"ईमानदारी की क़ीमत -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>ईमानदारी की क़ीमत<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | <div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>ईमानदारी की क़ीमत<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | ||
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बड़े बाबू मंत्री जी को ग़ौर से देखते हुए कहते हैं "नहीं, सर ! आप बलात्कार नहीं कर पायेंगे। बलात्कार असल में हम लोग कर ही नहीं सकते सर ! ना आप कर पायेंगे और मेरा तो सर ! सवाल ही नहीं उठता क्योंकि मेरी पत्नी ने मुझे साफ़ मना किया हुआ है।... सर ! हम इस बलात्कार वाले मामले को ड्रॉप कर देते हैं और ये जो दूसरा सी.डी. वाला मामला है, इसमें भी काफ़ी रिस्क है... तो अब हम भ्रष्टाचार वाले मामले में ही फ़ोकस करते हैं। एक बड़ा स्कैम ऐसा हो जाए कि आप पॉपुलर हो सकें।" | बड़े बाबू मंत्री जी को ग़ौर से देखते हुए कहते हैं "नहीं, सर ! आप बलात्कार नहीं कर पायेंगे। बलात्कार असल में हम लोग कर ही नहीं सकते सर ! ना आप कर पायेंगे और मेरा तो सर ! सवाल ही नहीं उठता क्योंकि मेरी पत्नी ने मुझे साफ़ मना किया हुआ है।... सर ! हम इस बलात्कार वाले मामले को ड्रॉप कर देते हैं और ये जो दूसरा सी.डी. वाला मामला है, इसमें भी काफ़ी रिस्क है... तो अब हम भ्रष्टाचार वाले मामले में ही फ़ोकस करते हैं। एक बड़ा स्कैम ऐसा हो जाए कि आप पॉपुलर हो सकें।" | ||
"तो कुल मिलाकर, बड़े बाबू ! आपका सुझाव ये है कि भ्रष्टाचार ही एक अच्छा और सही रास्ता है... इसी में आगे चलकर पॉपुलर होने का एक सही तरीका भी हमें मिल सकता है... तो फिर, एक बड़ा सा स्कैम तैयार कीजिए अब... बस, ये हमारा आदेश है।" | "तो कुल मिलाकर, बड़े बाबू ! आपका सुझाव ये है कि भ्रष्टाचार ही एक अच्छा और सही रास्ता है... इसी में आगे चलकर पॉपुलर होने का एक सही तरीका भी हमें मिल सकता है... तो फिर, एक बड़ा सा स्कैम तैयार कीजिए अब... बस, ये हमारा आदेश है।" | ||
बड़े बाबू- "सर ! बड़ा सा स्कैम तब होता है, जब मंत्रालय बड़ा हो और उसका बजट भी बड़ा हो। आपके मंत्रालय में इतना बड़ा बजट | बड़े बाबू- "सर ! बड़ा सा स्कैम तब होता है, जब मंत्रालय बड़ा हो और उसका बजट भी बड़ा हो। आपके मंत्रालय में इतना बड़ा बजट नहीं है कि कोई बड़ा-सा स्कैम हो सके और छोटे-छोटे बजट के स्कैम जो हैं उनकी कोई ख़ास अहमियत नहीं होती।" | ||
"तो फिर ?..." | "तो फिर ?..." | ||
"फिर क्या सर ! पन्द्रह अगस्त पर झंडा फहरा कर ये प्रतिज्ञा कीजिए कि जब तक आपको बड़ा घोटाला करने लायक़ मंत्रालय नहीं मिल जाता आप चैन की नींद नहीं सोएँगे..." | "फिर क्या सर ! पन्द्रह अगस्त पर झंडा फहरा कर ये प्रतिज्ञा कीजिए कि जब तक आपको बड़ा घोटाला करने लायक़ मंत्रालय नहीं मिल जाता आप चैन की नींद नहीं सोएँगे..." | ||
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टॅक्स देने वाले, और टॅक्स चोरी करने वालों में फ़र्क़ किया जाना चाहिए। लेकिन क्या ? टॅक्स न देने वालों के लिए तमाम सरकारी योजनाएँ हैं, उनके यहाँ रेड की जाती है, उन पर जुर्माने किए जाते हैं। उनको जेल की सज़ा दी जाती है, लेकिन जो नियमित टॅक्स देते हैं, उनको सरकार क्या सुविधाएँ देती है? उनका क्या सम्मान होता है? | टॅक्स देने वाले, और टॅक्स चोरी करने वालों में फ़र्क़ किया जाना चाहिए। लेकिन क्या ? टॅक्स न देने वालों के लिए तमाम सरकारी योजनाएँ हैं, उनके यहाँ रेड की जाती है, उन पर जुर्माने किए जाते हैं। उनको जेल की सज़ा दी जाती है, लेकिन जो नियमित टॅक्स देते हैं, उनको सरकार क्या सुविधाएँ देती है? उनका क्या सम्मान होता है? | ||
रेल, बस, हवाई जहाज़, सिनेमा, आदि की टिकिट खिड़की पर किसी टॅक्स भरने वाले को कोई सुविधा नहीं मिलती। गैस कनॅक्शन, ड्राइविंग लाइसेन्स, हथियार लाइसेन्स, स्कूल-कॉलेज दाख़िला, पासपोर्ट बनवाना, आदि में भी टॅक्स भरने वाले को कोई वरीयता नहीं मिलती। चुनाव में मतदान, संसद भवन का पास, किसी पर्यटन स्थल का टिकिट, आदि में भी कोई सुविधा नहीं। ज़रा सोचिए कि कोई आयकर देकर कौन सी विशेष सुविधा या सम्मान पा रहा है। यदि ऐसा किया जाय तो लोगों को आयकर देने में ज़्यादा अच्छा लगेगा। हमारे देश के प्रजातांत्रिक ढांचे को नुक़सान पहुंचाए, बिना सावधानी पूर्वक, इस तरह के नियम बनाए जा सकते हैं। | रेल, बस, हवाई जहाज़, सिनेमा, आदि की टिकिट खिड़की पर किसी टॅक्स भरने वाले को कोई सुविधा नहीं मिलती। गैस कनॅक्शन, ड्राइविंग लाइसेन्स, हथियार लाइसेन्स, स्कूल-कॉलेज दाख़िला, पासपोर्ट बनवाना, आदि में भी टॅक्स भरने वाले को कोई वरीयता नहीं मिलती। चुनाव में मतदान, संसद भवन का पास, किसी पर्यटन स्थल का टिकिट, आदि में भी कोई सुविधा नहीं। ज़रा सोचिए कि कोई आयकर देकर कौन सी विशेष सुविधा या सम्मान पा रहा है। यदि ऐसा किया जाय तो लोगों को आयकर देने में ज़्यादा अच्छा लगेगा। हमारे देश के प्रजातांत्रिक ढांचे को नुक़सान पहुंचाए, बिना सावधानी पूर्वक, इस तरह के नियम बनाए जा सकते हैं। | ||
अब ज़रा सरकारी कार्यालयों को देखें तो पता चलता है कि वहाँ, रिश्वत लेने-देने वालों को सज़ा दी जाती है लेकिन उसका क्या जो रिश्वत नहीं लेता ? ऐसे कर्मचारियों के लिए क्या पारितोषक है ? सामान्यत: यह माना जाता है कि योग्य और सामान्य कर्मचारियों में 80-20 का अनुपात होता है। | अब ज़रा सरकारी कार्यालयों को देखें तो पता चलता है कि वहाँ, रिश्वत लेने-देने वालों को सज़ा दी जाती है लेकिन उसका क्या जो रिश्वत नहीं लेता ? ऐसे कर्मचारियों के लिए क्या पारितोषक है ? सामान्यत: यह माना जाता है कि योग्य और सामान्य कर्मचारियों में 80-20 का अनुपात होता है। अर्थात् 10 में से 8 कर्मचारी ऐसे होते हैं जो कम काम करते हैं और कम योग्य होते हैं। यह नियम सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में न्यूनाधिक, समान ही है। जो अधिक कर्मठ, क्रियाशील, रचनात्मक हैं उन्हें क्या विशेष सुविधा है ? कुछ भी नहीं...। एक समय के बाद सभी को प्रोन्नति मिल जाती है, चाहे उसने पूरा समय कार्यालय में मक्खी मारते ही बिताया हो...। | ||
पुलिस विभाग में जो अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह मुस्तैद हैं, स्वास्थ्य भी अच्छा रखते हैं और जनता से व्यवहार भी अच्छा रखते हैं उन्हें क्या विशेष लाभ दिया जाता है ? यदि उन्हें पुरस्कृत किया जाय, सम्मानित किया जाय, तो बात बन सकती है। मोटी-मोटी तोंद वाले दारोग़ा भी जब ये देखेंगे कि उनका स्वस्थ साथी उनसे अधिक तनख्वाह पा रहा है तो उनकी तोंद भी पिचकेगी...। | पुलिस विभाग में जो अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह मुस्तैद हैं, स्वास्थ्य भी अच्छा रखते हैं और जनता से व्यवहार भी अच्छा रखते हैं उन्हें क्या विशेष लाभ दिया जाता है ? यदि उन्हें पुरस्कृत किया जाय, सम्मानित किया जाय, तो बात बन सकती है। मोटी-मोटी तोंद वाले दारोग़ा भी जब ये देखेंगे कि उनका स्वस्थ साथी उनसे अधिक तनख्वाह पा रहा है तो उनकी तोंद भी पिचकेगी...। | ||
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इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | ||
-आदित्य चौधरी | -आदित्य चौधरी | ||
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07:51, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
ईमानदारी की क़ीमत -आदित्य चौधरी एक उदयीमान भ्रष्टाचारी मंत्री, अपने कार्यालय में उदास बैठे हैं... एकाएक अपने निजी सचिव से ठंडी साँस लेकर कहते हैं - |
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