"ये दास्तान कुछ ऐसी है -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर

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जीने के लिए सदक़े कम थे <ref>सदक़ा = न्यौछावर, दान</ref>
मरने के लिए लम्हे कम थे 
मरने के लिए लम्हे कम थे 


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सुनने के लिए राज़ी कम थे
सुनने के लिए राज़ी कम थे


मयख़ाने में रिंदों से कहा <ref>रिंद=शराबी </ref>
मयख़ाने में रिंदों से कहा <ref>रिंद = शराबी </ref>
पीने वाले समझे कम थे
पीने वाले समझे कम थे


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अब सुकूं आख़री ढूंढ लिया
अब सुकूं आख़री ढूंढ लिया
पर अर्थी को कांधे कम थे
अर्थी के लिए कांधे कम थे
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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{{भारतकोश सम्पादकीय}}
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13:38, 5 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण

ये दास्तान कुछ ऐसी है -आदित्य चौधरी

जीने के लिए सदक़े कम थे [1]
मरने के लिए लम्हे कम थे 

चाहत का भरोसा कौन करे
रिश्ते के लिए वादे कम थे

ये दास्तान ही ऐसी है
सुनने के लिए राज़ी कम थे

मयख़ाने में रिंदों से कहा [2]
पीने वाले समझे कम थे

कहना लिख कर भी चाहा तो
लिखने के लिए काग़ज़ कम थे

जब आँख अचानक भर आई
रोने के लिए कोने कम थे

अब सुकूं आख़री ढूंढ लिया
अर्थी के लिए कांधे कम थे



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सदक़ा = न्यौछावर, दान
  2. रिंद = शराबी