"हर शाख़ पे बैठे उल्लू से -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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इस जंगल में अब आग लगे | इस जंगल में अब आग लगे | ||
और सारे उल्लू भस्म करे | और सारे उल्लू भस्म करे | ||
फिर नया | फिर एक नया सावन आए | ||
और नया सवेरा पहल करे | और नया सवेरा पहल करे | ||
14:33, 21 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
हर शाख़ पे बैठे उल्लू से -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ