"हमें तो याद नहीं -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर

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नहीं थी बात कोई भी जिसे कि भूले हम
नहीं थी बात कोई भी जिसे कि भूले हम
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बना हो दोस्त कोई भी हमें तो याद नहीं
बना हो दोस्त कोई भी हमें तो याद नहीं
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13:26, 20 मार्च 2015 के समय का अवतरण

हमें तो याद नहीं -आदित्य चौधरी

नहीं थी बात कोई भी जिसे कि भूले हम
रही हो याद कोई भी हमें तो याद नहीं

कुछ इस तरहा गुज़री ये ज़िन्दगी अपनी
जिया हो लम्हा कोई भी हमें तो याद नहीं

हरेक चोट पे मरहम लगा के देख लिया
भरा हो ज़ख़्म कोई भी हमें तो याद नहीं

पिलाई हमको गई, नहीं किसी से कम
हुआ हो हमको नशा भी हमें तो याद नहीं

मिले थे लोग बहुत, चले थे साथ कई
बना हो दोस्त कोई भी हमें तो याद नहीं


टीका टिप्पणी और संदर्भ