"अपना भी कोई ख़ाब हो -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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धड़कन के हर सवाल का, साँसों भरा जवाब हो | धड़कन के हर सवाल का, साँसों भरा जवाब हो | ||
मिलना हो यूँ | मिलना हो यूँ निगाह का, पलकों के किसी कोर से | ||
ज़ुल्फ़ों की तिरे साये में, लम्हों का इंतिख़ाब हो | ज़ुल्फ़ों की तिरे साये में, लम्हों का इंतिख़ाब हो | ||
14:46, 15 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
अपना भी कोई ख़ाब हो -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ