मीटर की दौड़ में भाग लेना आरंभ किया, फिर वह 800 मीटर से 1500 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेने लगीं। ज्योतिर्मयी सिकदर भारतीय रेलवे में सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं। उनका विवाह अपने पूर्व कोच अवतार सिंह के साथ हुआ।
राष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत
राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की शुरुआत ज्योतिर्मयी सिकदर ने 1992 में ‘ऑल इंडिया ओपन मीट’ में 800 मीटर दौड़ में रजत पदक जीतकर की। अगले वर्ष में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और उन्हें ढाका में होने वाले ‘साउथ एशियन फेडरेशन’ (सैफ) खेलों के लिए 1993 में भारतीय टीम में शामिल किया गया। इन खेलों में ज्योतिर्मयी ने 1500 मीटर दौड़ में रजत पदक प्राप्त किया। फिर 1993 में सिंगापुर ओपन में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 1994 में उन्होंने 1500 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया। 1994 में हिरोशिमा के एशियाई खेलों में वह विजय प्राप्त नहीं कर सकीं और चौथे स्थान पर रहीं।
पुरस्कार व सम्मान
ज्योतिर्मयी सिकदर जब विजय के बाद भारत लौटीं तो उनका शानदार स्वागत किया गया। उन्हें नई गोल्डन गर्ल का नाम दिया गया। इस विजय के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय कंपनी सैमसंग ने ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रदर्शन पुरस्कार’ (मोस्ट वैल्यूड परफॉर्मेंस अवार्ड) से सम्मानित किया था। इसके लिए ज्योतिर्मई को नकद 13,00,000 का पुरस्कार दिया गया।
वर्ष 1995 में ज्योतिर्मयी सिकदर को ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया तथा 1998 में वह ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ प्राप्त करने वाली प्रथम एथलीट बनीं। 2003 में उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।
उपलब्धियाँ
- 1994 में विश्व रेलवे मीट लंदन में ज्योतिर्मयी सिकदर ने 4X400 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
- 1995 की एशियन ट्रैक एंड फील्ड में, जकार्ता में उन्होंने 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता तथा 4X400 मीटर रिले दौड़ में रजत पदक प्राप्त किया।
- 1995 मैं 800 मीटर में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया।
- 1996 में उन्होंने ताइपेई में 400 मीटर में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
- ज्योतिर्मयी सिकदर ने दो बार अंतर्राष्ट्रीय आईटीसी मीट में हिस्सा लिया। 1995 में कांस्य तथा 1997 में स्वर्ण और रजत पदक प्राप्त किए।
- 1997 में फुकुओका, एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में 800 मीटर और 1500 मीटर दौड़ में उन्होंने कांस्य पदक जीते तथा 4X400 मीटर की रिले दौड़ में उन्होंने रजत पदक जीता।
- ज्योतिर्मई को 1995 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया।
- 1998 में वह ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' पाने वाली प्रथम एथलीट बनीं।
- 2003 में 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।
- 2004 से ज्योतिर्मयी सिकदर लोकसभा की सदस्य हैं।
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