"किसी देश का गणतंत्र दिवस -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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इसके बाद हमने बच्चों में भ्रष्टाचार का पता लगवाया। रेल विभाग में बच्चों ने गंभीर भ्रष्टाचार किया हुआ था। आपको याद होगा पुराना ज़माना, जब छोटे-छोटे मासूम बच्चे रेल की पटरियों पर रेल से गिरा कोयला बीना करते थे। इससे दो नुक़सान हो रहे थे। एक तो इन बच्चों की जान को ख़तरा था और दूसरे ये कोयला रेल विभाग की संपत्ति थी। हमने ये भ्रष्टाचार रोक दिया। हमने विकास किया जिससे डीज़ल और बिजली से चलने वाली रेलगाड़ी बनी। जब कोयला पटरियों पर गिरता ही नहीं तो बच्चे बीनेगे क्या? इसलिए आजकल बच्चे रेल की पटरियों पर नज़र नहीं आएँगे। वे बच्चे अब शान से छोटे-बड़े शहरों में कूड़ा इकट्ठा करने के उद्योग में लगे हुए हैं। जब भी हमारी गाड़ियाँ सड़कों पर निकलती हैं और जब कभी उन गाड़ियों से झांक हम कूड़ा बीनते हुए बच्चों को देखते हैं तो मन संतोष से भर जाता है कि चलो इन बच्चों का जीवन रेलगाड़ी से कटने से बच गया और ये शान से सुरक्षित होकर यहाँ कूड़ा बीन रहे हैं। | इसके बाद हमने बच्चों में भ्रष्टाचार का पता लगवाया। रेल विभाग में बच्चों ने गंभीर भ्रष्टाचार किया हुआ था। आपको याद होगा पुराना ज़माना, जब छोटे-छोटे मासूम बच्चे रेल की पटरियों पर रेल से गिरा कोयला बीना करते थे। इससे दो नुक़सान हो रहे थे। एक तो इन बच्चों की जान को ख़तरा था और दूसरे ये कोयला रेल विभाग की संपत्ति थी। हमने ये भ्रष्टाचार रोक दिया। हमने विकास किया जिससे डीज़ल और बिजली से चलने वाली रेलगाड़ी बनी। जब कोयला पटरियों पर गिरता ही नहीं तो बच्चे बीनेगे क्या? इसलिए आजकल बच्चे रेल की पटरियों पर नज़र नहीं आएँगे। वे बच्चे अब शान से छोटे-बड़े शहरों में कूड़ा इकट्ठा करने के उद्योग में लगे हुए हैं। जब भी हमारी गाड़ियाँ सड़कों पर निकलती हैं और जब कभी उन गाड़ियों से झांक हम कूड़ा बीनते हुए बच्चों को देखते हैं तो मन संतोष से भर जाता है कि चलो इन बच्चों का जीवन रेलगाड़ी से कटने से बच गया और ये शान से सुरक्षित होकर यहाँ कूड़ा बीन रहे हैं। | ||
कुछ और बच्चे हैं जो घरेलू नौकर हैं या किसी दुकान या फ़ॅक्ट्री में काम करते हैं। हमने इन बच्चों के मालिकों से पूछा तो पता चला कि ये बच्चे कोई भ्रष्टाचार नहीं कर रहे बल्कि अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं। एक बात जो हमें बुरी लगती है वो ये है कि इन बच्चों के साथ कोई बदसलूकी न हो। इसके बारे में हमने एक अध्यादेश जारी किया है, जिससे इन बच्चों का कोई भी मालिक इनको अब सप्ताह में एक बार से ज़्यादा नहीं पीट सकेगा। | कुछ और बच्चे हैं जो घरेलू नौकर हैं या किसी दुकान या फ़ॅक्ट्री में काम करते हैं। हमने इन बच्चों के मालिकों से पूछा तो पता चला कि ये बच्चे कोई भ्रष्टाचार नहीं कर रहे बल्कि अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं। एक बात जो हमें बुरी लगती है वो ये है कि इन बच्चों के साथ कोई बदसलूकी न हो। इसके बारे में हमने एक अध्यादेश जारी किया है, जिससे इन बच्चों का कोई भी मालिक इनको अब सप्ताह में एक बार से ज़्यादा नहीं पीट सकेगा। | ||
हमने घरेलू महिला की शक्ति को भी पहचाना है और उचित सम्मान दिया है। जिन परिवारों में गैस का सिलेंडर कालाबाज़ारी याने ब्लॅक में जाता था वो आज पूरी तरह बंद है। क्योंकि भोजना आयोग को संभालने वाले | हमने घरेलू महिला की शक्ति को भी पहचाना है और उचित सम्मान दिया है। जिन परिवारों में गैस का सिलेंडर कालाबाज़ारी याने ब्लॅक में जाता था वो आज पूरी तरह बंद है। क्योंकि भोजना आयोग को संभालने वाले विद्वान् अँगूठाटेक सिंह की सलाह पर सिलेंडर को ब्लॅक के रेट से भी मँहगा कर दिया है। इससे राजस्व भी अधिक हो गया और जनता को ब्लॅक में सिलेंडर भी नहीं लेना पड़ रहा है। | ||
हमने ग़रीबी भी हटाई थी। हमने किसी को ग़रीब नहीं रहने दिया था। कुछ ग़रीब लोग, चोर बन गए, कुछ डाकू बने, कुछ आतंकी बने बाक़ी बचे तो स्वर्गवासी बने जो भी अपनी योग्यता के अनुसार बन सकता था, हमने उसकी सहायता उसी दिशा में की और हमने उसे ग़रीब नहीं रहने दिया। | हमने ग़रीबी भी हटाई थी। हमने किसी को ग़रीब नहीं रहने दिया था। कुछ ग़रीब लोग, चोर बन गए, कुछ डाकू बने, कुछ आतंकी बने बाक़ी बचे तो स्वर्गवासी बने जो भी अपनी योग्यता के अनुसार बन सकता था, हमने उसकी सहायता उसी दिशा में की और हमने उसे ग़रीब नहीं रहने दिया। | ||
हमारे देश में एक व्यवसाय बहुत बड़े पैमाने पर चल रहा है। यह है भीख मांगने का। पहले भिखारी ग़रीब होते थे लेकिन अभी-अभी अख़बारों में आपने एक भिखारी को लूटे जाने की ख़बर पढ़ी होगी। ज़रा सोचिए हमने भिखारियों का स्तर भी इतने बढ़ा दिया कि वे लुटने लगे। जल्दी ही हम एक टॅक्स लगाने जा रहे हैं। जिसे 'बॅगर टॅक्स' कहा जाएगा। जिस देश के भिखारी भी टॅक्स देने की स्थिति में पहुँच चुके हों उस देश का भविष्य कितना उज्ज्वल है, यह मुझे कहने की ज़रूरत नहीं है। | हमारे देश में एक व्यवसाय बहुत बड़े पैमाने पर चल रहा है। यह है भीख मांगने का। पहले भिखारी ग़रीब होते थे लेकिन अभी-अभी अख़बारों में आपने एक भिखारी को लूटे जाने की ख़बर पढ़ी होगी। ज़रा सोचिए हमने भिखारियों का स्तर भी इतने बढ़ा दिया कि वे लुटने लगे। जल्दी ही हम एक टॅक्स लगाने जा रहे हैं। जिसे 'बॅगर टॅक्स' कहा जाएगा। जिस देश के भिखारी भी टॅक्स देने की स्थिति में पहुँच चुके हों उस देश का भविष्य कितना उज्ज्वल है, यह मुझे कहने की ज़रूरत नहीं है। |
14:51, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
किसी देश का गणतंत्र दिवस -आदित्य चौधरी न जाने किस देश में, न जाने किस काल में, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, देश के प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संदेश टेलीविज़न पर प्रसारित हो रहा है। |
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