"तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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गुनाहों को छुपाने का हुनर उनका निराला है | गुनाहों को छुपाने का हुनर उनका निराला है | ||
तेरा ही ख़ून होता है हाथ तेरे ही सनते हैं | |||
न जाने कौनसी खिड़की से तू खाते बनाता है | न जाने कौनसी खिड़की से तू खाते बनाता है | ||
जो तेरी जेब के पैसे से उनके चॅक भुनते हैं | जो तेरी जेब के पैसे से उनके चॅक भुनते हैं | ||
बना है तेरी ही छत से | बना है तेरी ही छत से सुनहरा आसमां उनका | ||
मिलेगी छत चुनावों में, वहाँ तम्बू जो तनते हैं | मिलेगी छत चुनावों में, वहाँ तम्बू जो तनते हैं | ||
न जाने किस तरह भगवान ने इनको बनाया था | न जाने किस तरह भगवान ने इनको बनाया था | ||
नहीं जनती है इनको मां, यही अब | नहीं जनती है इनको मां, यही अब माँ को जनते हैं | ||
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14:10, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ