"अपना भी कोई ख़ाब हो -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो ("अपना भी कोई ख़ाब हो -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि)) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
धड़कन के हर सवाल का, साँसों भरा जवाब हो | धड़कन के हर सवाल का, साँसों भरा जवाब हो | ||
मिलना हो यूँ | मिलना हो यूँ निगाह का, पलकों के किसी कोर से | ||
ज़ुल्फ़ों की तिरे साये में, लम्हों का इंतिख़ाब हो | ज़ुल्फ़ों की तिरे साये में, लम्हों का इंतिख़ाब हो | ||
14:46, 15 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
अपना भी कोई ख़ाब हो -आदित्य चौधरी
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ