"रात नहीं कटती थी रात में -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
|- | |- | ||
| | | | ||
<noinclude>[[चित्र:Copyright.png|50px|right|link=|]]</noinclude> | |||
<noinclude>[[चित्र:Copyright.png|50px|right|link=|]]</noinclude> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>रात नहीं कटती थी रात में<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>रात नहीं कटती थी रात में | ---- | ||
<small>-आदित्य चौधरी</small></font></div> | {| width="100%" style="background:transparent" | ||
|-valign="top" | |||
| style="width:30%"| | |||
| style="width:40%"| | |||
<poem style="color=#003333"> | <poem style="color=#003333"> | ||
रात नहीं कटती थी रात में, अब दिन में भी कटी नहीं | रात नहीं कटती थी रात में, अब दिन में भी कटी नहीं | ||
ऐसी परत जमी चेहरों पर, कोहरे की फिर हटी नहीं | ऐसी परत जमी चेहरों पर, कोहरे की फिर हटी नहीं | ||
मस्त ज़िन्दगी जी लो यारो, इसमें कोई हर्ज़ नहीं | मस्त ज़िन्दगी जी लो यारो, इसमें कोई हर्ज़ नहीं | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
उसे भुला दूँ जिसमें बसा था, पूरा ये संसार मिरा | उसे भुला दूँ जिसमें बसा था, पूरा ये संसार मिरा | ||
शक़ की बिनाह पर मुझको छोड़ा, कोई बहस तक़रीर नहीं | शक़ की बिनाह पर मुझको छोड़ा, कोई बहस तक़रीर नहीं | ||
इसने टोका उसने पूछा, क्यों किस्मत क्या खुली नहीं ? | इसने टोका उसने पूछा, क्यों किस्मत क्या खुली नहीं ? | ||
रात नहीं कटती थी रात में, अब दिन में भी कटी नहीं | रात नहीं कटती थी रात में, अब दिन में भी कटी नहीं | ||
</poem> | </poem> | ||
| style="width:30%"| | |||
|} | |||
|} | |} | ||
<br /> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
14:37, 13 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
![]() रात नहीं कटती थी रात में -आदित्य चौधरी
|